लोकतंत्र की जननी वाले बिहार में वोटिंग की स्थिति सबसे खराब,क्यों?

लोकतंत्र की जननी वाले बिहार में वोटिंग की स्थिति सबसे खराब,क्यों?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

विश्व में लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाले बिहार में मतदान में मतदाताओं की भागीदारी देश के सभी राज्यों से कम है. जम्मू-कश्मीर को छोड़ दिया जाये, तो लोकसभा चुनाव 2019 में देश के सभी राज्यों के मतदाताओं ने बिहार से अधिक संख्या में मतदान किया. स्थिति यह है कि 40 लोकसभा क्षेत्र वाले हमारे प्रदेश में सिर्फ कटिहार लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने राष्ट्रीय औसत के बराबर मतदान में भाग लिया. शेष सभी 39 लोकसभा क्षेत्रों में वोटर टर्नआउट राष्ट्रीय औसत से भी कम रहा.

2019 लोकसभा में बिहार में 57.33 प्रतिशत वोटिंग

देश में औसतन 67.4 प्रतिशत मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव 2019 में भाग लिया. इधर बिहार की 40 लोकसभा क्षेत्रों में सबसे कम 57.33 प्रतिशत मतदाता वोट देने निकले. इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर आठ जुलाई से बेसलाइन सर्वे का काम शुरू किया है, जो 25 जुलाई तक चलेगा.

लोकसभा चुनाव 2019 में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार लक्ष्यद्वीप में 85.21 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया है. पश्चिम बंगाल में 81.76 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया है, जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड में 66.8 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में भाग लिया था. उत्तर प्रदेश में भी बिहार से अधिक 59.21 प्रतिशत मतदाता वोट देने के लिए बूथों तक पहुंचे थे.

लोकसभा चुनाव 2019 में वोटर टर्नआउट (प्रतिशत में )

वाल्मीकिनगर (61.98 प्रतिशत), पश्चिम चंपारण (62.2 प्रतिशत), पूर्वी चंपारण (60.3 प्रतिशत), शिवहर (59.6) , सीतामढ़ी ( 59.32), मधुबनी (53.81), झंझारपुर (57.35), सुपौल (65.72), अररिया (64.79), किशनगंज (66.38), कटिहार (67.64), पूर्णिया (65.37), मधेपुरा (60.89), दरभंगा (58.35), मुजफ्फरपुर (61.17), वैशाली (61.91), गोपालगंज (55.78), सीवान (54.73), महाराजगंज ( 53.82), सारण ( 56.6), हाजीपुर (55.26), उजियारपुर (60.15), समस्तीपुर (60.74), बेगूसराय (62.63), खगड़िया (57.71), भागलपुर (57.2), बांका (58.6), मुंगेर (54.9), नालंदा (48.79), पटना साहिब (45.8), पाटलिपुत्रा (56.3), आरा (51.81), बक्सर (53.95), सासाराम (54.57), काराकाट (49.09), जहानाबाद (51.76), औरंगाबाद (53.67), गया (56.18), नवादा (49.73) और जमुई (55.73 प्रतिशत) मतदान हुआ.

राजनीतिक दल प्रत्याशियों के चयन में लगे हुए हैं. दलों के सामने प्रत्याशी चयन बड़ी चुनौती है, क्योंकि अगर पिछले चार लोकसभा चुनावों को देखें, तो बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों पर 80 फीसदी से अधिक प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो जाती है. इनमें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित दलों के दिग्गज प्रत्याशी भी शामिल हैं. जमानत जब्त हाेने वाले प्रत्याशियों की भारी संख्या बताती है कि अधिकतर प्रत्याशी या तो सिर्फ नाम के लिए चुनाव मैदान में कूदते हैं अथवा उनकी भूमिका ‘वोट कटवा’ उम्मीदवार की होती है.

2019 में 546 प्रत्याशियों की जमानत जब्त

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों पर 626 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इनमें 546 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी. इस तरह कुल प्रत्याशियों की तुलना में जमानत जब्त वाले प्रत्याशियों की संख्या 87.22 फीसदी रही, जो बिहार के बंटवारे के बाद हुए लोकसभा चुनावों में जमानत जब्त वाले प्रत्याशियों का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था.

जिन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी, उनमें राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवारों की संख्या 43, राज्य स्तरीय दलों के उम्मीदवारों की संख्या एक, रजिस्टर्ड दलों के प्रत्याशियों की संख्या 272 और स्वतंत्र उम्मीदवारों की संख्या 230 थी. जमानत जब्त के राष्ट्रीय आंकड़ों से तुलना करें, तो 2019 में देश की सभी लोकसभा सीटों पर कुल 6897 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. इसमें बिहार के प्रत्याशियों का प्रतिशत 7.92 रहा था.

2014 में 512 की जमानत

वर्ष 2014 के लाेकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर उतरे कुल 607 में से 512 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी थी. यह आंकड़ा कुल उम्मीदवारों का 84.34 प्रतिशत था. पूरे देश के जमानत जब्त वाले प्रत्याशियों में बिहार के प्रत्याशिययों की संख्या 7.3 प्रतिशत थी. इनमें राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की संख्या 45, राज्य स्तरीय दलों के उम्मीदवारों की संख्या 24 थी.

2009 में 583 की जमानत जब्त

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बिहार में कुल 672 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें 583 की जमानत जब्त हो गयी थी. यह आंकड़ा 86.75 प्रतिशत था़ इनमें राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की संख्या 81 और राज्य स्तरीय दल के प्रत्याशियों की संख्या पांच रही थी.

2004 में 375 की जमानत जब्त

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में बिहार में उतरे कुल प्रत्याशियों की संख्या 462 थी. इनमें 375 की जमानत जब्त हो गयी थी. यह आंकड़ा 81.17 प्रतिशत था. इसमें राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की संख्या 44 और राज्य स्तरीय दल के प्रत्याशियों की संख्या 67 रही थी.

स्वतंत्र उम्मीदवारों की भी जमानत नहीं बची थी

-वर्ष 2019 और 2014 के लोकसभा चुनावों में एक भी स्वतंत्र उम्मीदवार की जमानत नहीं बची थी, जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में 304 में से 300 की और 2004 के लोकसभा चुनाव में 200 में 196 स्वतंत्र उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई.

Leave a Reply

error: Content is protected !!