क्या भाजपा के लिए पूर्वांचल में एक सीट पर सिमट जायेगा भूमिहार समाज का कोटा?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तरप्रदेश में घोसी, गाजीपुर, बलिया और देवरिया में भाजपा को एक टिकट भूमिहार कोटे से देना है। घोसी की सीट गठबंधन में ओपी राजभर की पार्टी सुभासपा के खाते में है। बलिया और देवरिया में वर्तमान सांसद भाजपा के है लेकिन अब तक टिकट फाइनल नहीं होने के कारण दोनों प्रत्याशी बदलने के कयास लगाए जा रहे है। वर्तमान परिस्थिति में गाजीपुर भाजपा के लिए सबसे कठिन सीट है।

कभी मनोज सिन्हा की सीट रही गाजीपुर लोकसभा से उनके पुत्र अभिनव सिन्हा का नाम चर्चा में है, लेकिन सर्वेक्षणों में अभिनव अपने पिता की लोकप्रियता से बहुत पीछे है। अगर सीनियर सिन्हा स्वयं यहाँ से दावेदारी नहीं करते तो किसी भी अन्य भूमिहार कैंडिडेट के लिए यह सीट सुरक्षित नहीं है। एक सीट के कोटे वाली बिरादरी का अगर दिल्ली पहुँचना भाजपा आलाकमान को पसंद नहीं हो तो यह सीट निश्चित ही भूमिहार समाज को देकर ठिकाने लगाने का प्रयास किया जायेगा। बलिया में किसी भूमिहार प्रत्याशी की चर्चा नहीं है।

शेष बचती है ब्राह्मण समाज के लिए सुरक्षित रही सीट – देवरिया। पिछले एक दशक से यह सीट पैराशूट ब्राह्मण नेताओं के लिए रिटायरमेंट सीट के रूप में चर्चित रही है। कारण है बड़ी संख्या में सवर्ण मतदाता, चुकी भूमिहार और ब्राह्मण समाज में अनेक उपनाम सामान है तो यह फर्क करना मुश्किल हो जाता है कि कितने मतदाता भूमिहार है और कितने ब्राह्मण, लेकिन लखनऊ और दिल्ली के विद्वान पत्रकारों ने यह स्थापित कर दिया है कि यह सीट ब्राह्मण बाहुल्य है।

विडंबना यह है कि उनमें अधिकतर पत्रकार ब्राह्मण है और इस पर प्रश्न उठाने वाले भूमिहार। ख़ैर नरेंद्र मोदी की भाजपा के फैसले का पूर्वानुमान तो राजनीति के पंडित भी नहीं लगा पाते है, हमारे जैसे सामान्य व्यक्ति क्या ही जान पाएंगे लेकिन जिस तरह देवरिया में स्थानीय प्रत्याशी की मांग उठ रही है उससे यह उम्मीद बनती है कि टिकट किसी स्थानीय को दिया जायेगा।

इस हिसाब से, अगर गाजीपुर में भूमिहार समाज कि बलि नहीं दी जाती है तो कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही और पूर्व मंत्री डॉ० पी० के० राय के नाम पर जरूर विचार होगा। अगर यह सीट ब्राह्मण समाज में बनी रहती है तो शलभ मणि त्रिपाठी, शशांक मणि त्रिपाठी, डॉ० अजय मणि त्रिपाठी जैसे नामों कि लम्बी लिस्ट है। इसके साथ ही एक राज्यपाल महोदय ने अपने भतीजे का नाम भी केंद्रीय नेतृत्व को सुझा दिया है। इसके बाद इस सीट का टिकट और भी उलझ गया है।

आभार-विश्वजीत शेखर राय, सलेमगढ़, कुशीनगर

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