आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के अवसर पर मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती को दी गई श्रद्धांजलि

आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के अवसर पर मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती को दी गई श्रद्धांजलि

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

ब्रह्माकुमारीज की पहली मुख्य प्रशासिका की 60वीं पुण्यतिथि पर सैकड़ों भाई और बहनों ने लिया भाग:

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर/छपरा, सारण (बिहार):


“एक भरोसा, एक विश्वास, ना किसी से दुःख लो और ना ही किसी को दुःख दो” जैसे वाक्यों को अपनाने वाली मम्मा एक तीव्र बुद्धि की मालिक होने के साथ- साथ बाबा की मुरली सुनकर ज्ञान और मंथन करने वाली मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती प्रजापिता ब्रह्मा की पुत्री थी। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय इकाई की मुख्य संचालिका ब्रह्मा कुमारी अनामिका दीदी ने ओम राधे उर्फ़ जगदंबा सरस्वती मातेश्वरी अम्मा की 60 वीं स्मृति दिवस के अवसर पर बी के भाई और बहनों से कही। उन्होंने यह भी कहा कि आज के दिन पूरे विश्व के लगभग 140 से अधिक देशों में आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बीके अनामिका दीदी ने बताया कि 24 जून 1965 को मातेश्वरी जी ने शरीर को त्याग किया था। उनका प्रसिद्ध कथन था -गुणवान बनना है, गुण देखना है और गुण दान करना है। यह शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों को आत्मिक उन्नति की राह दिखा रही हैं। पंजाब के अमृतसर में पिता पोकर दास और माता रोचा के घर जन्मी मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती को प्यार से ‘मम्मा’ कहा जाता था। क्योंकि आध्यात्मिकता, त्याग और नारी सशक्तिकरण की प्रतीक थीं। कार्यक्रम के दौरान मातेश्वरी जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया। जिसमें सैकड़ों से अधिक भाई- बहनों ने श्रद्धांजलि अर्पित की और आत्म- सुधार का संकल्प लिया। स्थानीय सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी अनामिका दीदी सहित सैकड़ों भाई और बहनों ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।

मम्मा का व्यक्तित्व बहुत ही शक्तिशाली था। क्योंकि उन्होंने ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली थी कि उनकी मात्र एक दृष्टि से सामने वाली आत्मा का मन पवित्र और शांत हो जाता था। 28 वर्षों के निरंतर ज्ञान मंथन और तीव्र पुरुषार्थ के बाद जून 1965 में मम्मा संपूर्ण बन गई। विश्व परिवर्तन के इस महान कार्य अर्थ, शिव बाबा का दाहिना हाथ बन सूक्ष्म वतन तक उड़ गई। जिस कारण इस परिवार में आज भी प्रेरणा के लिए मम्मा का जीवन, उनके गुण, वचन और कर्म याद किया जाता हैं। उन्होंने ना सिर्फ़ स्वयं को कमेंद्रीजीत व स्वराज्यधिकारी बनाया। बल्कि अंत आत्माओं का भी आध्यामिक उत्थान कर मनुष्य से देवता बनने की कला सिखाई है। मम्मा की दृष्टि से ही अनेकों प्रकार की विकार छोड़ने और समान श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा मिल जाती हैं।

प्रमंडलीय मुख्यालय सारण के छपरा शहर स्थित भगवान बाजार थाना से दक्षिण गुदरी राय के चौक के समीप प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय इकाई द्वारा मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की 60वीं पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम के दौरान योग तपस्या और भोग का भी आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रूप से पानपति माता, जनक दुलारी माता, गायत्री माता, सरिता माता, वीणा माता, अनीता और वीणा बहन, महादेव भाई, कल्याण भाई, राजा भाई, अमन भाई और अर्जुन भाई सहित कई अन्य भाई और बहनें शामिल हुई।

यह भी पढ़े

सिसवन की खबरें : 10 सूत्री मांगों को लेकर काला बिल्ला लगाकर प्रखंड कर्मियों ने किया कार्य

आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर 10 फाइलेरिया के मरीजों के बीच एमएमडीपी कीट का हुआ वितरण

चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर की पार्टी को चुनाव चिन्ह बैग आवंटित किया

भाजपा कार्यालय में आपातकाल को दर्शाती हुई प्रदर्शनी का आयोजन

वारिसलीगंज से साइबर ठगी करने वाले 3 अपराधी गिरफ्तार

42 वीं जिला एथलेटिक्स मीट गरखा में पांच व छ्ह जुलाई को

प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के हिट लिस्ट में 950 लोग है-एनआईए

मांगों के समर्थन में  काला बिल्ला लगाकर लिपिकों ने जताया विरोध

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!