सावन मास बहे पुरवाईया बैला बेच किन धेनु गइया,  किसानों के साथ हो रहा चरितार्थ

सावन मास बहे पुरवाईया बैला बेच किन धेनु गइया,  किसानों के साथ हो रहा चरितार्थ

शुक्रवार की शाम हुई हल्‍की बारिस से किसानों में जगी उम्‍मीद

श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सीवान (बिहार)-

गुरुवार को सावन माह शुरू होते ही पुरवा हवा तेज रफ्तार से बहना शुरू कर दिया है । जो किसानों एवं कृषि के लिए ठीक नहीं माना जाता है । कहा जाता है कि सावन माह में पुरवा हवा बहता है तो वर्षा नहीं होती । जब वर्ष नहीं होती तो किसान एवं कृषि दोनों की दशा खराब हो जाती है । कृषि दूधनाथ सिंह , ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि  कवि घ रावत  कथनी सत्य साबित होते दिख रहा है । उन्होंने बताया कि  कवि घाघ   ने कृषि पर आधारित जितनी कहावत कही है । आज उसी पर आधारित बात कृषि बैज्ञानिक भी करते है । उन्होंने कहा के घाघ रावत ने ही अपनी कहावत में कहा है कि सावन मास बहे पुरवाईया , बैला बेच किन धेनु गईया ।

आसमान में बादल धुम्मड़ते दिख रहे है लेकिन पुरवा हवा उसे अपने तेज झोंको से बहा ले जा रही है । किसान का खेत पानी के लिए तरस रहा है । धान के बिछड़े सूखने लगे है । किसान उदास मन से खेत के बदले अब घर बैठे आसमान में उमड़ते धुमड़ते बादल को निहार रहे है ।

बुजुर्ग किसान शिवनाथ सिंह ने कहा कि की ठीक ही कहा गया है कि जब सावन माह में पुरवा हवा बहने लगे तो यह समझ लेना चाहिए के वर्षा नहीं होगा । इस लिए बैलो को बेच कर दूध देने वाली गाय खरीदने की बात कही गई है ।

लेकिन शुक्रवार की शाम हुई हल्‍की बारिस ने किसानों के  चेहरे पर उम्‍मीद की  जोत जगा दिया है कि शायद  बारिस हो जाय।

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