संघ पर रुदाली क्यों हो रही है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ वर्ष पूरे होने पर सनातन संस्कृति में आस्था रखने वाले करोड़ों लोगों में हर्ष का संचार हुआ।
लेकिन दूसरी तरफ सेक्युलर और लेफ्ट-लिबरल-कांग्रेसी मंडली में मातम मनाया जा रहा है। कई विद्वान संघ के विरुद्ध मर्शिया पढ़ रहे हैं। रुदाली गायक सुर में महाशोक घोल रहे हैं।
दुखद यह कि संघ से द्वेष रखने वालों में कथित सेक्युलर हिन्दू ही अधिक मुखर हैं। इन सेक्युलर हिन्दुओं की समस्या यह है कि
1. इन्हें न इस्लाम का जेहादी चेहरा दिखता है, न भारत विभाजन के बाद भी बढते इस सांस्कृतिक संकट के प्रतिरोध की इनको कोई चिंता है।
2. कि यह विपक्षी मंडली मुस्लिम समाज के उद्देश्यहीन होने की गफलत में है – हकीकत यह है कि गजबा-ए-हिंद हर मुसलमान के जीने-मरने का मकसद है, जबकि ८० करोड़ हिन्दू केवल रोटी-कपडा/ गाड़ी-बंगला के लिए जी रहा है -हिंदू न धर्म के लिए, न राष्ट्र के लिए।
4. हर मुसलमान केवल हिन्दू समर्थक दल ( भाजपा) को हराने के लिए वोट देता है, जबकि हिंदू को मुफ्त राशन, सरकारी नौकरी, मोटी पेंशन, टैक्स रिबेट, फ्री बिजली, सस्ता सिलेंडर वगैरह सब चाहिए -ऊपर से विधायक – सांसद भी अपनी जाति का चाहिए, सनातनी होना पर्याप्त नहीं। ऐसे स्वार्थ-लिप्त और राजनीतिक रूप से मूंढ हिंदू समाज के बहुत छोटे-से वर्ग को जगाने में संघ को सौ वर्षों में जो थोड़ी सफलता मिली, उससे भी जलने वाले आत्मघाती हिंदू कम नहीं हैं।
संघ को अभी बहुत काम करना है। इस अवसर पर अपने लाखों स्वयंसेवक बंधुओं को संघर्ष यात्रा में सहभागी और शताब्दी वर्ष का साक्षी बनने की बधाई!
संघ के प्रसिद्धि-विमुख प्रचारक से लेकर कर भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री पद तक का दायित्व निभाने में सफल श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी और सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत को परमात्मा अजेय शक्ति प्रदान करें।
आभार- कुमार दिनेश