क्यों नहीं थम रही मणिपुर हिंसा?

क्यों नहीं थम रही मणिपुर हिंसा?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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कभी एक सफल बिजनेसमैन रहे जी किपजेन अब बेरोजगार हैं। उनके ऊपर तीन बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी है। हालांकि, वो बस इंतजार में हैं कि कब मणिपुर के हालात सामान्य होंगे और वो अपने घर इंफाल पहुंच सकेंगे। यह कहानी सिर्फ जी किपजेन की नहीं बल्कि उनकी तरह मणिपुर हिंसा के डर से घर छोड़कर भागे हजारों लोगों की है, जो घर वापसी का बाट जोह रहे हैं।मणिपुर हिंसा को 2 साल पूरे हो चुके हैं। हजारों लोग हिंसा के डर से घर छोड़कर कैंप में रह रहे हैं। सभी को उम्मीद है कि जल्द ही मणिपुर के हालात सही होंगे और वो अपने घर वापस लौट सकेंगे। इंफाल में मैं कोचिंग संस्थान चलाता था। सबकुछ बिल्कुल ठीक था। मगर अब अचानक सब बदल गया। मेरे तीन बच्चे हैं और मेरे पास आमदनी को कोई स्रोत नहीं है। मणिपुर में हालात सामान्य होने के अभी दूर-दूर तक कोई आसान नहीं दिख रहे है।

मणिपुर हिंसा

3 जनवरी 2023 को कुकी और मैतेई समुदाय के बीच मणिपुर में हिंसा भड़की थी। इस हिंसा में अभी तक 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो चकी है। 1500 से अधिक लोग घायल हैं और 7000 से ज्यादा लोग घर से दूर रहने के लिए मजबूर हैं।

क्या है हिंसा की वजह?

मणिपुल में हालात इस कदर बिगड़े की मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और इसी साल फरवरी में केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले मैतई समुदाय के लोग अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। तो वहीं बहुसंख्यक कुकी समुदाय के लोगों का कहना है कि राज्य में NRC लागू करके अवैध शरणार्थियों को बाहर निकाला जाए।

क्यों नहीं थम रही हिंसा?

केंद्र सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, मणिपुर में दो समुदायों के बीच भड़की इस हिंसा की कमान कुछ सशस्त्र समूह के हाथों में है और वो इस हिंसा को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। उन्हें मणिपुर के आम लोगों की भी चिंता नहीं है। इंफाल घाटी में किडनैपिंग और हाईवे पर अवैध तरीके से गाड़ियां रुकवा कर पैसे लिए जा रहे हैं। इन सशस्त्र बलों के अंदर बड़ी संख्या में बेरोजगार और गरीब नौजवानों की भर्ती की जा रही है।

मणिपुर में शांति की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। शनिवार को मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ केंद्र सरकार ने बैठक की है। बैठक का उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजना है। बैठक का फोकस मैतेई और कुकी के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ाना और मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए रोडमैप तैयार करना है। बैठक में सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने और दोनों समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर अधिक जोर दिया।

बैठक में कौन-कौन था शामिल?

मीटिंग में ऑल मणिपुर यूनाइटेड क्लब्स ऑर्गनाइजेशन (एएमयूसीओ) और फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी ऑर्गनाइजेशन (एफओसीएस) के प्रतिनिधियों समेत 6 सदस्यीय मैतेई प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। कुकी प्रतिनिधिमंडल में 9 लोग शामिल थे। केंद्र सरकार के वार्ताकारों में खुफिया ब्यूरो के सेवानिवृत्त विशेष निदेशक एके मिश्रा भी मौजूद रहे।

शाह ने कही थी जल्द बैठक कराने की बात

गुरुवार को लोकसभा में मणिपुर पर बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों मैतेई और कुकी समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों के विभिन्न संगठनों के साथ अलग-अलग बैठकें की गईं। तब उन्होंने कहा था कि गृह मंत्रालय जल्द ही एक संयुक्त बैठक बुलाएगा। अमित शाह ने कहा कि सरकार हिंसा को समाप्त करने का रास्ता तलाशने में जुटी है। मगर सर्वोच्च प्राथमिकता शांति स्थापित करना है। मणिपुर में स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है। पिछले 4 महीनों में कोई मौत नहीं हुई है। मगर इसे संतोषजनक नहीं माना जा सकता, क्योंकि विस्थापित लोग अभी राहत शिविरों में हैं।

13 फरवरी को लगा था राष्ट्रपति शासन

9 फरवरी को सीएम पद से एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। बता दें कि मई 2023 में इंफाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ों पर बसे कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 260 लोगों की जान जा चुकी है। हजारों लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा।

शांति बहाली में जुटे राज्यपाल

पिछले साल पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया गया था। भल्ला ने 3 जनवरी को अपना पदभार संभाला था। इसके बाद से वे मणिपुर के लोगों से मिल रहे हैं। थानों से लूटे गए हजारों हथियारों को सरेंडर करने की अपील भी कर चुके हैं। इसका असर यह हुआ कि बड़ी संख्या में लोगों ने प्रशासन के सामने हथियारों को जमा करवाया।

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