क्या बिहार में रद होगा विशेष गहन पुनरीक्षण?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद से सड़क तक विपक्ष का विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने SIR को लेकर एक बड़ी टिप्पणी की है।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अगर बिहार मतदाता सूची में अवैधता साबित हो जाती है, तो SIR के परिणामों को सितंबर तक रद किया जा सकता है।बता दें, सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की मतदाता पुन: सत्यापन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जो बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हो रही है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने इस प्रक्रिया के संवैधानिक आधार पर सवाल उठाया और कहा कि चुनाव आयोग जिसने नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेजों की मांग की थी, उसके पास इस मामले पर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने क्या तर्क दिया?
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि नागरिकता का मामला भारत सरकार खासकर केंद्रीय गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग कहता है कि नागरिकता तय करने के लिए आधार पर्याप्त नहीं है, लेकिन उनके पास नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा था कि उन्हें सिर्फ मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने की जरूरत है।”
बिहार की ड्राफ्ट मतदाता सूची आने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने गुरुवार को कहा कि एक अगस्त को आने वाली इस सूची में यदि किसी का नाम गलत तरीके से जुड़ गया है तो उसको हटवाने और यदि किसी पात्र मतदाता का नाम छूट गया तो उसे जुड़वाने के लिए एक महीने का समय दिया गया है।
राजनीतिक दल और फिर जिस मतदाता का नाम छूट गया है वे इसे लेकर अगस्त से एक सितंबर तक आपत्ति दर्ज करा सकते है। इसे लेकर वह प्रत्येक विधानसभा के मतदाता पंजीयन अधिकारी (ईआरओ), जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) व राज्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) के पास आपत्ति दर्ज करा सकते है।
मुख्य चुनाव आयुक्त कुमार ने कहा कि इस ड्राफ्ट मतदाता सूची को जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ) द्वारा बिहार के सभी 38 जिलों में सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा किया जाएगा। उन्हें इसकी हार्ड और डिजिटल प्रतियां दोनों दी जाएगी। इसके साथ ही इसे आनलाइन अपलोड भी दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एसआइआर को लेकर जारी किए गए कार्यक्रम के तहत राज्य का कोई भी राजनीतिक दल या मतदाता यदि किसी का नाम छूट गया है तो एक अगस्त से एक सितंबर तक दावे आपत्तियां दर्ज करा सकते है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने एसआइआर को लेकर यह स्थिति उस समय साफ की है जब एक अगस्त को ड्राफ्ट सूची आने वाली है। साथ ही विपक्ष दल इस मुद्दे पर पहले ही से संसद के भीतर प्रदर्शन कर रहे है। ऐसे में ड्राफ्ट में से किसी का नाम कटने को वह मुद्दा बना सकते है।गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण का काम 25 जून से शुरू कर दिया था। जिसमें 25 जुलाई तक सभी को गणना फार्म भर कर जमा कराने थे।
65 लाख नाम कटने पर विवाद
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर किया गया था, जिसमें एसआईआर में बिहार के 65 लाख मतदाताओं को बिना कारण बताए छोड़ने का दावा किया गया। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर शीर्ष अदालत को बताया कि नियमों के तहत ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न किए गए व्यक्तियों की अलग से सूची प्रकाशित करना निर्धारित नहीं है।
चुनाव आयोग ने कहा कि उसने राजनीतिक दलों के साथ ड्राफ्ट सूची साझा की है और ड्राफ्ट सूची में लोगों को शामिल न करने का कारण बताया आवश्यक नहीं है। आयोग ने यह भी कहा कि जिन्हें ड्राफ्ट में शामिल नहीं किया गया है, उनके पास घोषणापत्र प्रस्तुत करने का विकल्प मौजूद है। चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे मतदाताओं को सुनवाई और प्रासंगिक दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा।
इलेक्शन कमीशन ने याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाने का भी अनुरोध किया। चुनाव आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। याचिकाकर्ता बेदाग हाथों से अदालत आए हैं और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। आयोग ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अधिकार के तौर पर हटाए गए मतदाता नामों की सूची नहीं मांग सकते।