सर्दी के मौसम में क्‍यों रहता है हृदयाघात का खतरा ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यह दिल का मामला है और सर्दियों में धमनियों के सिकुड़ने के साथ हृदय कार्य बढ़ने से लोगों में हृदयाघात ज्यादा देखने को मिल रहा है। हृदयाघात को आम ताैर पर दिल के दौरे के रूप में जाना जाता है। इसमें दिल के कुछ भागों में रक्त संचार में बाधा होती है। हृदयाघात के बाद तीन घंटे उपचार के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इंजेक्शन देने से मरीज को लाभ मिलता है और उसकी जान को बचाया जा सकता है, जबकि लोग गैस्ट्रिक मान उसकी दवाएं खाते रहते हैं और तब तक देर हो जाती है और इंजेक्शन का असर नहीं होता है।

ये तीन कारण बन रहे बीमारी की वजह

चिकित्सकों के अनुसार दिनचर्या में परिवर्तन, जिसमें शारीरिक श्रम में कमी और फास्ट फूड का ज्यादा सेवन हृदयाघात के साथ अन्य बीमारियों का कारण बन रहा है। प्रदेश में सर्दियों के दौरान हर माह करीब 250 लोगों को हृदयाघात होता है। इनमें आठ प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। 25 वर्ष के युवाओं में भी हृदयाघात के मामले आ रहे हैं। सीएचसी स्तर पर भी हृदयाघात का उपचार प्रदान किया जा रहा है और डाक्टरों को इंजेक्शन का प्रशिक्षण भी दिया गया है। इस कारण हृदयाघात से होने वाली मौतों में कुछ कमी आई है।

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आधे घंटे की सैर हृदयाघात से बचाव

हृदयाघात का मुख्य कारण लोगों का खराब लाइफ स्टाइल यानि दिनचर्या, शारीरिक श्रम में कमी है। डायबिटीज, बीपी और हायपरटेंशन इस रोग को ज्यादा बढ़ा रहा है। हृदय रोग से बचाव का सबसे कारगर तरीका अपनी दिनचर्या में परिवर्तन के साथ मात्र आधे घंटे की सैर है जो हर बीमारी को दूर करती है। इसके साथ ही अधिक वसायुक्त व मसालेदार खाने, फास्ट फूड से परहेज जरूरी है। 70 प्रतिशत से अधिक कई धमनियों यानी आरट्री के बंद होने पर ही एंजियोग्राफी या आपरेशन कर स्टंट डालने की आवश्यकता होती है, अन्यथा दवाओं से ही उपचार किया जाता है।

सीने में दर्द, रक्त और आक्सीजन की कमी, पसीना आना और बाईं बाजू में दर्द, जबड़े और गर्दन में दर्द होना। गैस्ट्रिक में पेट में दर्द रहती है। कमजोरी व थकान, नींद में गड़बड़ी।

तीन घंटे में अस्‍पताल पहुंचाना जरूरी

आइजीएमसी शिमला के कार्डियोलाजी विभाग के अध्‍यक्ष डाक्‍टर पीसी नेगी का कहना है सर्दियों में हृदयाघात के ज्यादा मामले आते हैं। लोग उपचार में देरी करते हैं और इसके कारण मरीज की हालत खराब हो जाती है और मृत्यु तक हो जाती है। कम से कम तीन घंटे में अस्पताल पहुंचना जरूरी है।

 

 

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