गिरदावर को पैमायश की इतनी जल्दी क्यों ? दिन में लिखा नोटिस रात 8 बजे व्हाट्सप्प से सर्व- सुबह लाव-लश्कर के साथ पहुंचे पैमाइश के लिए

गिरदावर को पैमायश की इतनी जल्दी क्यों ? दिन में लिखा नोटिस रात 8 बजे व्हाट्सप्प से सर्व- सुबह लाव-लश्कर के साथ पहुंचे पैमाइश के लिए।

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरुक्षेत्र-

: किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए नियुक्त अधिकारी किसानों के लिए खुद समस्या बन जाएँ तो इसे विडंबना ही कहेंगे ! किसानों की परेशानी का सबब बनने वाले फैसले जितनी फुर्ती के साथ ये अफसर लेते हैं उतनी फुर्ती अगर किसान की भलाई के फैसलों में दिखाएं तो किसानों को ज्यादात्तर समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है l काश ! ऐसा होता।
मामला कुछ इस तरह है कि कुरुक्षेत्र के थानेसर तहसील के गिरदावर हल्का धुराला पटवारी हल्का गाँव लूखी के निवासी कमल तंवर को 26 मार्च 2024 की रात 8 बजे व्हाट्सप्प पर एक नोटिस मिला। नोटिस जारी करने वाला एक गिरदावर लेवल का अफसर है। अपने आदेश में गिरदावर महोदय ने कमल को उसके खेत के रकबे की पैमायश के वक्त 27 मार्च 2024 को हाज़िर रहने के आदेश दिए थे।

उक्त अफसर ने जिस फुर्ती के साथ ये आदेश दिए, उस से उन्हें एक सैल्यूट तो बनता है।
आप ने इतनी फुर्ती के साथ किसी अफसर को काम करते नहीं देखा होगा l गिरदावर महोदय अपने काम में इतने तल्लीन रहते हैं कि दिन रात का भी उन्हें अहसास शायद ही हो ! आप खुद सोचें कि 26 मार्च 2024 को आदेश जारी करते हुए इन महोदय पर जरूर कुछ खास किस्म की सनक सवार रही होगी। तभी तो इन आदेशों को पंख लग गए। गिरदावर महोदय का अपने कार्य के प्रति समर्पण कबि-ए-तारीफ है। दिन में आदेश लिखा तो रात को संबंधित पार्टी के पास व्हाट्सप्प से भिजवा दिया l इतना भी जरूरी नहीं समझा कि जिसे यह नोटिस भेजा उसने इसे पढ़ भी लिया है या नहीं और ना ही उसके जवाब का इन्तजार करना मुनासिब समझा।
जबकि नोटिस के अंत में साफ साफ लिखा है कि इस आदेश के तमिल होने की इत्तला जरूर दी जाये l

यहाँ यह मानना उचित है कि उक्त अधिकारी को पैमाइश के आदेश देने का अधिकार है। चूँकि उक्त गिरदावर महोदय किसानों और किसानी के कार्यों से भली भांति परिचित हैं l उन्हें यह जरूर देखना चाहिए कि इस समय पैमायश करवाने से पकने के अंतिम पड़ाव में खड़ी फसलों में नुकसान होगा। इस आदेश से प्रभावित होने वाले किसान कमल तंवर का कहना है कि जिस आनन् फानन में ये आदेश दिए गए हैं उस से उन्हें इस में मिलीभगत की बू आती है l ना तो खेत कहीं भाग के जा रहे और ना ही महकमा ! फसल की कटाई के बाद पैमाइश का समय तय किया जाता तो मुझे कोई एतराज ना होता।
कमल तंवर ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से अनुरोध किया है इस पैमाइश को रोका जाये l

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