क्‍यों मनाया जाता है वर्ल्‍ड टीबी डे?

क्‍यों मनाया जाता है वर्ल्‍ड टीबी डे?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दुनियाभर में हर साल 24 मार्च को वर्ल्‍ड टीबी डे मनाया जाता है। इस दिन को विश्‍व तपेदिक दिवस और क्षयरोग के नाम से भी पहचाना जाता है। इस खास दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच टीबी रोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। टीबी भले ही एक संक्रामक बीमारी है लेकिन इसका इलाज संभव है। समय रहते अगर इस रोग का इलाज करवा लिया जाए तो रोगी पूरी तरह से ठीक हो सकता है। भारत में हर साल टीबी के लाखों मरीज सामने आते हैं।

टीबी रोग आमतौर पर फेफड़ों में होता है,लेकिन यह व्यक्ति के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। बात अगर इसके लक्षणों की करें तो रोगी को कफ, बलगम में खून, गले में दर्द, बुखार और तेजी से वजन कम होने लगता है। टीबी एयरबोर्न (हवा के माध्यम से) रोग है। जिससे बचने के लिए संवेदनशील लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए।

वर्ल्‍ड टीबी डे का इतिहास-
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 24 मार्च 1882 को डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी रोग के लिए जिम्मेदार माइक्रोबैक्टीरियल ट्यूबकुलोसिस बैक्टीरिया की खोज की थी। डॉ. रॉबर्ट कोच की ये खोज आगे चलकर टीबी के इलाज में बेहद मददगार साबित हुई। जिसके बाद डॉ. रॉबर्ट कोच को साल 1905 में नोबेल पुरस्‍कार से भी सम्‍मानित किया गया। टीबी रोग को लेकर लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए  24 मार्च की तारीख को चुना गया। जिसके बाद 24 मार्च को विश्‍व तपेदिक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा हुई।

विश्व टीबी दिवस का महत्व- 
सीडीसी के अनुसार, दुनियाभर के लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। इन दिन का उद्देश्य टीबी के खिलाफ लड़ाई तेज करके इस रोग से निजात पाना है।

विश्व टीबी दिवस 2024 की थीम-
बता दें, हर साल विश्व टीबी दिवस मनाने के लिए एक खास थीम रखी जाती है। इस साल की थीम है-‘हां! हम टीबी खत्म कर सकते हैं।’ (Yes! We can end TB)।

एक आंकड़े के मुताबिक साल 2021 में टीबी से कुल 1.6 मिलियन (16 लाख) लोगों की मृत्यु हुई, दुनिया भर में टीबी रोग मौत का 13वां प्रमुख कारण है। भारत ने 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य बनाया था, हालांकि आंकड़े बताते हैं कि वास्तविक स्थिति, निर्धारित लक्ष्य से काफी दूर है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तपेदिक (टीबी) को दुनिया के सबसे घातक संक्रामक रोगों में रखा है। साल 2022 में भारत में दर्ज किए गए टीबी के कुल मामलों की संख्या 21.42 लाख थी, जिनमें से अकेले तेलंगाना में 72,878 मामले दर्ज किए गए। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर देश में साल 2022 में टीबी के कुल मामलों में 13 फीसदी की वृद्धि हुई है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को टीबी रोग को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना जरूरी है। बचाव के लिए आवश्यक है कि हमें इस रोग के लेकर सही जानकारी हो। ट्यूबरक्लोसिस को गंभीर श्वसन रोग माना जाता है, ये बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाली समस्या है, जिसमें आपके फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के खांसने-छींकने से निकली ड्रॉपलेट्स के संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। भीड़-भाड़ वाली जगहों में टीबी के संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!