स्कूल खुलने से युवक एवं युवतियों के मनःस्थिति में होगा बदलाव

स्कूल खुलने से युवक एवं युवतियों के मनःस्थिति में होगा बदलाव

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

कोरोना के तीसरे चक्र की सम्भावना को लेकर सतर्कता ज़रूरी: सिविल सर्जन
किशोरों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक समझने की जरूरत: डॉ एसके वर्मा

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


कोरोना संक्रमण काल ने आम आदमी को जितना प्रभावित किया है, शायद उससे कहीं ज़्यादा युवा पीढ़ी, युवक एवं युवतियों सहित स्कूली बच्चों को भी प्रभावित किया है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि युवा पीढ़ी और युवक एवं युवतियों को सामाजिक और मानसिक स्तर पर प्रोत्साहित किया जाए। हालांकि वर्तमान समय में राज्य सरकार के द्वारा दिये गए दिशा-निर्देश के आलोक में राज्य के सभी स्कूल व कॉलेज खुल चुके हैं। बहुत दिनों के बाद किशोर एवं युवाओं को अपने मनःस्थिति के बारे में दोस्तों के साथ चर्चा करने को मिलेगा। एक दूसरे से अपनी मन की बातों से अवगत कराने की आजादी मिल रही है। इससे मानसिक स्थिति में निश्चित रूप से बदलाव देखने को मिलेगा। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने पुनर्वास और किशोर मनोविज्ञान के बारे में बताते हुए कहा कोरोना संक्रमण काल के दूसरे दौर के बाद की स्थिति में काफ़ी सकारात्मक बदलाव आया है। हालांकि एक दूसरे से मिलने के साथ ही अभी भी कोरोना के तीसरे चक्र को लेकर संभावना बनी हुई है। जिस कारण कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन हर हाल में काफ़ी हद तक किया जा रहा है। ताकि फिर से कोरोना संक्रमण वायरस के संक्रमण से खुद एवं दूसरों की सुरक्षा की जा सके।

कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार युवाओं को घर से निकलने पर लगी थी पाबंदी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर महामारी के प्रभाव को लेकर बताया कि शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी में देश वासियों को मुश्किलभरे दौर से गुजरना पड़ा है। जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा युवा पीढ़ियों पर पड़ा है। जो समय के साथ खुद को ढाल नहीं पा रहे हैं। उनकी दिनचर्या में काफ़ी बदलाव आ गया है। घर पर रहने के कारण अधिक खाना खाने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कुछ वैसे भी युवा हैं जो अकारण चिड़चिड़ा या आक्रामक हो गए थे। कुछ युवाओं के व्यवहार में बहुत ज़्यादा गंभीरता यानी ओसीडी (अब्सेसिव कंपलसिव डिसआर्डर) का असर भी दिख रहा है। जिसका कारण यह है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी कोविड-19 गाइडलाइन के अनुसार घर से निकलना मुश्किल हो गया था। हालांकि घर में रहने से ज्यादातर समय मोबाइल पर व्यतित हो रहा था। ऐसे में उनकी एकाग्रता काफ़ी कम हो गई है। कुछ वैसे भी युवा हैं जिन्हें अपने निकट सगे संबंधियों को खोने के बाद समस्या उत्पन्न हो गई है।

किशोरों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक समझने की जरूरत: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कोविड-19 संक्रमण वायरस के कारण लगाई गई पाबंदियों के कारण बच्चे घर से बाहर होने वाली अन्य तरह की गतिविधियों में भाग नहीं ले पा रहे हैं। हालांकि अब धीरे-धीरे स्कूल और कॉलेज खुल चुके हैं। इससे पहले स्कूली बच्चे कैंपस लाइफ और दोस्तों को मिस कर रहे थे। जिनसे अक्सर वह अपने मन की बातें साझा किया करते थे। इन सभी परिस्थितियों के बीच सामंजस्य बनाना बेहद मुश्किल भरा दौर था। किशोरों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक समझने की जरूरत हैं। इसके साथ ही यह जानने की भी जरूरत है कि किशोरों की ऊर्जा को पारिवारिक कार्यक्रम और ऐसी रचनात्मक कार्यों में लगाएं, जिससे वह खुद को अकेलापन महसूस नहीं करें। आप सभी से अपील है कि अपने बच्चों के लिए एक अच्छा दोस्त बनें, उसके साथ समय व्यतित करें। किसी भी तरह के कार्यो के लिए उन्हें प्रेरित करें। अभिभावकों को भी अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करने की कोशिश करनी चाहिए। अधिक से अधिक समय अपने बच्चों को देने की कोशिश करें। अभिभावकों को यह समझना होगा कि किशोर इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहा हैं।

 

 

यह भी पढ़े

बड़हरिया थाने में जनता दरबि लगाकर अंचलाधिकारी ने किया दर्जनभर मामलों का निपटारा

हसनपुरा में प्रभु इंटरप्राइजेज का हुआ उद्घाटन 

गोपालगंज को कौशल बनाने के लिए हूं संकल्पित- कौशल यादव

दहेज के लिये नव विवाहिता को मारपीट कर घर से निकाला 

Leave a Reply

error: Content is protected !!