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भारत कनाडा के बिच तनाव का क्या कारण है? - श्रीनारद मीडिया

भारत कनाडा के बिच तनाव का क्या कारण है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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कनाडा सरकार ने कनाडा की भूमि पर एक प्रमुख सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका होने का आरोप लगाते हुए एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को देश से निष्कासित कर दिया। जवाबी प्रतिक्रिया में भारत ने एक बयान जारी कर मामले में किसी भी संलग्नता से इनकार किया और इसने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया।

इन नवीन घटनाक्रमों के परिदृश्य में, भारत-कनाडा संबंधों के महत्त्व और द्विपक्षीय संबंधों को प्रबल एवं चिरस्थायी बनाने के लिये विभिन्न कठिनाइयों पर मिलकर काम करने की आवश्यकता के संबंध में विचार करना प्रासंगिक होगा।

भारत-कनाडा संबंधों के महत्त्वपूर्ण स्तंभ:

  • राजनीतिक संबंध: 
    • भारत ने कनाडा के साथ अपनी स्वतंत्रता के तुरंत बाद वर्ष 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किये थे।
    • भारत और कनाडा के बीच लोकतंत्र, मानवाधिकार, विधि का शासन और बहुलवाद जैसे साझा सिद्धांतों पर आधारित दीर्घकालिक द्विपक्षीय संबंध रहा है।
  • आर्थिक सहयोग:
    • हाल के समय में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार प्रतिवर्ष 6 बिलियन डॉलर का था और कनाडा में भारतीय निवेश का मूल्य 4 बिलियन डॉलर से अधिक था।
    • ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के अनुसार, अप्रैल 2000 से मार्च 2023 तक लगभग 3,306 मिलियन डॉलर के कुल निवेश के साथ कनाडा भारत में 18वाँ सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है।
    • 600 से अधिक कनाडाई कंपनियाँ भारत में उपस्थिति रखती हैं और 1,000 से अधिक कनाडाई कंपनियाँ भारतीय बाज़ार में सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं।
    • दोनों देश एक व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (Comprehensive Economic Partnership Agreement- CEPA) के लिये तकनीकी वार्ता में संलग्न हैं, जिनमें वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार, निवेश एवं व्यापार सुविधा जैसे विषय शामिल हैं।
  • प्रवासी संबंध: 
    • कनाडा विश्व में सबसे बड़ी भारतीय प्रवासी आबादी में से एक की मेजबानी करता है, जहाँ भारतीय मूल के 16 लाख लोग कनाडा में रहते हैं। वे कनाडा की कुल आबादी में 3% से अधिक की हिस्सेदारी रखते हैं और इनमें से 700,000 गैर-निवासी भारतीय (NRIs) हैं।
  • शिक्षा और नवाचार:
    • कनाडा में अध्ययनरत भारतीय छात्र कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की कुल आबादी का लगभग 40% हैं। 
    • कनाडा का बौद्धिक संपदा कार्यालय (Intellectual Property Office) और भारत का औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (DIPP) बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) के क्षेत्र में सहयोग को सशक्त करने पर सहमत हुए थे।
  • रणनीतिक महत्त्व: 
    • क्षेत्र में भारत के बढ़ते आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय महत्त्व को देखते हुए और कनाडा की अर्थव्यवस्था में विविधता लाने के लिये कनाडा की हिंद-प्रशांत रणनीति में भारत एक महत्त्वपूर्ण भागीदार के रूप में उपस्थिति रखता है।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: 
    • IC-IMPACTS कार्यक्रम के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग स्वास्थ्य देखभाल, एग्री-बायोटेक और अपशिष्ट प्रबंधन में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है।
      • IC-IMPACTS (India-Canada Centre for Innovative Multidisciplinary Partnerships to Accelerate Community Transformation and Sustainability) दोनों देशों के बीच प्रथम और एकमात्र अनुसंधान उत्कृष्टता केंद्र (Canada-India Research Centre of Excellence) है।
    • भारत के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ‘पोलर कनाडा’ (Polar Canada) ने शीत जलवायु (आर्कटिक) अध्ययन पर ज्ञान के आदान-प्रदान और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये एक कार्यक्रम शुरू किया है।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र: 
    • इसरो (ISRO) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) ने बाह्य अंतरिक्ष के अन्वेषण एवं उपयोगिता पर समझौता ज्ञापन (MOUs) पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स (ANTRIX) ने कनाडा के  लिये कई नैनो उपग्रह लॉन्च किये हैं।
    • इसरो द्वारा वर्ष 2018 में भारतीय अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किये गए इसके 100वें सैटेलाइट PSLV में कनाडा का पहला LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) उपग्रह भी शामिल था।

