स्वामी विवेकानंद की जयंती पर क्यों मनाया जाता है युवा दिवस ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 1984 में की गई थी। उस समय की सरकार का ऐसा मानना था कि स्वामी विवेकानंद के विचार, आदर्श और उनके काम करने का तरीका भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत हो सकते हैं। ऐसे में इस बात को ध्यान में रखते हुए 12 जनवरी, 1984 से स्वामी विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई थी।

युवा दिवस का उद्देश्य

अपने विचारों और आर्दशों के लिए मशहूर स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य सभी के ज्ञाता थे। इतना ही नहीं वह भारतीय संगीत के ज्ञानी होने के साथ ही एक बेहद अच्छे खिलाड़ी भी थे। उनकी इन्हीं खूबियों की वजह से उनका व्यक्तित्व सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहा है।

उन्होंने कई मौकों पर युवाओं के लिए अपने अनमोल विचार भी साझा किए। ऐसे में इस दिवस को इस मसकद से मनाया जाता है कि युवा इस खास मौके पर यह सोच सकें कि वह देश और समाज के लिए क्या कर सकते हैं। साथ ही यह दिन उन्हें यह सोचने का भी अवसर देता है कि वह देश के विकास और प्रगति में कैसे अपना योगदान दे सकते हैं।

राष्ट्रीय युवा दिवस 2023 की थीम

हर दिवस को मनाने का अपना अलग महत्व होता है। इसी महत्व के आधार पर इन अलग-अलग दिनों की थीम भी तय की जाती है। राष्ट्रीय युवा दिवस को भी मनाने के लिए हर साल एक थीम का एलान किया जाता है। बात करें इस साल की थीम की तो इस वर्ष नेशनल यूथ डे के लिए थीम ‘विकसित युवा विकसित भारत’ तय की गई है।

  • स्वामी विवेकानंद का मानना था कि हर युवा राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकता है।
  • वे युवाओं के सामर्थ्य का सही इस्तेमाल पर किया जाना चाहिए।
  • वे युवाओं से कहते थे कि अपनी आरामदायक (कंफर्ट जोन) से बाहर निकलो और अपने उद्देश्यों की प्राप्त के लिए प्रयास करके उसे प्राप्त करो।
  • वे कहते थे, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।”
  • स्वामी विवेकानंद युवाओं को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा पर विशेष जोर देते थे।
  • मेरा विश्वास युवा पीढ़ी, आधुनिक पीढ़ी में है। वे सिंह की भांति सभी समस्याओं से लड़ सकते हैं।
  • मेरे साहसी युवाओं, यह विश्वास रखो कि तुम ही सब कुछ हो – महान कार्य करने के लिए इस धरती पर आए हो। चाहे वज्र भी गिरे, तो भी निडर हो खड़े हो जाना और कार्य में लग जाना। साहसी बनो।
  • जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो।सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
  • जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

स्वस्थ शरीर में ही पलते हैं स्वस्थ विचार

एक और अनूठा प्रश्न प्रसंग स्वामी विवेकानंद के बारे में बताया जाता है। कहते हैं एक बार एक युवक गीता पढ़ने की इच्छा से स्वामी जी के पास आया। वह काफी दुबला पतला और बीमार सा लग रहा था। स्वामी जी ने उससे कहा कि वे उसे गीता अवश्य पढ़ाएंगे, किंतु, जब वह 6 महीने तक रोज फुटबॉल का अभ्यास करके आएगा।

हालांकि युवक हैरान तो हुआ, पर उसने उनकी आज्ञा मान ली, और 6 महीने बाद वापस आया। स्वामी जी ने उसे देखा और मुस्कुराए, उसके बाद उसे श्रीमद् भागवत गीता का पाठ ज्ञान पूर्वक समझाया। जब उस व्यक्ति ने अपना अध्ययन पूरा कर लिया, तो अंतिम दिन उसने स्वामी जी से पूछा कि, पहले उन्होंने, उससे फुटबॉल का अभ्यास करने को क्यों कहा।

स्वामी जी ने हंसते हुए कहा कि, जब तुम मेरे पास पहली बार आए थे, तो काफी दुबले पतले और अस्वस्थ लग रहे थे। जबकि गीता एक महान पुस्तक है। जिसमें शरीर ही नहीं मानसिक बल के बारे में भी काफी विस्तार से बताया गया है। ऐसे में जब तक तुम शरीर से स्वस्थ और सबल नहीं होते, तब तक पूरी सजगता से गीता के अध्यात्म से भरे ज्ञान को नहीं समझ सकते थे।

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