Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ और बाधाएँ क्या हैं? - श्रीनारद मीडिया

भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ और बाधाएँ क्या हैं?

भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ और बाधाएँ क्या हैं?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय बजट 2023 ने राज्यों के लिये ‘पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ के आवंटन को दोगुना कर दिया है (5,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपए) और भारतीय रेलवे के लिये 2.4 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय की घोषणा की है।

  • यह योजना ‘‘सड़कों, रेलवे, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जन परिवहन, जलमार्गों और लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के इंजनों पर निर्भर आर्थिक विकास एवं सतत विकास के लिये एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण’’ है।
  • रेल द्वारा माल ढुलाई में बाधा उत्पन्न करने वाली अवसंरचना संबंधी चुनौतियों का समाधान करने हेतु एक उपयुक्त मंच प्रदान करते हुए पीएम गति शक्ति ने वर्ष 2030 तक रेल माल ढुलाई को 27% से बढ़ाकर 45% करने और माल ढुलाई की मात्रा को 1.2 बिलियन टन से बढ़ाकर 3.3 बिलियन टन तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

Gati-Shakti-Master-Plan

  • इस परिदृश्य में, लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में देश की प्रतिस्पर्द्धात्मकता की वृद्धि के लिये लॉजिस्टिक्स प्रणाली में सुधार लाना आवश्यक है।

भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली से संबद्ध मुद्दे

  • मोडल मिक्स का एक ओर झुका होना:
    • भारत की माल ढुलाई में मोडल मिक्स (Modal Mix) सड़क परिवहन की ओर बहुत अधिक झुका हुआ है, जहाँ 65% माल ढुलाई सड़क मार्ग से संपन्न होती है। इससे सड़कों पर भीड़भाड़, प्रदूषण और लॉजिस्टिक्स लागत में वृद्धि जैसे परिणाम उत्पन्न हुए हैं।
  • रेल फ्रेट हिस्सेदारी की हानि:
    • रेलवे परिवहन का अधिक लागत प्रभावी साधन है, लेकिन सड़क परिवहन की सुविधा के कारण अधिक लचीले साधनों के समक्ष माल ढुलाई में अपनी हिस्सेदारी खो रही है।
    • भारतीय रेलवे आवश्यक टर्मिनल अवसंरचना की कमी, अच्छे शेड एवं गोदामों के रखरखाव, वैगनों की अनिश्चित आपूर्ति, बारहमासी सड़कों की अनुपस्थिति ( जिससे देश का एक बड़ा हिस्सा रेलवे की पहुँच से बाहर है) जैसी अवसंरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रही है।
      • इसके परिणामस्वरूप उच्च नेटवर्क संकुलन, निम्न सेवा स्तर और पारगमन समय में वृद्धि की स्थिति बनती है।
  • थोक वस्तुओं का प्रभुत्व:
    • कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक भारत के माल ढुलाई में एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रखते हैं, जबकि गैर-थोक वस्तुओं की रेल माल ढुलाई में बहुत कम हिस्सेदारी है।
      • वर्ष 2020-21 में भारत की कुल 1.2 बिलियन टन माल ढुलाई में कोयले की हिस्सेदारी 44% थी; इसके बाद लौह अयस्क (13%), सीमेंट (10%), खाद्यान्न (5%), उर्वरक (4%), लौह एवं इस्पात ((4%) का स्थान रहा।
      • रेल माल ढुलाई में गैर-थोक वस्तुओं की हिस्सेदारी बहुत कम है।
  • परिचालन और कनेक्टिविटी संबंधी चुनौतियाँ:
    • रेल द्वारा अधिक पारगमन समय, गमन के पूर्व और बाद की प्रक्रियात्मक देरी, मल्टी-मोडल हैंडलिंग तथा रेल द्वारा एकीकृत प्रथम और अंतिम-मील कनेक्टिविटी की अनुपस्थिति भारत की लॉजिस्टिक्स प्रणाली के समक्ष विद्यमान परिचालन एवं कनेक्टिविटी संबंधी चुनौतियों में से कुछ हैं।
  • कुशल और विशेषज्ञ कर्मियों की कमी:
    • यह सबसे प्रमुख चिंताओं में से एक के रूप में उभरा है, विशेष रूप से माल की बढ़ती मात्रा, जटिल संचालन और मल्टी-टास्किंग के साथ बढ़ते कार्य दबाव के कारण।
    • मुख्यतः श्रम-गहन प्रक्रियाओं के लिये अनुभवी मानव संसाधन की उपलब्धता, उच्च कौशल एवं विशेषज्ञता की मांग लॉजिस्टिक्स कंपनियों के लिये चुनौतीपूर्ण है।
  • भंडारण और कराधान संबंधी विसंगतियाँ:
    • लॉजिस्टिक्स कंपनियाँ आम तौर पर भंडारण या वेयरहाउसिंग का विकल्प चुनती हैं क्योंकि यह उन्हें सामानों को भंडारित करने और मांग के अनुरूप उन्हें ग्राहक के पास पहुँचाने में सक्षम बनाता है। यह पारगमन समय को कम करने में मदद करता है।
    • लेकिन भंडारण लागतहीन रूप से उपलब्ध नहीं है और इष्टतम उपयोग के लिये उपयुक्त योजना की आवश्यकता रखता है।
  • विखंडन:
    • भारत में लॉजिस्टिक्स उद्योग अत्यधिक खंडित है, जहाँ कई छोटे और मध्यम आकार के खिलाड़ी स्वतंत्र रूप से कार्यरत हैं, जिससे संसाधनों के उप-इष्टतम उपयोग एवं उच्च लागत की स्थिति बनती है।
  • अक्षम आपूर्ति शृंखला प्रबंधन:
    • आपूर्ति शृंखला में विभिन्न खिलाड़ियों (निर्माता, वितरक, खुदरा विक्रेता आदि) के बीच समन्वय की कमी के कारण अक्षमता, देरी और लागत में वृद्धि की स्थिति बनती है।

