हमें ज्यादा गर्मी क्यों लग रही है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्शियस को क्रॉस कर गया है। बढ़ती गर्मी को देखते हुए मौसम विभाग ने अगले 4 दिनों के लिए रेड अलर्ट जारी कर संबंधित एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।

जब हमारे शरीर का तापमान वातावरण के तापमान से कम हो जाता है, तो हमें गर्मी लगती है। उस तरह का तापमान जो हमारे शरीर के तापमान से अधिक हो जाए, यह भारत के संदर्भ में ग्रीष्म ऋतु में होता है। इसलिए हम ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी महसूस करते हैं।

पिछले सालों की तुलना में इस साल गर्मी बहुत ज्यादा लग रही है। क्या इस साल गर्मी वाकई ज्यादा है, यह जांचने के लिए हमने एडवांस्ड विज्ञान के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित जर्नल में से एक Science Advances की एक स्टडी की पड़ताल की। इस स्टडी के अनुसार तो 1960 से अब तक भारत के औसत तापमान में केवल 0.5 डिग्री सेल्शियस की बढ़ोतरी हुई है। तो फिर भी इतनी गर्मी क्यों फील हो रही है?

कांक्रेटाइजेशन : 
कांक्रेटाइजेशन होने से गर्मी दो तरह से बढ़ती है। एक, कांक्रीट सोलर रेडिएशन को ज्यादा रिफ्लैक्ट करता है। दूसरा, कांक्रेटाइजेशन के कारण जमीन के भीतर पानी का रिसाव कम होता है। जमीन के भीतर पानी कम होने से जमीन के ऊपर सूखापन बढ़ जाता है। इससे भी गर्मी ज्यादा फील होती है।

क्या है सोलर रेडिएशन?
सोलर रेडिएशन सूरज से निकलने वाली एनर्जी होती है जिसमें विजिबल लाइट, हीट (इंफ्रारेड किरणें) और अल्ट्रा वॉयलेट किरणें शामिल होती हैं। इनमें गर्मी के लिए जिम्मेदार इंफ्रारेड होती हैं।

इस समय क्यों बढ़ रहा है सोलर रेडिएशन?
मार्च से लेकर 21 जून तक सूर्य धरती के करीब आते जाता है। सूरज जैसे-जैसे धरती के करीब आता है, उससे निकलने वाले रेडिएशन को भी धरती ज्यादा जज्ब करती है। यानी धरती पर गरमी अधिक होती है। जून माह में गर्मी का असर कम होते जाता है, क्योंकि इस समय तक आसमान में बादल छाने लगते हैं जो सोलर रेडिएशन को कम कर देते हैं।

कैसे निकाला जाता है किसी देश का औसत तापमान?
किसी भी देश का औसत तापमान उस देश के चुनिंदा शहरों के औसत तापमान का एवरेज होता है। यह एवरेज पूरे 365 दिनों का निकाला जाता है। इसे सालाना औसत तापमान कहते हैं। साल 1960 में भारत में सालाना औसत तापमान 24 डिग्री सेल्शियस था। इसके बाद के सालों में यह 24 से 25 डिग्री सेल्शियस के बीच रहा।
कैसे निकालते हैं किसी शहर का सालाना औसत तापमान?
किसी शहर का सालाना औसत तापमान निकालने के लिए उस शहर के दैनिक औसत तापमान का एवरेज निकाला जाता है।
कैसे निकालते हैं दैनिक औसत तापमान :
किसी एक शहर का दैनिक औसत तापमान उस शहर के मैग्जिमम और मिनिमम तापमान का एवरेज होता है। उदाहरण के लिए हम भोपाल के एक दिन का औसत तापमान निकालते हैं। 24 मई को भोपाल का मैग्जिमम तापमान 44.2 डिग्री और मिनिमम तापमान 30.4 डिग्री रहा। तो इस दिन का भोपाल का दैनिक औसत तापमान 37.3 रहा।

गर्मी और ठंड का नियम

गर्मी के दिनों में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं जिससे तापमान में बढ़ोतरी होती है. सीधी किरणें पड़ने के चलते वे रिफ्लेक्ट नहीं हो पातीं क्योंकि उन्हें रिफ्लेक्ट होने के लिए कोई कोण नहीं मिलता. इस वजह से जब किरणें किसी एक जगह पर लगातार और सीधी पड़ेंगी तो गर्मी बढ़ती जाएगी. गर्मी के दिनों में दिन लंबा होता है जिससे कि धरती पर सूर्य की ज्यादा किरणें पड़ती हैं. लिहाजा लंबे वक्त तक गर्मी बनी रहती है, तापमान में लंबे समय तक बढ़ोतरी देखी जाती है.

पृथ्वी के झुकाव का असर

ठंड के दिनों में पृथ्वी का उत्तरी भाग सूरज से दूर होता है. यानी कि धरती के एक्सिस का झुकाव ऐसा होता है कि उत्तरी भाग सूरज से ज्यादा दूरी पर होता है. इस स्थिति में दिन छोटा और रात बड़ी होती है. उत्तरी भाग में पड़ने वाले सभी इलाके में इस स्थिति में ठंड पड़ती है.

ये है असली वजह

वैज्ञानिक तथ्यों से सिद्ध हो चुका है कि सूरज से पृथ्वी की दूरी का ठंड और गर्मी से कोई लेना-देना नहीं होता बल्कि सबकुछ पृथ्वी के अपने एक्सिस पर झुकाव की वजह से होता है. अंतरिक्ष में हमारी धरती 23.5 डिग्री को कोण पर स्थित है. धरती साल के हर दिन और हर समय सूर्य का चक्कर लगाती है. इससे तय है कि कुछ हिस्सा सूर्य के नजदीक होगा जबकि कुछ हिस्सा दूर.

जब पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ होता है तो धरती पर किरणें सीधी पड़ती हैं. सूर्य की किरणें उस हिस्से को लगातार गर्म करती हैं जिससे उस हिस्से में रहने वाले लोगों को गर्मी का अहसास होता है. जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य से दूर चला जाता है तो किरणें तिरछी पड़ती हैं और धरती पर ऊर्जा या गर्मी इकट्ठी नहीं हो पाती . ऐसी स्थिति में लोगों को ठंड का अहसास होता है. इसी आधार पर धरती पर ठंड और गर्मी का संतुलन चलता रहता है.

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