चित्रगुप्त पूजा कब है, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और खास बातें

चित्रगुप्त पूजा कब है, शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और खास बातें

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चित्रगुप्त पूजा दीपावली के 2 दिन बाद कार्तिक मास की शुक्‍ल द्वितीया के दिन की जाती है। इस दिन भगवान चित्रगुप्‍त की पूजा की जाती है। मान्‍यताओं के अनुसार, भगवान चित्रगुप्‍त यमराज के सहयोगी माने जाते हैं और मनुष्‍यों के कर्मों का लेखाजोखा रखने का काम उनको सौंपा गया है।

यमराज के सहयोगी के तौर पर भगवान चित्रगुप्‍त के पास सभी के अच्‍छे और बुरे कर्मों का हिसाब रहता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्‍त के साथ उनकी कलम और दवात की पूजा भी की जाती है। कायस्‍थ समाज के लोगों के बीच में यह पूजा बहुत ही विधि विधान से की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि भाई दूज के दिन चित्रगुप्‍त भगवान की पूजा करने से मृत्‍यु के बाद नरक की प्रताड़ना नहीं झेलनी पड़ती और बैकुंड की प्राप्ति होती है।

पंचांग के अनुसार,हर साल कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज के साथ भगवान चित्रगुप्त की पूजा-आराधना भी की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त संसार में मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। इस दिन चित्रगुप्त जी के साथ कलम और दवात की भी पूजा का विधान है। कहा जाता है कि ऐसा करने पर जातक को मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक की प्राप्ति होती है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे नरक के कष्ट नहीं झेलने पड़ते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का आरंभ 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से होगी और इसका समापन 15 नवंबर दोपहर 1 बजकर 45 पर समाप्त होगी। सुबह पूजा का शुभ महूर्त 10 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। अमृत काल मुहूर्त शाम 5 बजे से से 6 बजकर 36 तक है।

चित्रगुप्त पूजा का महत्‍व

चित्रगुप्त पूजा के बारे में ऐसी मान्‍यता है कि कायस्‍थ समाज के लोग इस दिन पूजापाठ करते हैं और कार्यक्षेत्र से जुड़ा कोई काम नहीं करते। इस दिन चित्रगुप्‍त की पूजा करने से आपकी स्‍मरण शक्ति में वृद्धि होती है। करियर में तरक्‍की होती है। इस दिन कारोबारी लोग भी अपने प्रतिष्‍ठान में कलम और गल्‍ले की पूजा करते हैं। इससे उनके कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है। कारोबारियों के लिए इस पूजा का महत्‍व सबसे खास माना जाता है।

चित्रगुप्त पूजा की सही डेट: इस साल चित्रगुप्त की पूजा 14 नवंबर 2023 दिन मंगलवार को पड़ रही है। पंचांग के अनुसार, साल 2023 में चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट से हो रही है और  15 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार, 14 नवंबर को सुबह 10 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 13 मिनट पूजा का पहला मुहूर्त बन रहा है। दूसरा सुबह 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक पूजा का अभिजीत मुहूर्त बन रहा है और शाम को 5 बजे से 6 बजकर 36 मिनट तक पूजा का अमृत काल मुहूर्त बन रहा है। इस दिन दोपहर के समय 3 बजकर 03 मिनट से 4 बजकर 29 मिनट तक राहुकाल का समय है। इस दौरान शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है।

चित्रगुप्त पुजा सामग्री: चित्रगुप्त भगवान की पूजा के लिए कपूर, तुलसी, मिठाई, पेपर, पेन, शहद, एक कपड़ा, पीली सरसों, गंगाजल, इंक,पान,तिल, गुलाल, तुलसी का पत्ता, फल, फूल, रोली, अक्षत और चंदन चाहिए।

पूजाविधि:

चित्र गुप्त पूजा के लिए लकड़ी की एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
अब इस पर चित्रगुप्त जी की प्रतिमा स्थापित करें।
चित्रगुप्त भगवान को फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
पूजा के दौरान चित्रगुप्त जी की प्रतिमा के सामने कलम रखें।
एक सफेद कागज पर हल्दी लगाएं और उसपर ‘श्री गणेशाय नमः’ लिखें।
कागज के नीचे अपना नाम, पता और डेट लिख दें। दूसरे तरफ अपने खर्चों का विवरण लिखें।
इसके बाद कागज पर 11 बार ऊँ चित्रगुप्ताय नमः मंत्र लिखें।
पूजा के बाद कलम उठाकर अपने पास रख लें और इसका इस्तेमाल करें।

चित्रगुप्त भगवान की पूजा करने के लिए लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान चित्रगुप्‍त की तस्‍वीर स्‍थाप‍ित करें। चित्र पर फूल की माला, फल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद पूरी श्रद्धा और आस्‍था के साथ चित्रगुप्‍त भगवान की पूजा करें और आरती करें। उसके बाद सादा कागज पर चित्रगुप्‍त भगवान की तस्‍वीर बनाएं और ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम सीता और राधा कृष्ण के नाम लिखें।

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