पीओके(पाक अधिकृत कश्मीर) में प्रदर्शन क्यों हो रहा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 29 सितंबर से शुरू हुआ प्रदर्शन अभी जारी है. इस प्रदर्शन के दौरान अबतक 9 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 3 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. पीओके में जो प्रदर्शन हो रहा है उसकी वजह कोई हालिया घटनाएं नहीं हैं,बल्कि इसकी जड़ें काफी पुरानी हैं और पिछले दो साल में यह काफी मजबूत हुईं हैं. 2023 में बिजली बिल की बढ़ती दरों और सस्ते अनाज की मांग को लेकर यह प्रदर्शन शुरू हुआ था. अब इस प्रदर्शन का उद्देश्य स्थानीय लोगों को सुविधाएं देने और उनके लिए जीवन आसान बनाने से जुड़ गया है.
पीओके(POK) में क्यों हो रहा है प्रदर्शन
पाक अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में अभी जो अशांति फैली हुई है, उसकी शुरुआत 29 सितंबर से हुई है. पीओके के लोग अपनी कुछ मांगों के लिए सड़क पर उतरे हैं, उनका नेतृत्व संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) कर रही है. इस कमेटी में छात्र, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग शामिल हैं.
वे अपने विभिन्न मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं. 29 सितंबर को इन्होंने यहां बंद बुलाया था, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ एक्शन लिया जिसकी वजह से स्थिति खराब हो गई और 9 लोगों की मौत भी हुई. पीओके में जो प्रदर्शन हो रहा है उसकी शुरुआत लगभग दो साल पहले हुई थी, जब बिजली बिल की दरों में वृद्धि और सब्सिडी वाली गेहूं की मांग को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था.
पीओके (POK) में प्रदर्शन की वजह क्या है?
पीओके में रहने वाले कश्मीरियों को ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान सरकार उनके साथ न्याय नहीं कर रही है और उनके हक की चीजों पर उनसे ज्यादा हक किसी और का है और इसी वजह से वे आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की कुल मांगे हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख मांग है 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना जो जम्मू-कश्मीर के उन प्रवासियों के लिए आरक्षित हैं, जो पीओके में नहीं बल्कि पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में रहते हैं.
पीओके के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार इन सीटों का दुरुपयोग करती है और यहां से ऐसे लोग चुनकर आते हैं, पाकिस्तान सरकार की कठपुतली होते हैं और उन्हें यहां के स्थानीय लोगों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं होता है. यहां के मंगला डैम से सबसे अधिक विद्युत उत्पादन होता है, लेकिन यहां के लोगों को महंगी दर पर बिजली मिलती है.यहां के लोग एलिट क्लास के लोगों को मिलने वाले विशेषाधिकार का भी विरोध करते हैं, जिसके तहत उन्हें अपनी गाड़ियों के लिए अनलिमिटेड ईंधन मिलता है.
पीओके में कैसे चलता है शासन, कितनी हैं विधानसभा की सीटें
पाक अधिकृत कश्मीर की जनसंख्या 2017 की जनगणना के अनुसार 40 लाख थी, जो अनुमानत बढ़कर 45 लाख के करीब हो गई होगी. कहने के लिए पीओके स्वायत्त क्षेत्र है, लेकिन यहां का पूरा संचालन पाकिस्तानी संसद से होता है. हालांकि यहां एक प्रधानमंत्री होता है और पीओके के अपनी विधानसभा भी है. इस विधानसभा में कुल 53 सीटें हैं, जिनमें से सामान्य सीट 33 है. 12 सीट उन रिफ्यूजी कश्मीरियों के लिए आरक्षित हैं, जो पाकिस्तान में बसे हुए हैं.
महिलाओं के लिए 5, उलेमा और सूफीवादियों के लिए 1, विदेश में बसे कश्मीरियों के लिए 1 और टेक्नोक्रेट्स के लिए 1 सीट रिजर्व हैं. यहां की विधानसभा प्रदेश के कार्यों को स्वरूप देती है, लेकिन विदेश मामलों और सेना के कार्य पाकिस्तान से संचालित होते हैं. यहां जो बिजली उत्पादन होता है, उसपर भी पाकिस्तान सरकार का ही नियंत्रण होता है.
जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा पीओके कैसे बन गया?
1949 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध में सीजफायर हुआ, तो पाकिस्तानी आर्मी को कश्मीर के पूरे क्षेत्र से बाहर नहीं किया गया, जिसकी वजह से भारत के कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रह गया.