नए वर्ष में किसका स्वागत होना चाहिए?

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राजेश पाण्डेय,सम्पादक,श्रीनारद मीडिया

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ग्रेगेरियन कैलेंडर के अनुसार अंग्रेजी नव वर्ष प्रारंभ हो गया है| जो बीत गया वह कल था और जो आने वाला है वह भी कल होगा| चिंतन करने पर ज्ञात होता है कि भारतीय दर्शन में समय को एक अविछिन्न प्रवाह के सिद्धांत के रूप में स्थापित किया गया है| इसके लिए भूत-भविष्य दोनों एक ही है और वर्तमान इन दोनों को जोड़ने वाला एक सेतु है|

‘कल’ शब्द अतीत और भविष्य दोनों के लिये एक ही है,इन दोनों को जोड़ने के लिये वर्तमान हैं| यह ‘कल’ मुख्यता काल से बना है जो समय का धोतक है| जो इस काल के प्रभाव से परे हो जाता है, उसे महाकाल अर्थात भगवान शिव कहा गया है| इसी से जुड़ा शब्द है ‘सत श्री अकाल! वाह! क्या बात है| इसमें हम गति का अनुभव करते हैं यानी कि अनवरत प्रवाह, जिसे हम समय में उसी तरह से देखते हैं, जैसे की नदी के उद्गम से लेकर किसी अन्य में विलीन हो जाने की उसकी संपूर्ण यात्रा को| यह यात्रा एक ही होती है, यात्रा में बहने वाला जल भी एक ही होता है, लेकिन उसके स्थान एक नहीं होते|

यहाँ हम पाते हैं कि जो बात एक राष्ट्र व एक समुदाय के लिए सत्य है, वही बात एक व्यक्ति के लिए भी सत्य है| ऐसे में हमारा जीवन निरंतर कर्म एवं अनुभव के कई पड़ाव होकर गुजरता है| इससे हमारी चेतना विकसित होती है, जो हमें ‘असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय’ को इंगित करती है जिसमें गति का प्रावधान है|

महान चिंतक, विचारक, साहित्यकार, व कवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी कविता ‘एकला चलो रे’ में कहा है कि…

“हे मनुष्य! चलना ही जीवन है|

आगे बढ़ना ही जिंदगी की निशानी है|

अतः तू चलता चल, जीवन भर बढ़ता चल|……”

भविष्य उन्हीं के कदमों को चुमेगा, जो निरंतर अपने अंदर नई चेतना का आह्वाहन कर अपने को नया रूप देते रहेंगे| यही नवीन चेतना हमारी दृष्टि को भी बदलेगी और जैसे ही दृष्टि बदलती है वैसे ही दृश्य भी बदल जाते हैं| क्योंकि अज्ञानता से ज्ञान की यात्रा करते समय हम प्राचीन व नवीन का विचार करने लगते हैं| वस्तुत: देखा जाए तो पिछला नष्ट नहीं होता वरन वह नवीनता में परिवर्तित हो जाता है| हमारी सनातन परंपरा में यह ‘काल’ स्थिरता व स्वाभिमान का प्रतीक है जो नित्य नूतन रूप ग्रहण करने का अवसर देता है|

अगर आप इसे ही नववर्ष मानते हैं तो अपने चित्त का स्वागत करिए जो आपको वर्षभर सत्य, सुंदर, सरल, सुगम, निर्मल बनाए रखेंगा| यह दिवस आपके संकल्प के स्वागत का दिन है| आइए अपने-आप से मिलकर मनाएं नववर्ष।

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