नेपाल हिंसा की आग में क्यों जल रहा है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में राजधानी काठमांडू और कुछ अन्य इलाकों में सोमवार को युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन किया, जिसके दौरान 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 250 से अधिक लोग घायल हो गए. नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने हिंसा की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
‘जेन जी’ के प्रदर्शन को रोकने के लिए सड़क पर उतरी सेना
काठमांडू में हालात को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को सेना को तैनात करना पड़ा. काठमांडू में ‘जेन जी’ के बैनर तले स्कूली छात्रों समेत हजारों युवा संसद भवन के सामने इकट्ठा हुए और प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम यहां भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन करने आए हैं. लोग सड़कों पर मर रहे हैं. मैंने 15 से ज्यादा लोगों को गोली लगते देखा है. पर्याप्त एम्बुलेंस नहीं हैं और अस्पतालों में संसाधन कम पड़ रहे हैं. सरकार को हमारी परवाह नहीं है. इस सरकार को हमारी परवाह नहीं है.”
संसद परिसर में घुस गए प्रदर्शनकारी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार युवाओं का प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा.
प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग के हवाले किया, कर्फ्यू लागू
विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. हिंसा के बाद स्थानीय प्रशासन ने राजधानी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया. यह विरोध प्रदर्शन दूसरे शहरों में भी फैल गया है. काठमांडू जिला प्रशासन ने संसद भवन के आसपास के क्षेत्रों में अशांति को रोकने के लिए दोपहर 12:30 बजे से रात 10:00 बजे तक निषेधाज्ञा लागू की. मुख्य जिला अधिकारी छबि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा, ‘‘प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी.’’स्थानीय प्रशासन ने बाद में ये प्रतिबंधात्मक आदेश राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में भी लागू कर दिए.
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को 26 सोशल मीडिया को बैन कर दिया
नेपाल सरकार ने अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर 4 सितंबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध उन्हें विनियमित करने के लिए लगाया गया है, लेकिन आम जनता में धारणा यह है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला होगा और सेंसरशिप की नौबत आ सकती है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में अपंजीकृत सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के अपने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए रविवार को कहा कि “राष्ट्र को कमजोर किए जाने के प्रयास कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.”
नेपाल एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है. युवा केपी शर्मा ओली सरकार के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं. भारी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. युवाओं में गुस्सा इतना है कि प्रदर्शन के दौरान बैरिकेड्स को तोड़कर संसद भवन में घुस गए. जिसके बाद बवाल और बढ़ गया. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. आंसू गैस के गोले दागे गए. पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं. ताजा अपडेट के अनुसार 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 250 से अधिक लोग घायल हैं. स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण अधिकारियों ने मजबूर होकर एक दिन के लिए कर्फ्यू लगा दिया है.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे थे, लेकिन जैसे ही हम आगे बढ़े, हमें पुलिस की हिंसा दिखाई दी. पुलिस लोगों पर गोलियां चला रही है, जो शांतिपूर्ण विरोध के मूल सिद्धांत के विरुद्ध है. जो लोग सत्ता में बैठे हैं, वे अपनी शक्ति हम पर नहीं थोप सकते. भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों को दबाया जा रहा है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार के विरुद्ध है. पुलिस प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला रही है.”
क्यों गुस्से में हैं Gen Z
खुद को “जेन-जेड” कहने वाले सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले, सोशल मीडिया पर पर्चे और पोस्ट के माध्यम से लोगों से राजधानी में संघीय संसद के पास बानेश्वर आने का आह्वान किया गया था, ताकि सरकार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद करने के फैसले से पीछे हटने का दबाव बनाया जा सके. युवा सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने और गहरे भ्रष्टाचार को दूर करने में विफल रहने का आरोप लगा रहे हैं.
सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप सहित 26 सोशल मीडिया पर लगाया प्रतिबंध
नेपाल सरकार ने गुरुवार को फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित 26 अपंजीकृत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया है. क्योंकि वे निर्धारित समय सीमा के भीतर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ पंजीकरण कराने में नाकाम रहीं. सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया था. नोटिस में कहा गया है कि बुधवार रात समय सीमा समाप्त होने तक किसी भी बड़े सोशल मीडिया मंच, जिनमें मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), रेडिट और लिंक्डइन शामिल हैं, ने पंजीकरण संबंधी आवेदन जमा नहीं किया था.
सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों बैन किया?
समाचार पत्र ‘माई रिपब्लिका’ की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि पार्टी सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, “लेकिन इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि जो लोग नेपाल में व्यापार कर रहे हैं, पैसा कमा रहे हैं, वे कानून का पालन नहीं करें.” ओली ने कहा, “देश की आजादी मुट्ठी भर लोगों की नौकरी जाने से कहीं ज्यादा अहम है. कानून की अवहेलना, संविधान की अवहेलना और राष्ट्रीय गरिमा, स्वतंत्रता एवं संप्रभुता का अनादर करना कैसे स्वीकार्य हो सकता है?”
युवाओं को मिला कलाकारों और अभिनेताओं का साथ
युवाओं के प्रदर्शन को नेपाली कलाकारों और अभिनेताओं का साथ मिलना शुरू हो गया है. जिससे आंदोलन और तेज हो गया. नेपाली अभिनेता हरि बंशा आचार्य ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए कहा, “आज का युवा सिर्फ सोचने से ज्यादा कुछ करता है – वह सवाल पूछता है. यह सड़क क्यों टूट गई? कौन जवाबदेह है? यह व्यवस्था के खिलाफ नहीं, बल्कि इसका दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ आवाज है.” उन्होंने राजनीतिक नेताओं से जिम्मेदारी लेने और अगली पीढ़ी को नेतृत्व के लिए तैयार करने का आग्रह किया.
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