वैक्सीन100 करोड़ का आंकड़ा पार, ऐसी रही 278 दिन के सफर की दास्तान.

वैक्सीन100 करोड़ का आंकड़ा पार, ऐसी रही 278 दिन के सफर की दास्तान.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

 

संक्रमण के शुरुआती मामले नवंबर-दिसंबर में आए थे। चीन में कोरोना से पहली मौत का मामला 9 जनवरी को आया और 23 जनवरी को चीन में हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान को लाॅकडाउन किया गया। 30 जनवरी को भारत के केरल से कोरोना का पहला मामला सामने आया। फिर भारत समते दुनिया के अन्य देश भी धीरे-धीरे इसकी मार से बेहाल होने लगे। 11 मार्च 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर 25 मार्च को पूर्ण लाॅकडाउन घोषित किया गया।

पीएम केयर्स फंड का गठन और खुद प्रधानमंत्री ने की मॉनिटरिंग

27 मार्च 2020 को पीएम केयर्स फंड बनाया गया और इस फंड में भारत के प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्तमंत्री मुख्य ट्रस्टी के तौर पर शामिल किया गया। इसी पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपये वैक्सीन रिसर्च के लिए दिए गए और यहीं से शुरू होता है वैक्सीन रिसर्च का सिलसिला। प्रधानमंत्री ने वैक्सीन निर्माण को खुद मॉनिटर किया और ट्रायल प्रोसेस में तेजी लाने के लिए अहम फैसले लिए। साथ ही साथ महामारी की भयावहता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने वैक्सीन के इमरजेंसी यूज़ की भी इजाजत दिलवाई। हालांकि इस प्रक्रिया में पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाया गया।

आत्मनिर्भर भारत

अगर हम खुद स्वदेशी वैक्सीन ना बना पाते, इतनी बड़ी तादाद में वैक्सीन का प्रोड्क्शन नहीं कर पाते तो भारत की स्थिति भी अफ्रीका महाद्वीप की तरह होती। वही अफ्रीका जिसे दुनिया के बड़े देशों ने उसके हाल पर छोड़ दिया है। अफ्रीका महाद्वीप 3 करोड़ स्कॉयर किमी. के  इलाके में फैला है उसकी जनसंख्या करीब 138 करोड़ है। यानि करीब करीब भारत के बराबर। पर अफ्रीकी देशों में अब तक सिर्फ 17 करोड़ वैक्सीन ही लग पाई है।

सोचिए कहां 138 करोड़ की आबादी और कहां 17 करोड़ वैक्सीन। यानि करीब 90 फीसदी आबादी को वैक्सीन का इंतजार है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अफ्रीका के पास खुद की वैक्सीन नहीं है। इसलिए उसे दूसरे देशों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है लेकिन भारत के पास मदद का हाथ बढ़ाने की शक्ति है। क्योंकि हम वैक्सीन के मामले में आत्मनिर्भर हैं।

वैक्सीन की 100 करोड़ डोज का सफर

19 फरवरी 2021- 1 करोड़

11 अप्रैल 2021- 10 करोड़

12 जून 2021- 25 करोड़

6 अगस्त 2021- 50 करोड़

13 सितंबर 2021- 75 करोड़

21 अक्टूबर 2021- 100 करोड़

वैक्सीन डिप्लोमेसी

कोरोना से इम्युन होने के लालच में रईस और ताकतवर देशों को स्वार्थी बना दिया। वो सबसे पहले सबसे ज्यादा वैक्सीन पाने की होड़ में जुट गए। समूचे वैक्सीन की आधी सप्लाई केवल 15 फीसदी आबादी ने हथिया लिया। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने प्रति व्यक्ति 10-11 वैक्सीन की डोज खरीद ली। जबकि इनके मुकाबले गरीब और मिडल इनकम देश वैक्सीन की रेस में सबसे पीछे हो गए। कोवैक्स ने 2021 के खत्म होते-होते कोविड वैक्सीन की एक सौ करोड़ डोज दुनिया के सबसे गरीब 92 देशों को सप्लाई करने का लक्ष्य रखा। आबादी के हिसाब से देशों को वैक्सीन दिए जाने का पैमाना तय किया गया।

कोवैक्स ने इन वैक्सीन के लिए अलग-अलग उत्पादक देशों से संपर्क किया। जिसमें उसका सबसे बड़ा सप्लायर बना सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया। इसने ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 20 करोड़ डोज देने का भरोसा दिया। एक दिन में वैक्सीन की तकरीबन 25 लाख डोज बनती है, लेकिन सरकार की वजह से सीरम ने बाकी प्रतिबद्धता पूरे कर रहा है बल्कि उसके पास भारत के लिए पर्याप्त सप्लाई मौजूद रही।

