वे कौन लोग थे जिन्होंने नेताजी मुलायम सिंह यादव को PM नहीं बनने दिया था?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी ‘धूमकेतु’ की तरह चमकने वाले समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव भले ही सक्रिय राजनीति से दूर हो गए हों, लेकिन उनके चाहने वालों की संख्या कम नहीं हुई है। इस बात का अहसास आज तब हो गया, जब पूरा प्रदेश मुलायम सिंह के जन्मदिन की खुशियों में ‘सराबोर’ होता दिखा। तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री रह चुके सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज अपना 82वां जन्मदिन मना रहे हैं।

समाजवादी पार्टी ने ऐलान किया है कि वह सादगी से सपा संरक्षक का जन्मदिन मनाएगी लेकिन फिर भी मुलायम को बधाइयां देने के लिए प्रदेश कार्यालय पर सपा समर्थकों का तांता लग गया। मुलायम ने बड़ी संख्या में उपस्थित पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच केक काटा और सबका अभिवादन भी स्वीकार किया।

देखा जाये तो समाजवादी पार्टी की कमान आज भले ही उनके पुत्र अखिलेश यादव के हाथों में आ गई हो लेकिन पार्टी के आम कार्यकर्ता को यही लगता है कि अखिलेश शायद ही पिता मुलामय सिंह जैसी ऊंचाइयां हासिल कर पाएं। हम आपको बता दें कि 2012 के विधान सभा चुनाव में मुलायम आखिरी बार समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करते दिखे थे, उस चुनाव में समाजवादी पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई थी और अखिलेश मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद से कुछ खास मौकों पर ही मुलायम सार्वजनिक रूप से दिखाई देते हैं या फिर उन्हें संसद सत्र के दौराना देखा जाता है।

मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के सैफई गाँव में 22 नवंबर 1939 को हुआ था। वह आज 82 साल के हो गए हैं। मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। उन्हें राजनीति विरासत में नहीं मिली थी। बल्कि अपने संघर्ष के बल पर वह यहां तक पहुंचे थे। इसीलिए मुलायम को उनके चाहने वाले धरती पुत्र की ‘उपाधि’ देते हैं। मुलायम पहली बार 1967 में विधायक चुने गए थे। आपातकाल के दौरान मुलायम सिंह 19 महीने तक जेल में बंद रहे थे। पहली बार वह 1977 में राज्य मंत्री बनाये गए।

1980 में वह लोकदल के अध्यक्ष बने। 1985 के बाद मुलायम ने क्रांतिकारी मोर्चा बनाया। मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव चंद्रशेखर के जनता दल (सोशलिस्ट) से जुड़े और मुख्यमंत्री बने रहे। इसमें कांग्रेस का समर्थन भी शामिल था। 1991 में कांग्रेस की ओर से समर्थन वापस लेने से मुलायम सरकार गिर गई थी। 1991 में बीच में ही चुनाव हुए, लेकिन मुलायम सिंह यादव की पार्टी की सरकार नहीं बनी।

इसके बाद 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया और 1993 में बसपा के समर्थन से एक बार फिर मुलायम सत्ता में लौटे। इसके बाद 2003 में मुलायम सिंह यादव फिर सत्ता में लौटे और मुख्यमंत्री बने। मुलायम सिंह यादव 1996 से 1998 तक देश के रक्षा मंत्री भी रहे। 2012 में मुलायम सिंह यादव की पार्टी फिर उत्तर प्रदेश की सत्ता में लौटी, लेकिन तब मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव को सीएम बनाया।

मुलायम सिंह अपने राजनीतिक कॅरियर में 09 बार जेल गए। मुलायम के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब उन्हें सबकी सहमति से प्रधानमंत्री पद पर बिठाने की तैयारी हो गई थी। दरअसल साल 1996 में जब अटलजी की 13 दिन की सरकार गिर गयी थी तब कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चा की सरकार बनना तय हुआ। इस सरकार में प्रधानमंत्री पद मुलायम सिंह यादव को देने की सहमति बन चुकी थी।

शपथ ग्रहण का समय तक तय हो चुका था। सुबह 08.00 बजे शपथ होनी थी लेकिन मामला अचानक बिगड़ गया। पर्दे के पीछे से रातोंरात खेल हो गया था। बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके नाम पर सहमति नहीं दी थी जिसकी वजह से मुलायम देश के प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए थे। जिसके बाद मुलायम के घर पर हजारों लोगों की भीड़ जुट गई थी। मुलायम का नाम कटने के कारण अगले दिन एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। देवगौड़ा उस समय मिली-जुली सरकार में प्रधानमंत्री बने थे।

बहरहाल, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर उन्हें बधाई दी। मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने देश की राजनीति में अहम योगदान दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने यादव को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उनके स्वस्थ जीवन और दीर्घायु होने की कामना की है।

मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया, ‘हम सभी की प्रेरणा व ऊर्जा के स्रोत, सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक और अपने जन संघर्षों की बदौलत संवेदनशील सियासत की इबारत लिखने वाले आदरणीय नेताजी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।’

शिवपाल सिंह यादव ने सैफई में अलग से आयोजित एक कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन का केक काटा। पहले इस बात की अटकलें थीं कि शिवपाल सिंह यादव मुलायम के जन्मदिन पर वापस सपा में शामिल हो सकते हैं और अपनी पार्टी का सपा में विलय कर सकते हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

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