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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में रेलवे के सात अफसर सस्पेंड क्यों? - श्रीनारद मीडिया

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में रेलवे के सात अफसर सस्पेंड क्यों?

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना में रेलवे के सात अफसर सस्पेंड क्यों?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ओडिशा के बालासोर में पिछले महीने हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे में CBI ने बुधवार को 7 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। इनमें गिरफ्तार होने वाले 3 रेलकर्मी भी शामिल हैं।

यह जानकारी साउथ ईस्टर्न रेलवे के जनरल मैनजेर अनिल कुमार मिश्रा ने दी है। जब उनसे अफसरों के सस्पेंड होने की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि अगर ये अधिकारी सतर्क होते तो हादसा नहीं होता।

7 जुलाई को CBI ने तीन रेल कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल थे।

तीनों पर गैर इरादतन हत्या और सबूत मिटाने का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि इन तीनों की लापरवाही के कारण ही हादसा हुआ। सूत्रों का यह भी दावा है कि तीनों आरोपी जानते थे कि उनकी लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है।

रेल हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

बालासोर हादसे की वजह सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी
हादसे की जांच CBI कर रही है। एक जांच रेलवे बोर्ड की ओर से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) ने भी की है। 3 जुलाई को CRS ने 40 पेज की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी।

रिपोर्ट के मुताबिक, लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग की वजह से ऑटोमेटेड सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई। जो हादसे का कारण बना।

क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स में तारों की गलत लेबलिंग के बारे में सालों तक मालूम ही नहीं चला। मेंटेनेंस के दौरान भी इसमें गड़बड़ी हुई है।

CRS रिपोर्ट 

  • लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर सारे तार गलत जुड़े थे। उसके चलते ही मेंटेनेंस वर्क के दौरान गड़बड़ी हुई, जिसके चलते गलत फंक्शन इंडिकेट हो रहे थे। इसके बारे में सालों तक पता नहीं चल सका।
  • हादसे के लिए सिग्नलिंग डिपार्टमेंट को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है। रिपोर्ट में स्टेशन मास्टर का नाम भी है, जो सिग्नलिंग कंट्रोल सिस्टम में गड़बड़ी का पता नहीं लगा पाए।
  • बालासोर में एक अन्य जगह भी लोकेशन बॉक्स के डायग्राम का इस्तेमाल बहनगा बाजार के लोकेशन बॉक्स के लिए हुआ था। ये एक गलत कदम था, जिसके चलते गलत वायरिंग हुई।
  • कोरोमंडल एक्सप्रेस में मेन लाइन के लिए ग्रीन सिग्नल था। जबकि ट्रेन की डायरेक्शन डिसाइड करने वाला सिस्टम गलत तरीके से लूप लाइन की ओर इशारा करता रहा।
  • हादसे वाले दिन लेवल क्रॉसिंग पर इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर को रिप्लेस किया गया था। इस दौरान टर्मिनल पर गलत लेबलिंग के चलते गड़बड़ी हुई थी। ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक ले जाने वाले पॉइंट के सर्किट को पहले ही शिफ्ट कर दिया गया था।
  • 16 मई 2022 को भी खड़गपुर मंडल के बांकड़ा नयाबाज स्टेशन पर गलत रिंग और तार खराब होने की वजह से एक ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी वायरिंग ठीक कर ली जाती तो बालासोर हादसा नहीं होता।

बालासोर ट्रिपल ट्रेन हादसे की जांच कर रही CBI ने एक जूनियर इंजीनियर से हाल ही में पूछताछ की थी। इसके बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया गया कि जूनियर इंजीनियर पूछताछ के बाद से फरार है। दक्षिण पूर्व रेलवे के CPRO आदित्य कुमार चौधरी ने इन रिपोर्ट्स को गलत बताया।

ओडिशा के बालासोर में 2 जून की शाम को बहानगा बाजार स्टेशन के पास तीन ट्रेनों की टक्कर हो गई। इस टक्कर में 293 लोगों की मौत हो गए, वहीं 1000 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गाड़ियों के बीच टक्कर रोकने वाला कवच सिस्टम इस रूट पर मौजूद नहीं था।

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे के 34 दिन बाद भी 52 शवों की पहचान नहीं हो पाई है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, इन शवों को भुवनेश्वर AIIMS कैंपस में डीप फ्रिज कंटेनर में रखा गया है।

6 जून को 81 शवों का DNA सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजा गया। शुक्रवार को इनमें से 30 सैम्पल्स की रिपोर्ट आई और 29 मृतकों की पहचान हुई। इन शवों को उनकी फैमिली को सौंप दिया गया है।

मामले में रेलवे अधिकारी का कहना है कि कुछ शव ऐसे हैं, जिनके एक से ज्यादा दावेदार हैं। अब DNA सैंपल के दूसरे फेज की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

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