भारत की वैक्सीन मैत्री

भारत ने अपने पड़ोसी और गरीब देशों की मदद भी की। 20 जनवरी 2021 को हमारे सबसे अच्छे दोस्त भूटान में कोरोना वैक्सीन की पहली खेप पहुंचाई। डेढ़ लाख वैक्सीन का ये पार्सल उसे भारत ने गिफ्त किया। इसी दिन भारत ने मालदीव को भी एक लाख वैक्सीन भिजवाई। बांग्लादेश को 21 लाख, नेपाल को 10 लाख वैक्सीन की डोज भिजवाई गई।

दूसरी लहर का प्रकोप और वैक्सीनेशन के नए चरण का प्रारंभ

वैक्सीन के साए में इस अदृश्य दुश्मन के खिलाफ भारत अपनी लड़ाई की शुरुआत कर चुका था लेकिन तभी दूसरी ने दस्तक दी। दूसरी लहर के प्रकोप और ऑक्सीजन व बेड के लिए भटकते लोगों की तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश की चेतना को हिला कर रख दिया। लेकिन दूसरी लहर के बीच 1 अप्रैल को देश में वैक्सीनेशन का नया चरण शुरू किया गया। इस चरण में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को वैक्सीन की डोज देने का लक्ष्य बनाया गया। जिसके बाद 1 मई को भारत ने 18 वर्ष और उससे ज्यादा आयु के सभी लोगों सहित अपने वैक्सीनेशन कवरेज का विस्तार किया।

 सभी के लिए मुफ्त वैक्सीन

भारत जैसे विकासशील देश के लिए सभी व्यक्तियों को वैक्सीन मिले इसके लिए भी प्रधानमंत्री ने सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त वैक्सीनेशन की व्यवस्था की। शुरुआत में फ्रंटलाइन वर्कर और मेडिकल स्टाफ के लिए निशुल्क वैक्सीनेशन की व्यवस्था की गई। इसके लिए मौजूदा बजट में वैक्सीनेशन के लिए लगभग 36 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया।

कितनी आबादी कोरोना के खिलाफ फुली वैक्सीनेटेड

 यूएई 86%
 क्यूबा 86%
 कनाडा 73%
 इटली 70%
 यूके 67%
 यूएस 56%
 भारत  21%
 पाकिस्तान 15%
 बांग्लादेश 12%

 

किन देशों के लोगों को मिली मास्क से मिली आजादी?

ब्रिटेन, अमेरिका, स्वीडन, चीन, न्यूजीलैंड, हंगरी, इटली के बाद हाल ही में साऊदी अरब ने पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों के लिए मास्क मेंडेटरी नहीं है। इजराइल दुनिया का पहला देश था जहां पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों को मास्क नहीं लगाने की छूट दी गई। हालांकि, डेल्टा वैरिएंट की वजह से मामले दोबारा बढ़ने पर मास्क लगाना फिर से अनिवार्य कर दिया गया।

वैक्सीनेशन में ये 5 राज्य सबसे आगे 

 राज्य     वैक्सीनेशन
 उत्तर प्रदेश 12.08 करोड़
 महाराष्ट्र 9.23 करोड़
 प बंगाल 6.82 करोड़
 गुजरात 6.73 करोड़
 मध्यप्रदेश 6.67 करोड़

बच्चों का वैक्सीनेशन अभी बाकी

वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ डोज़ का हो गया है, लेकिन बच्चों के लिए वैक्सीनेशन अभी भी बाकी है। लेकिन पीएम के दृढ़ संकल्प के कारण भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन अपने परीक्षण के अंतिम दौर में है और आने वाले कुछ ही दिनों में बच्चों को भी वैक्सीन देने की शुरुआत हो जाएगी। भारत में बच्‍चों के लिए कोवैक्‍सीन को जल्‍दी से अप्रूव किया गया है।

इस वैक्‍सीन को बनाने में होल विरिओन इनएक्टिविटिड वीरो सेल का इस्‍तेमाल किया गया है। इनएक्टिविटिड टीकों के रोग जनित प्रभाव नहीं होते हैं। इसके अलावा भारत में और भी कई वैक्‍सीन को लाने की योजना बनाई जा रही है। जाइडस कैडिला नीडल लैस डीएनए वैक्‍सीन 12 साल से अधिक उम्र के बच्‍चों के लिए मंजूरी मिली है। हालांकि, इसका ट्रायल अभी भी पूरा नहीं हुआ है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!