राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलजे सीवान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

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श्रीनारद मीडिया,  सीवान (बिहार):


राजकीय पॉलिटेक्निक सिवान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षा शास्त्र अध्यापन विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ । ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ संस्थान के प्राचार्य डॉ प्रवीण पचौरी के उद्बोधन से हुआ। विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रथम शास्त्र में डॉ चंदन कुमार, जो कि भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर है उन्होंने सीओ-डेवलपमेंट, मैपिंग और अटेनमेंट, द्वितीय सत्र में डॉ सत्येंद्र शर्मा, जो कि जीएलबीआईटीएम कॉलेज में प्रोफेसर है ।

उन्होंने एनडीए एक्रीडिटेशन पर सविस्तर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया, तृतीय सत्र में डॉ शशि प्रकाश द्विवेदी, जो कि लोएड इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में डीन है, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनुसंधान के व्यापक प्रभाव विषय पर और चतुर्थ सत्र में डॉ चंद्रशेखर यादव, जो कि एक एनआईईटी, ग्रेटर नोएडा के प्रोफेसर और डीन है ।

उन्होंने सिनर्जेटिक पेडागॉजी फॉर ए यूनिफाइड और डायनामिक एजुकेशन एक्सपीरियंस विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचार रखें । इस सेमिनार की आयोजन सचिव प्रोफेसर सोनिका कुमारी हेड ऑफ डिपार्टमेंट, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग एवं प्रोफेसर पायल सिंह थी । उक्त सेमिनार में सभी व्याख्याता गण एवं 200 से अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं जुड़े और लाभान्वित हुए।

डॉ चंदन कुमार ने नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन द्वारा दी गई आउटकम वेस्ट एजुकेशन प्रणाली पर आधारित टीचिंग लर्निंग और असेसमेंट के तरीके से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने ज्ञानात्मक, भावनात्मक और क्रियात्मक पक्षों के विकास के तरीकों तथा मापन के तरीकों से परिचय करवाया।

डॉ सत्येंद्र शर्मा ने आउटकम वेस्ट एजुकेशन में छात्र-छात्राओं के रचनात्मक, भावनात्मक तथा क्रियात्मक विकास करने के लिए किए जाने वाले क्रियाकलापों और शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव साझा किये। छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए उन्होंने प्रोजेक्ट वेस्ट लर्निंग तथा पीयर एडॉप्शन तकनीक की महत्वता को बारीकी से समझाया।

डॉ शशि प्रकाश द्विवेदी ने रिसर्च कैसे करें और रिसर्च की गुणवत्ता को कैसे मापा जाता है विषय की गहन जानकारी दी। नए शोधार्थियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए । राष्ट्र निर्माण के साथ व्यक्तिगत विकास हेतु शिक्षा के साथ रिसर्च को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट यानी बौद्धिक संपदा अधिकार के माध्यम से कैसे संरक्षित करें को बारीकी से समझाया।

डॉ चंद्रशेखर यादव ने 3-एच के समन्वय पर जोर देकर समझाया की शिक्षा का मूल्य उद्देश्य एक सर्वगुण संपन्न व्यक्तित्व का निर्माण करना है। पहले ‘एच’ हेड यानी सिर दूसरा ‘एच’ हार्ट यानी दिल तीसरा ‘एच’ हैंड यानी हाथ जब तक समन्वय में नहीं होंगे तब तक मानसिक, भावनात्मक एवं क्रियात्मक पक्षों में विशेषज्ञता प्राप्त नहीं की जा सकती। संस्थान के
प्राचार्य ने बताया देश कि तकनीकी शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए आउटकम वेस्ड एजुकेशन की बारीकियां को समझना और अपनाना होगा तभी नई शिक्षा नीति के अनुरूप बदलाव किए जा सकेंगे और उद्योग जगत की अपेक्षाओं के अनुरूप छात्र छात्राओं को तैयार किया जा सकेगा।

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