भारत-म्याँमार के संदर्भ में मुक्त आवाजाही व्यवस्था क्या है?

भारत-म्याँमार के संदर्भ में मुक्त आवाजाही व्यवस्था क्या है?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

म्याँमार के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था (Free Movement Regime – FMR) समझौते की समीक्षा करने और भारत-म्याँमार सीमा पर बाड़ लगाने की भारत की हालिया योजनाओं पर विशेष रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में चर्चा शुरू हुई है।

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  • इस निर्णय का उद्देश्य ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा विचारों के जटिल अंतर्संबंध को संबोधित करना है।

मुक्त आवाजाही व्यवस्था (Free Movement Regime) क्या है? 

  • ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
    • वर्ष 1826 में यंदाबू की संधि द्वारा वर्तमान भारत-म्याँमार  सीमा स्थापित होने तक भारत का अधिकांश पूर्वोत्तर क्षेत्र बर्मा के कब्ज़े में था।
      • यंदाबू की संधि पर ब्रिटिश की ओर से जनरल सर आर्चीबाल्ड कैंपबेल और बर्मा की ओर से लेगिंग के गवर्नर महा मिन हला क्याव हतिन (Maha Min Hla Kyaw Htin) ने हस्ताक्षर किये।
        • इससे प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध (1824-1826) समाप्त हुआ।
    • हालाँकि सीमा ने साझा जातीयता और संस्कृति वाले समुदायों को उनकी सहमति के बिना अलग कर दिया, जिनमें नगालैंड तथा मणिपुर में नागा, साथ ही मणिपुर एवं मिज़ोरम में कुकी-चिन-मिज़ो समुदाय शामिल थे।
    • वर्तमान में भारत और म्याँमार  मणिपुरमिज़ोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में 1,643 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं, जिसमें से केवल 10 किमी. मणिपुर में बाड़ लगाई गई है।
  • मुक्त आवागमन व्यवस्था:
    • FMR की स्थापना वर्ष 2018 में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के हिस्से के रूप में की गई थी, जो बिना वीजा के 16 किमी. तक सीमा पार आवाजाही को बढ़ावा देता है।
      • सीमा पर रहने वाले व्यक्तियों को पड़ोसी देश में दो सप्ताह तक रहने के लिये एक वर्ष के सीमा पास की आवश्यकता होती है।
    • इसका उद्देश्य स्थानीय सीमा व्यापार को सुविधाजनक बनाना, सीमावर्ती निवासियों के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में सुधार करना तथा राजनयिक संबंधों को मज़बूत करना है।
  • FMR पर पुनर्विचार के संभावित कारण: 
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ:
      • घुसपैठ में वृद्धि: अवैध अप्रवासियों, विशेष रूप से चिन, नागा समुदायों और म्याँमार से रोहिंग्याओं की आमद के बारे में चिंताएँ पैदा हुई हैं, जिससे संसाधनों पर संभावित दबाव पड़ रहा है तथा स्थानीय जनसांख्यिकी प्रभावित हो रही है।
      • नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी: छिद्रपूर्ण सीमा दवाओं और हथियारों की अवैध आवाजाही को सुविधाजनक बनाती है, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होता है तथा अपराध को बढ़ावा मिलता है।
        • मुख्यमंत्री कार्यालय के आँकड़ों के अनुसार, 2022 में, मणिपुर में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत 500 मामले दर्ज किये गए और 625 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
      • उग्रवादी गतिविधियाँ: पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय विद्रोही समूहों द्वारा FMR का दुरुपयोग किया गया है, जिससे उन्हें आसानी से सीमा पार करने और कब्ज़े से बचने की अनुमति मिलती है।
        • जैसे मणिपुर में कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी-लाम्फेल (KCP-लाम्फेल)।
    • सामाजिक-आर्थिक और क्षेत्रीय मुद्दे:
      • सांस्कृतिक पहचान पर प्रभाव: सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वदेशी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण के बारे में चिंताएँ मौजूद हैं, संभावित रूप से बढ़ते प्रवासन से खतरा है।
      •   पर्यावरणीय गिरावट: सीमा क्षेत्रों पर निर्वनीकरण और प्राकृतिक संसाधनों के अवैध निष्कर्षण/दोहन को अनियंत्रित सीमा पार आवाजाही के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाता है।
      • क्षेत्रीय आवाजाही (Regional Dynamics): म्याँमार में चीन का बढ़ता प्रभाव और सीमा सुरक्षा पर इसका संभावित प्रभाव स्थिति में जटिलता का एक और कारण बन गया है।

भारत-म्याँमार संबंधों के प्रमुख पहलू क्या हैं?

  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: भारत और म्याँमार का सदियों पुराना एक लंबा इतिहास है, जिसमें बौद्ध धर्म का सांस्कृतिक और धार्मिक गहन संबंध निहित हैं।
    • मैत्री संधि, 1951 उनके राजनयिक संबंधों का आधार है।
  • आर्थिक सहयोग: भारत, म्याँमार का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और यहाँ निवेश का एक प्रमुख स्रोत है।
    • भारत म्याँमार में जिन परियोजनाओं में शामिल रहा है उनमें कलादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्टत्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना और बागान में आनंद मंदिर का जीर्णोद्धार तथा संरक्षण (2018 में पूरा हुआ) सम्मिलित हैं।
  • आपदा राहत: भारत ने म्याँमार में चक्रवात मोरा (वर्ष 2017), शान राज्य में भूकंप (वर्ष 2010) और वर्ष 2017 के जुलाई-अगस्त में यांगून में इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रकोप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद सहायता प्रदान करने में त्वरित तथा प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दी है।

आगे की राह

  • साझा हितों पर फोकस: बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग जारी रखने तथा विस्तार करने से दोनों देशों को फायदा हो सकता है, जिससे राजनीतिक मतभेदों से परे गहरे संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।
    • साथ ही, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने से दोनों देशों के लोगों के बीच विश्वास और समझ को बढ़ावा मिल सकता है।
  • व्यापक सीमा प्रबंधन: भारत को सीमा प्रबंधन के लिये एक व्यापक तथा संतुलित दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है जो म्याँमार के साथ वैध सीमा पार गतिविधियों को सुविधाजनक बनाते हुए सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान प्रस्तुत करे।
  • लोकतंत्रात्मक परिवर्तन का समर्थन: म्याँमार में भारत की भागीदारी का लक्ष्य अंततः म्याँमार के लोकतंत्र में शांतिपूर्ण परिवर्तन का समर्थन करना होना चाहिये, भले ही प्रक्रिया धीमी और चुनौतीपूर्ण हो।

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