ट्रंप को थैंक्यू कहने में क्या बुराई है- आशा मोटवानी
नहीं चलेगी ट्रंप की मनमानी!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। अमेरिका के इस एकतरफा फैसला का भारत ने विरोध जाहिर किया है। ट्रंप के इस फैसले से दोनों देशों के बीच तनाव गहरा गया है। टैरिफ लागू किए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज जारी कर अमेरिका के फैसले पर नाराजगी जाहिर की है।
ट्रंप को भारत की ओर से धन्यवाद कहूंगी: आशा जडेजा मोटवानी
ट्रंप का कहना है कि भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए। रूस से तेल खरीदकर भारत यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उसकी मदद कर रहा है। इसी बीच भारतीय मूल की अमेरिकी निवेशक और रिपब्लकिन पार्टी की इकलौती भारतीय-अमेरिकी मेगाडोनर आशा जडेजा मोटवानी ने भारत को सलाह दी है कि वो ट्रंप के इरादे और सोच को समझने के लिए उनसे संपर्क करे।
मोटवानी ने ये भी कहा कि भारत की ओर से ट्रंप को थैंक्यू बोलना चाहिए क्योंकि उन्होंने अपने दो मंत्रियों (जेडी वेंस और मार्को रुबयो) को भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष को खत्म करने के लिए काम पर लगाया था। उन्होंने कहा कि सैन्य संघर्ष का नतीजा कुछ भी हुआ हो लेकिन भारत की ओर से ट्रंप को थैंक्यू बोलने में बुराई क्या है?
‘मैं भारत को सलाह दे सकती हूं’
मोटवानी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, मैं रिपब्लिकन पार्टी की एकमात्र भारतीय-अमेरिकी मेगाडोनर हूं। मैं भारत को मेरी राय की सलाह देती हूं कि ट्रंप के दिमाग में क्या चल रहा है? हो सकता है कि मैं सौ प्रतिशत सही न रहूं, लेकिन करीब जरूर रहूंगी।
उन्होंने आगे भारत को फेडरल इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट देखने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि फेडरल इलेक्शन कमीशन की साइट देखिए, वहां साफ लिखा है कौन कितना फंड दे रहा है। उन्होंने कहा कि वो शायद ट्रंप को भारत-पाकिस्तान तनाव को खत्म करने के प्रयास के लिए धन्यवाद देंगी।
इतना ही नहीं उन्होंने ट्रंप को नोबेल परस्कार देने की पैरवी भी की। उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप को नेबेल पुरस्कार मिलता है तो उन्हें इससे ताकत मिल सकती है। वो रूस-यूक्रेन युद्ध को भी खत्म कराने की कोशिश में जुटे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ रूस, चीन और भारत पर एकतरफा दबाव बनाने में जुटे हैं; वहीं इन तीनों देशों के बीच कूटनीतिक संपर्क बढ़ने के साफ संकेत है। शुक्रवार को पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बात हुई। इसके कुछ ही देर बाद पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की।
प्रधानमंत्री मोदी की आगामी चीन यात्रा को लेकर वहां की सरकार ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि चीन मोदी के स्वागत को तैयार है। उनकी प्रस्तावित यात्रा को उसने मित्रता का समागम बताया।
इस तरह से देखा जाए तो ट्रंप ने ब्रिक्स संगठन के जिन चार संस्थापक देशों (भारत, चीन, रूस और ब्राजील) को निशाना बनाया है, उनके शीर्ष नेताओं के बीच पिछले 24 घंटे में संवाद हो चुका है। जाहिर है कि ये संवाद कूटनीतिक तौर पर अमेरिका के बरक्स अपने राष्ट्रीय हितों को मजबूती देने से जुड़े हुए हैं।
इस वर्ष के अंत तक भारत आएंगे पुतिन
प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरनेट मीडिया पर जानकारी दी, ”मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से बहुत अच्छी और विस्तार में बातचीत हुई। यूक्रेन पर ताजी जानकारी देने के लिए मैंने उनका धन्यवाद किया। हमने द्विपक्षीय संबंधों के एजेंडे की समीक्षा की और भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी को और ज्यादा गहरा बनाने पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। राष्ट्रपति पुतिन इस वर्ष के अंत तक भारत आएंगे, मैं उनका इंतजार कर रहा हूं।” एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में पुतिन से मुलाकात की थी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी अगले कुछ दिनों के भीतर रूस और चीन की यात्रा करने वाले हैं। सनद रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्तेभर में 70 देशों के आयात पर पारस्परिक शुल्क लगाने का एलान किया है। इसमें सबसे ज्यादा शुल्क उन्होंने अमेरिका के सबसे बड़े रणनीतिक साझेदार देश भारत पर लगाया है।
ट्रंप टैरिफ का भारत ने जताया कड़ा विरोध
भारत पर पहले 25 प्रतिशत और उसके बाद 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान किया गया है। अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए लगाया गया है। भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है और राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को असंगत व अन्यायपूर्ण करार दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के लिए हरसंभव कदम उठाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी गुरुवार को कहा कि देश किसानों व मछुआरों के मुद्दे पर नहीं झुकेगा, भले ही इसका उन्हें व्यक्तिगत नुकसान हो। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संबंधों को सुधारने को लेकर पिछले 20 वर्षों की कोशिशों पर पानी फेर दिया है।प्रधानमंत्री मोदी की एक दिन पहले ही ब्राजील के राष्ट्रपति लुला दा सिल्वा से भी बात हुई थी। ब्राजील भी अमेरिका के निशाने पर है।