भारत-कनाडा संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ:  

  • सांस्कृतिक संवेदनशीलताएँ: 
    • भारत सरकार ने कनाडा के भीतर कुछ सीमांत समूहों की उपस्थिति एवं गतिविधियों पर लगातार चिंताएँ प्रकट की हैं जो भारत में एक स्वतंत्र सिख राज्य ‘खालिस्तान’ के विचार के प्रति सहानुभूति रखते हैं।
    • हाल ही में कनाडा ने एक ऐसे परेड की अनुमति दी जिसमें वर्ष 1984 में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा नृशंस हत्या को प्रदर्शित किया गया था। इस निरूपण को सिख अलगाववादियों द्वारा हिंसा के महिमामंडन के रूप में देखा गया।
    • विल्सन सेंटर थिंक-टैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन (Michael Kugelman) का मानना है कि कनाडा में बढ़ती सिख गतिविधियों, ओटावा पर नई दिल्ली के बढ़ते दबाव और भारतीय चिंताओं को दूर करने के प्रति ओटावा की अनिच्छा के संयोजन ने वर्तमान समय में द्विपक्षीय संबंधों को एक गहरे संकट की ओर धकेल दिया है।
  • वीज़ा और आप्रवासन नीतियाँ:
    • हाल के वर्षों में, ऐसी ख़बरें आई हैं कि भारतीय छात्रों को कनाडा में अध्ययन करने के लिये वीज़ा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारत में असंतोष पैदा हुआ है और चिंताएँ बढ़ी हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भिन्न रुख:
    • हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा और भारत के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई; यह संलग्न औपचारिक मुलाक़ात तक ही सीमित रही।
    • कश्मीर की राजनीतिक स्थिति जैसे मुद्दों पर भिन्न दृष्टिकोण के कारण भी दोनों देशों के राजनयिक संबंधों में एक तनाव उत्पन्न होता है।
  • कृषि व्यापार विवाद: 
    • भारतीय डेयरी और पोल्ट्री उत्पादक दालों एवं कैनोला तेल जैसे विभिन्न उत्पादों के कनाडाई निर्यात पर व्यापार संबंधी चिंताएँ रखते हैं।

आगे की राह:

  • खालिस्तान के मुद्दे को हल करना: 
    • सिख समुदाय के सदस्यों, भारत सरकार के प्रतिनिधियों और कनाडाई अधिकारियों सहित सभी हितधारकों के बीच खुले एवं समावेशी संवाद को प्रोत्साहित किया जाए।
    • दोनों देशों को किसी भी राजनीतिक अतिवाद से निपटने के लिये कानूनी कदम उठाने चाहिये। 
  • आर्थिक विविधीकरण: 
    • उभरती प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों को शामिल करने के लिये पारंपरिक क्षेत्रों से परे व्यापार का विस्तार सहयोग एवं आर्थिक विकास के लिये नए अवसरों के द्वार खोल सकता है।
  • सांस्कृतिक विनियमन: 
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों, कला प्रदर्शनियों और फ़िल्म समारोहों को प्रोत्साहन देने से एक-दूसरे की संस्कृतियों एवं परंपराओं की गहरी समझ को बढ़ावा मिल सकता है।
  • पर्यावरण क्षेत्र में सहयोग: 
    • जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये साझा प्रतिबद्धता को देखते हुए, भारत और कनाडा हरित प्रौद्योगिकियों, सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा पहलों के क्षेत्र में मिलकर कार्य कर सकते हैं।
  • राजनयिक संलग्नता: 
    • नियमित रूप से उच्च-स्तरीय राजनयिक संवाद और आदान-प्रदान वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के रुख को संरेखित करने तथा आपसी समझ को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
  • सुरक्षा सहयोग: 
    • आतंकवाद-रोधी मुद्दों पर, विशेष रूप से आतंकवाद-रोधी संयुक्त कार्यसमूह की रूपरेखा के माध्यम से प्रबल सहयोग स्थापित किया जाना चाहिये।

निष्कर्ष: 

भारत और कनाडा दोनों को राजनीतिक रूप से विवादास्पद मुद्दों से आगे बढ़ते हुए सहयोग एवं सहकार्यता के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करना चाहिये। इस गतिशील साझेदारी के लिये भविष्य में बड़ी संभावनाएँ मौजूद हैं और दोनों देशों को इसके द्वारा प्रस्तुत अवसरों का लाभ उठाने से चूकना नहीं चाहिये।

 

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