क्या भारत नहर बनाकर चेनाब नदी का पानी डायवर्ट करेगा?

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भारत सिंधु जल संधि पर विचार करें-पाकिस्तान

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान की कमर तोड़ने के लिए तिहरा वार करने की तैयारी कर रहा है। इस सिलसिले में पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने के लिए भारत रणबीर नहर का दोहरीकरण करने पर विचार कर रहा है। इसके जरिये पाकिस्तान के पंजाब जा रहे चेनाब नदी के पानी की बड़ी मात्रा भारत में ही रोक ली जाएगी। अभी सिर्फ एक रणबीर नहर से चेनाब का पानी जम्मू के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाया जाता है। जाहिर है कि इससे हम अपने भी हिस्से का पूरा पानी नहीं ले पाते हैं।

अब तक समझौता बहाल नहीं

नहर के दोहरीकरण से भारत 150 घन मीटर पानी डायवर्ट कर पाएगा। कश्मीर में 26 नागरिकों की हत्या के तुरंत बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया था। यह समझौता सिंधु नदी प्रणाली के तहत जल बंटवारे का प्रबंधन करता है। भारत और पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम पर सहमत होने के बावजूद समझौते को बहाल नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अधिकारियों को चेनाब, झेलम और सिंधु नदी की परियोजनाओं के निष्पादन में तेजी लाने का आदेश दिया है। इनमें से एक प्रमुख योजना रणबीर नहर का दोहरीकरण है।

भारत ने पानी रोकना शुरू किया

  • एक अधिकारी ने बताया कि इसको लेकर चर्चा पिछले महीने शुरू हुई थी और संघर्ष विराम के बाद भी जारी है। पाकिस्तान की लगभग 80 प्रतिशत खेती सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है और लगभग सभी जलविद्युत परियोजनाएं भी इसी पर स्थित हैं।
  • इस्लामाबाद को इस बात का अंदाजा है कि भारत ने यदि बांध, नहर या अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर पानी को रोकना शुरू कर दिया, तो उसे किस तरह के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

नहर के दोहरीकरण का यह होगा परिणाम

वर्तमान में रणबीर नहर लगभग 120 किलोमीटर लंबी है। इसका विस्तार किए जाने पर भारत हर सेकेंड 150 घन मीटर पानी चेनाब नदी से डायवर्ट कर सकता है, जबकि वर्तमान में यह मात्रा केवल 40 घन मीटर है। चेनाब नदी का पानी पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में खेती और पेयजल के लिए बेहद आवश्यक है। अगर भारत इस पानी को मोड़ने में सक्षम हो गया, तो पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है।

भारत सिंधु जल संधि पर विचार करें-पाकिस्तान

पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तब तक स्थगित रहेगा जब तक वह सीमापार आतंकवाद को समर्थन-संरक्षण देना पूरी तरह समाप्त नहीं कर देता। पाकिस्तान को न केवल इसे समाप्त करना होगा, बल्कि उसके प्रयास भरोसेमंद भी होने चाहिए। प्रयास इतने प्रभावी होने चाहिए कि इस समर्थन-संरक्षण की फिर गुंजाइश न रहे। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने 24 अप्रैल को सिंधु जल संधि अपनी ओर से स्थगित करने के अपने कदम की जानकारी कैबिनेट सचिव को दी है।

पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल संधि स्थगित

कैबिनेट सचिव को मंत्रालय की ओर से भेजी गई मासिक रिपोर्ट में सचिव देवश्री मुखर्जी ने लिखा है कि पहलगाम में 22 अप्रैल को बर्बर और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में की गई थी।

पाकिस्तान ने इस संधि पर फिर से बातचीत की इच्छा दोहराई

भारत के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान ने पहली बार इस संधि पर नए सिरे से बातचीत की इच्छा जताई है, लेकिन सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आने वाला। इस बीच, भारत ने संधि की प्रतिबद्धताओं से हट जाने के बाद सिंधु जल संधि के दायरे में आने वाली सभी छह नदियों पर अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर अपना काम शुरू करना दिया है। इसी के तहत जल विद्युत परियोजनाओं के बांधों की हर माह सफाई कराने का निर्णय लिया गया है। अभी तक पाकिस्तान इस काम में भी अड़चनें पैदा करता रहा है।

 

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