लॉजिस्टिक्स से संबंधित प्रमुख पहलें

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP)
  • माल का बहुविध परिवहन अधिनियम, 1993
  • पीएम गति शक्ति योजना
  • मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
  • लीड्स रिपोर्ट
  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
  • सागरमाला परियोजना
  • भारतमाला परियोजना

आगे की राह

  • निवेश की आवश्यकता:
    • भारत को अपनी लॉजिस्टिक्स प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार के लिये चीन की तरह त्वरित एवं निम्न-लागत कंटेनर गमन के लिये उन्नत रेल अवसंरचना में भारी निवेश करने की आवश्यकता है।
    • प्राथमिकता के नए क्षेत्रों की पहचान करने के साथ-साथ मौजूदा परियोजनाओं की निरंतर निगरानी भी रेल माल ढुलाई के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी।
    • भारत को अतिसंतृप्त लाइन क्षमता बाधाओं को कम करने और ट्रेनों के परिचालन समय में सुधार करने के लिये डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर विकसित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
      • भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी कॉरिडोर पर विकसित किये जा रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क अतिसंतृप्त लाइन क्षमता बाधाओं को कम करेंगे और ट्रेनों के परिचालन समय में सुधार करेंगे।
  • निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना:
    • भारतीय रेलवे को लॉजिस्टिक्स प्रणाली की दक्षता बढ़ाने के लिये टर्मिनलों, कंटेनरों एवं गोदामों के संचालन और प्रबंधन में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • एक विशेष इकाई की स्थापना:
    • भारतीय रेलवे को इंटरमॉडल लॉजिस्टिक्स के प्रबंधन के लिये निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में एक विशेष इकाई (special entity) स्थापित करनी चाहिये जो कार्गो आवाजाही एवं भुगतान लेनदेन के संबंध में ग्राहकों के लिये एकल खिड़की के रूप में कार्य कर सके।
  • एकीकृत लॉजिस्टिक्स अवसंरचना:
    • नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों को रेल द्वारा निर्यात की सुविधा के लिये प्रथम और अंतिम-मील कनेक्टिविटी के साथ एक एकीकृत लॉजिस्टिक्स अवसंरचना का निर्माण किया जाना आवश्यक है।
  • पड़ोसी देशों के साथ सहयोग निर्माण:
    • भारत को एक निर्बाध लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विकसित करने के लिये पड़ोसी देशों के साथ सहयोग निर्माण करना चाहिये जो सीमाओं के पार माल की कुशल आवाजाही की सुविधा प्रदान कर सके।
    • उदाहरण के लिये:
      • बांग्लादेश और भारत ‘पेट्रापोल-बेनापोल एकीकृत चेक पोस्ट (ICP)’में सहयोग का निर्माण कर सकते हैं, जिसने पहले ही दोनों देशों के बीच व्यापार सुविधा को बेहतर बनाया है।
      • भारत और म्यांमार के बीच ‘कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट’ इस तरह के सहयोग निर्माण का एक अच्छा उदाहरण है जो भारत के कोलकाता एवं हल्दिया बंदरगाहों को म्यांमार के सितवे बंदरगाह से जोड़ने पर लक्षित है।
  • डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाना:
    • ब्लॉकचेन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने से लॉजिस्टिक्स प्रणाली की दक्षता बढ़ाने और परिचालन लागत को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • कौशल निर्माण एवं प्रशिक्षण:
    • लॉजिस्टिक्स प्रणाली के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिये लॉजिस्टिक्स उद्योग से संलग्न कार्यबल का कौशल निर्माण एवं प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण है।
  • नियामक सुधार:

Leave a Reply

error: Content is protected !!