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क्या ASI सर्वे से खुलेंगे ज्ञानवापी के सारे राज? - श्रीनारद मीडिया

क्या ASI सर्वे से खुलेंगे ज्ञानवापी के सारे राज?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई तक रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस अवधि के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट  का आदेश भी लागू नहीं होगा। इस बीच मस्जिद समिति उच्च न्यायालय का रुख करेगी, लेकिन क्या आपको पता है कि राम मंदिर मामले में उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले का आधार ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के सर्वे को ही माना था।

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया ASI की रिपोर्ट का सहारा

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ ने अयोध्या विवाद पर नौ नवंबर 2019 को दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में एएसआई की 2003 में दी गई रिपोर्ट (ASI Report on Ayodhya) का भी सहारा लिया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की कोई सटीक जानकारी नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि मस्जिद को खाली जगह पर नहीं बनाया गया था।

दरअसल, एएसआई ने 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर अयोध्या में विवादित जमीन की खुदाई की थी। इस दौरान मिली चीजों का वैज्ञानिक परीक्षण करने के बाद विवादित ढांचे के नीचे मंदिर के अवशेष होने का दावा किया गया। इन सबूतों ने फैसले में निर्णायक भूमिका निभाई।

ASI ने सबसे पहले कब की राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई?

नौ पुरातत्वविदों के एक समूह ने 1976 से लेकर 1977 तक अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई की थी और बाबरी मस्जिद के नीचे एक राम मंदिर होने के पर्याप्त सबूत खोजे थे। उनका कहना था कि खुदाई टीम को कई टेराकोटा मूर्तियां मिलीं, जिनमें इंसानों और जानवरों को दर्शाया गया है, जो एक मंदिर की विशेषता है, मस्जिद की नहीं।

ASI की टीम में कौन-कौन लोग शामिल थे?

ASI की इस टीम में पांच पुरातत्वविद् प्रोफेसर बीबी लाल, डॉ. केपी नौटियाल, एसके श्रीवास्तव, आरके चतुर्वेदी, केएम अस्थाना  जीवाजी विश्वविद्यालय से थे, जबकि अन्य तीन – महदावा एन कट्टी, एलएम वहल, एमएस मणि – भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से थे। इस समूह में एक सदस्य हेम राज ने पुरातत्व विभाग, यूपी सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। उनके अलावा, पुरातत्व स्कूल के बारह छात्र भी अभ्यास का हिस्सा थे। इस परियोजना में एकमात्र मुस्लिम चेहरा केके मुहम्मद थे, जो उस समय एक छात्र थे और बाद में एएसआई में उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक बने।

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक (उत्तर) केके मुहम्मद, 1976-77 में पूर्व एएसआई महानिदेशक बीबी लाल के तहत आयोजित पहले उत्खनन अभियान का हिस्सा थे। उन्होंने दावा किया कि सबूतों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि उस स्थान पर कभी एक भव्य मंदिर था।
  • एएसआई अधिकारी ने कहा कि उन्हें मस्जिद के 12 खंभे मिले जो एक मंदिर के अवशेषों से बने थे, और अवशेषों में मिले घड़े से संकेत मिलता है कि वे एक मंदिर के प्रतीक थे
  • एएसआई अधिकारी ने कहा कि उन्हें मस्जिद के 12 खंभे मिले जो एक मंदिर के अवशेषों से बने थे, और अवशेषों में मिले घड़े से संकेत मिलता है कि वे एक मंदिर के प्रतीक थे
  • इसके बाद, 2003 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के एक आदेश के अनुसार खुदाई का दूसरा दौर शुरू हुआ। हालांकि, तब तक मस्जिद को हिंदुत्व कार्यकर्ताओं द्वारा नष्ट कर दिया गया था।
  • विध्वंस के कारण ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण किया जा सका।
  • सभी पुरातात्विक खोजों को वीडियो पर रिकॉर्ड किया गया और पहले के निष्कर्षों से सत्यापित किया गया, जिससे साइट पर एक मंदिर होने का निष्कर्ण सामने आया।

खुदाई के दौरान मिले कलश और खंभे

एएसआई अधिकारी मुहम्मद ने कुछ साल बाद राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई पर एक इंटरव्यू दिया था। इस दौरान उन्होंने बताया,

मैं जब अंदर गया तो मुझे मस्जिद के 12 खंभे दिखाई दिए, जो मंदिर के अवशेषों से बने थे। आपको 12 वीं और 13 वीं शताब्दी में बने लगभग सभी मंदिरों में आधार पर पूर्ण कलश मिलता है। यह एक घड़े की संरचना में था, जिसमें से पत्ते निकल रहे थे। यह हिंदू धर्म में समृद्धि का प्रतीक है। इसे अष्टमंगला चिन्ह के नाम से भी जाना जाता है।

अंदर जाने पर कई देवी-देवताओं की मूर्ती दिखाई दी। बाबरी मस्जिद में कोई देवी-देवता नहीं दिखाई दिए थे, लेकिन अष्टमंगला चिन्ह दिखाई दिया था। इसके आधार पर कोई भी पुरातत्ववेत्ता यह कहेगा कि ये मंदिर के अवशेष हैं।

खुदाई के दौरान और क्या मिला?

मुहम्मद ने कहा कि खुदाई के दौरान टीम को कई टेराकोटा की मूर्तियां भी मिलीं, जिसमें इंसानों और जानवरों को दर्शाया गया था। यह विशेषता एक मंदिर की हो सकती है, लेकिन मस्जिद की नहीं, क्योंकि इस्लाम में यह हराम है। उन्होंने कहा कि बीबी लाल ने इन निष्कर्षों को उजागर नहीं किया , क्योंकि हमारी खुदाई का उद्देश्य यह स्थापित करना नहीं था कि वहां मंदिर था या नहीं। हम सिर्फ उस जगह का सांस्कृतिक क्रम देखने चाहते थे।

राम जन्मभूमि स्थल की दूसरी खुदाई कब हुई?

दूसरी खुदाई में एएसआई की टीम को 50 से अधिक खंभे मिले। इससे साफ संकेत मिलता है कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर था, जो 12 वीं शताब्दी ईसा पूर्व का हो सकता है। इसके अलावा, दीवारों पर मगरमच्छ के प्रतीक को भी दर्शाया गया था। साइट से मिले दो अवशेषों पर विष्णु हरि शिला फलक का एक शिलालेख भी पाया गया था।

इसके अलावा, देवी-देवताओं ,महिला मूर्तियों की टेराकोटा वस्तुओं के 263 टुकड़े मिले। इससे यह साबित होता है कि वहां मंदिर था।

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर क्या फैसला सुनाया था?

सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने ऐतिहासिक फैसले में एएसआई के 2003 के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कहा था कि बाबरी मस्जिद पहले से मौजूद एक बड़े ढांचे की दीवारों पर आधारित थी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन करने और मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था। बाबरी मस्जिद को छह दिसंबर 1992 को ध्वस्त कर दिया गया था।

ASI की 2003 की रिपोर्ट कितने पन्नों की थी?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में 2003 में जारी एएसआई की रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई। यह  रिपोर्ट में कहा गया था कि विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि स्थल पर एक ‘हिंदू संरचना’ के अवशेष पाए गए थे। नतीजा 574 पन्नों की एक रिपोर्ट थी, जो उसी साल अगस्त में अदालत को सौंपी गई थी।

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