सीसीआरटी उदयपुर में प्रशिक्षण प्राप्त कर वापस आए सारण के दो शिक्षक
श्रीनारद मीडिया, विक्की बाबा, मशरक, सारण (बिहार):
राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के तहत सीसीआरटी उदयपुर (राजस्थान) में आयोजित 21 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में बिहार से कुल दस एवं सारण जिले से दो शिक्षक, जिसमें से एक पिंटू रंजन प्रसाद, जो उच्च माध्यमिक विद्यालय धवरी, बनियापुर (सारण) में पदस्थापित है। वहीं दूसरे शिक्षक, राजेश्वर प्रसाद राजीव है जो उच्च माध्यमिक विद्यालय बनपुरा, लहलादपुर (सारण) में कार्यरत है, ने पूरे प्रशिक्षण के दौरान देश के सभी राज्यों से आए शिक्षकों को बिहार की संस्कृति से परिचित कराने का कार्य किया।
प्रशिक्षण के दौरान सांस्कृतिक योगदान सत्र में इन शिक्षकों ने बिहार के महापर्व छठ की झांकी प्रस्तुत किया, जो सभी राज्यों से आए शिक्षकों के लिए कौतूहल व आश्चर्य का विषय रहा। लगभग सभी शिक्षकों ने स्वीकार किया कि छठ महापर्व के बारे में हम लोग सुने तो थे, परंतु इतने करीब से कभी देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाया था। वहीं बिहार के प्रमुख खान-पान (लिट्टी- चोखा, दही-चूड़ा, तिलकुट, पुआ आदि) लोक कला, यथा नृत्य (झिझिया, डोमकच, समा-चकेबा, जाट-जाटिन, कजरी, सोहर- खिलौना) लोकगीत (छठ गीत सोहर विदेशिया भगवा) वेशभूषा, हस्तकला, मिथिला पेंटिंग, पटना कलम, मंजूषा कला, प्रमुख पर्यटन स्थल, प्रमुख ऐतिहासिक/पौराणिक स्थल, प्रमुख पर्व -त्यौहार आदि के बारे में विस्तृत रूप से पीपीटी के माध्यम से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन शिक्षक पिंटू रंजन प्रसाद ने दिया।
जिसे देश के अन्य शिक्षक बिहार के सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित हुए। वही, बिहार का राज्य गीत “मेरे भारत के कंठहार…. तुझको शत-शत वंदन बिहार” को सभी राज्यों के शिक्षकों ने एक साथ गाया। एनईपी-2020, निपुण भारत, निष्ठा, एफएलएन आदि जैसे शैक्षिक विषयों पर जागरूकता पैदा करने के अलावा प्रशिक्षण में “एक भारत श्रेष्ठ भारत” व “स्वच्छ भारत अभियान”, शिक्षा में सांस्कृतिक एकीकरण, आईसीटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि पर विभिन्न मॉड्यूल का प्रदर्शन किया गया। शिक्षकों को कला से विषय वस्तु को जोड़कर शिक्षण कार्य करने का गुड़ सिखाया गया। विद्यार्थियों में कला के प्रति रुचि उत्पन्न कर, उन्हें कला के संवर्धन, संरक्षण व पोषण हेतु भरपूर प्रयास करने की बात की गई।
वहीं, सभी शिक्षकों को कला के विभिन्न आयामों- फर पेंटिंग, पेपरमेसी, टाई एंड डाई, टेराकोटा, शास्त्रीय नृत्य, शास्त्रीय संगीत, मार्शल आर्ट आदि में निपुण बनाया गया। सीसीआरटी के तरफ से उदयपुर में स्थित शिल्पग्राम, चित्तौड़गढ़ व कुंभलगढ़ किला, सिटी पैलेस, हल्दीघाटी, सास बहू मंदिर, एकलिंगेश्वर मंदिर, दिलवाड़ा जैन मंदिर, भारतीय लोक कला मंडल, म्यूजियम, वानस्पतिक उद्यान जैसे ऐतिहासिक/ पौराणिक स्थान और शैक्षणिक संस्थाओं का भी दौरा कराया गया और साथ में राजस्थान राज्य में लागू शिक्षा प्रणाली का भी अवलोकन कराया गया।
वहीं, समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सीसीआरटी नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. विनोद नारायण इंदुरकर को आमंत्रित किया गया था। वही उप निदेशक डॉ. राहुल कुमार, फील्ड ऑफिसर चंद्रमोझी एवं सीसीआरटी उदयपुर के फील्ड ऑफिसर अभिक सरकार की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। डॉ. इंदुरकर ने समापन समारोह में कहा कि यह बैच वास्तविक रूप से प्रशिक्षण को आत्मसात किया है। मुझे उम्मीद ही नहीं वरन् विश्वास भी है कि सारे शिक्षक विद्यालय व्यवस्था को बदलने में रात- दिन एक कर देंग। यह बातें, उन्होंने शिक्षकों द्वारा बनाए गए विभिन्न प्रोजेक्ट, पाठ योजना, टेराकोटा आकृति, पेपरमेसी से बनाए गए पक्षियों, फर पेंटिंग एवं टाई एंड डाई के तहत बनाए गए विभिन्न कलाकृतियों को काफी सूक्ष्मता के साथ अवलोकन करने के उपरांत कहीं।
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