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ऋषि सुनक की पार्टी 14 साल में पहली बार सत्ता से क्यों हुई बाहर? - श्रीनारद मीडिया

ऋषि सुनक की पार्टी 14 साल में पहली बार सत्ता से क्यों हुई बाहर?

ऋषि सुनक की पार्टी 14 साल में पहली बार सत्ता से क्यों हुई बाहर?

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श्रीनारद  मीडिया सेंट्रल डेस्क

साल की शुरुआत में टीज वैली के मेयर के रूप में चुने गए लॉर्ड बेन होचेन ने कहा था कि कंजर्वेटिव पार्टी जिस अराजकता में फंसी हुई है उसके लिए आखिरकार अंतिम रूप से ऋषि सुनक ही जिम्मेदार हैं. उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए हैरानी भरी और एक करारा झटका थी. आज जब यूके का रिजल्ट जारी हुआ और जिस तरह के परिणाम सामने आये हैं उससे ऋषि सुनक अपनी जवाब देही से नहीं बच सकते हैं.

14 साल तक सरकार में रहने के बाद, प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को अब तक की सबसे बुरी चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. सत्ता विरोधी लहर और अर्थव्यवस्था की स्थिति से लेकर आव्रजन और स्वास्थ्य सेवा तक, कंजर्वेटिव पार्टी के सत्ता खोने के कई मुख्य कारण हैं.

धीमी आर्थिक वृद्धि

सुनक सरकार की हार का सबसे महत्वपूर्ण कारण पिछले कुछ वर्षों में ब्रिटेन में आए संकटों की श्रृंखला है. अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, देश में वृद्धि दर काफी काम रहा और अन्य प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत खराब प्रदर्शन रहा. 2023 में, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और साल की शुरुआत में ही मंदी आ गई.

हेल्थ केयर संकट का समाधान करने में नाकाम

ब्रिटिश समाज की आधारशिला एनएचसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है. कर्मचारियों की कमी की वजह से मरीजों को लंबे समय तक मेडिकल मदद नहीं मिल पा रही है जिसकी वजह से ऋषि सुनक की सरकार के खिलाफ लोगों में भारी गुस्सा था. एंबुलेंस और अस्पताल के बिस्तरों के लिए लंबे समय तक लोगों को प्रतीक्षा करना पड़ रहा था. ऐसे में ऋषि सुनक 1 साल से ज्यादा वक्त तक सत्ता में रहने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाए और लोगों की नाराजगी उन्हें झेलनी पड़ी है.

पार्टी में मची भगदड़ को संभालने में नाकाम रहे सुनक

इस साल की शुरुआत में ऐसी अफवाहें थी की सांसदों का एक समूह सुनक की जगह उनके पूर्व नेतृत्व प्रतिद्वंद्वी और उनके मंत्रिमंडल में हाउस ऑफ कॉमंस के नेता पेनी मॉडर्न को प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. लेकिन सुनक इस बात के लिए तैयार नहीं थे. वह पार्टी में अपने पद पर बने रहे, क्योंकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी साल के इस मोड़ पर भारतीय मूल के ब्रिटिश नेता को बदलने के विचार को पागलपन करार दिया. इस प्रकार पार्टी में दो विचरधारा की लहर दौड़ पड़ी और पार्टी के वरिष्ठ नेता, ऋषि सुनक की आलोचना करते हुए कंजरवेटिव पार्टी को छोड़ने का और लेबर पार्टी का दामन थामने का ऐलान कर दिया.

ऋषि सुनक की नाकाम माइग्रेशन पॉलिसी

ऋषि सुनक का माइग्रेशन पॉलिसी विवाद का एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है. इंग्लिश चैनल पार करने वाले प्रवासियों और शरण चाहने वालों की संख्या दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में सरकार की सीमा नियंत्रण उपायों की लोगों द्वारा लगातार आलोचना होती रही है. इसके बाद प्रवासियों को निर्वासित करने की ऋषि सुनक की योजना, जिसमें कई प्रवासियों को रवांडा भेज दिया गया, उसको लेकर यूके सरकार पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने और अमानवीय होने के आरोप लगे हैं. आलोचकों का तर्क है कि यह रणनीति लोगों को अपने देश से भगाने के लिए प्रेरित करने वाले कारणों को संबोधित करने में विफल रही है.

आलीशान जीवन शैली

ऋषि सुनक को अपनी आलीशान जीवन शैली के लिए भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. वैसे भी वह हाउस ऑफ कॉमंस में सबसे अमीर सांसद है. सुनक किंग चार्ल्स से भी अमीर हैं. इसके अलावा इस वक्त पूरे यूरोप में सत्ता विरोधी लहर चल रही है और इटली, नीदरलैंड के बाद फ्रांस में भी मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट डाले गए हैं और काफी हद तक ऋषि सुनक भी सत्ता विरोधी के लहर के शिकार बन गए हैं.

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