सीवान के सपूत व हिन्दी – भोजपुरी के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर रामाशंकर श्रीवास्तव के निधन पर शोक की लहर

सीवान के सपूत व हिन्दी – भोजपुरी के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर रामाशंकर श्रीवास्तव के निधन पर शोक की लहर

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श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार रचनाकार डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव का निधन 1 जुलाई के दिल्ली में होने की सूचना मिलते ही सीवान में उनके चाहने वालों में दुःख की लहर फैल गई।

बता दें कि डॉ० रमाशंकर श्रीवास्तव अस्वस्थ्य रहने के कारण पिछले 4 जून 2021 से ही दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थें। 1 जुलाई 2021 की रात्रि में उनका निधन हो गया।

गौरतलब हो कि डा० रमाशंकर श्रीवास्तव राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक थें। उनका घर सीवान जिले के पचरुखी में पड़ता है।
अपने नौकरी के लिए भले ही वे दिल्ली में रहते थे, लेकिन अपने गांव हमेशा आते-जाते रहते थे।

डा० रमाशंकर श्रीवास्तव ने हिन्दी साहित्य में उपन्यास, हास्य-व्यंग, समीक्षा आ संपादन के लगभग पैंतालिस से ऊपर किताबों के रचना के साथ ही साथ भोजपुरी में ‘दाल-भात तरकारी’ भोजपुरी उपन्यास (2009), ‘चउका बइठल महादेव’ भोजपुरी कहानी-संग्रह (2009), ’इया के खटोली’ भोजपुरी उपन्यास (2010), ‘बोतलदास के बयान’ भोजपुरी उपन्यास (2013), ‘लसरा कुटाइन’ भोजपुरी कविता-संग्रह (2013), ‘मकई के लावा’ भोजपुरी कविता-संग्रह (2013) आदि किताबों की रचना की है।

डा० रमाशंकर श्रीवास्तव के सम्पादन में ‘श्रीप्रभा’ त्रैमासिक आऔ ‘पूर्वांकुर’ पत्रिका बहुत स्तरीय व चर्चित रहें हैं। उनकी कई रचनाएं आकाशवाणी दिल्ली से प्रसारित भी होती रही है।

उनके नेतृत्व में ‘आस्वाद’ (साहित्य-संस्कृति) दिल्ली के संचालन व छठवाँ विश्व हिन्दी सम्मलेन लन्दन में व्यंग साहित्य पर आलेख-पाठ शानदार रहा हैं।

डा० रमाशंकर श्रीवास्तव को हिन्दी व्यंग लेखन में हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा ‘काका हाथरसी’ सम्मान से सम्मानित किया जा चुका हैं। वहीं वे दिल्ली सरकार के मैथिलि-भोजपुरी अकादमी के सदस्य, इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के भोजपुरी पाठ्यक्रम समिति के सदस्य व विश्व भोजपुरी सम्मलेन के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी थें।

सीवान के इस महान सपूत के निधन पर शत-शत नमन व सादर श्रद्धांजलि।
आभार-आखर।

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