विश्व हेपेटाइटिस दिवस – “चलों इसे तोड़ दें” थीम के तहत वैश्विक स्तर पर मनाया जाएगा “हेपेटाइटिस बी” दिवस: सिविल सर्जन

विश्व हेपेटाइटिस दिवस – “चलों इसे तोड़ दें” थीम के तहत वैश्विक स्तर पर मनाया जाएगा “हेपेटाइटिस बी” दिवस: सिविल सर्जन
राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत 28 जुलाई से 04 अगस्त तक चलाया जाएगा जागरूकता अभियान:
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
विश्व के लोगों के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को “विश्व हेपेटाइटिस बी” दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसका टीका जन्म के समय ही नियमित रूप से विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में टीकाकरण केंद्रों पर नवजात शिशुओं को लगाए जाते हैं।
इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग, सहयोगी संस्थाओं व कई सामाजिक स्तर पर कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थानों द्वारा भी इसको लेकर समय- समय पर बैनर, पोस्टर या अन्य गतिविधियों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि इस बीमारी के संबंध में सभी को जानकारी मिल सके।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि विश्व स्तर पर मनाए जाने वाले “हेपेटाइटिस बी” दिवस का इस बार थीम “चलों इसे तोड़ दें” के साथ मनाया जा रहा है। क्योंकि हेपेटाइटिस वायरस के कारण होने वाला एक तरह का संक्रमण है जो सबसे पहले ह्रदय को प्रभावित करता है। उसके बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। जिस कारण लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर एवं ह्रदय आघात का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो प्रति वर्ष पूरे विश्व में लगभग 9 लाख से अधिक लोगों की मौत हेपेटाइटिस “बी” संक्रमण से होती है। आमजनमास में जागरूकता अभियान चलाने के लिए राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीएचसीपी) को 28 जुलाई से 04 अगस्त तक जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
जन्म के दौरान संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की अधिक संभावना: डॉ ओपी लाल
प्रभारी जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि हेपेटाइटिस ए वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और दूषित पानी या भोजन के सेवन से फैलता है। मतली, उल्टी, दस्त, निम्न-श्रेणी का बुखार और लिवर एरिया में दर्द कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन पर ध्यान देना जरूरी होता है। तो हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित खून, वीर्य और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है।
जन्म के दौरान भी संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी वायरस लक्षण प्रकट होने से पहले छह महीने तक शरीर में निष्क्रिय रह सकता है। इसलिए अत्यधिक थकान, भूख न लगना, पीलिया, लिवर एरिया में दर्द, मतली और उल्टी जैसे लक्षणों से सावधान रहना और जल्द से जल्द हेपेटाइटिस का टेस्ट करवाना अनिवार्य है। वहीं हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून के संपर्क में आने से फैलता है। यह खून ट्रांसफ्यूजन और दूसरे प्रोडक्ट्स/प्रोसेस के माध्यम से होता है।
हेपेटाइटिस सी संक्रमण के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है। इसीलिए इसका उपचार करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है। जिस कारण संक्रमण से लिवर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। उसके बाद लिवर सिरोसिस नामक बीमारी हो जाती है। इसके बाद हेपेटाइटिस डी आमतौर पर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने वाले मरीजों में होता है। हेपेटाइटिस ई वायरस मुख्य रूप से दूषित पानी पीने या आसपास दूषित पानी फैले होने के कारण फैलता है।
संक्रमण से फ़ैलने वाली बीमारियों में हेपेटाइटिस को बेहद गंभीर रोगों की सूची में किया गया शामिल: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि लिवर में सूजन के कारण हेपेटाइटिस नामक बीमारी होती है। जो लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी और ई की वजह से होता है।
पूरे विश्व में यह वायरस हेपेटाइटिस के सामान्य वजह हैं। हालांकि, हेपेटाइटिस ऑटोइम्यून बीमारियों, दवाओं के अनुचित सेवन एवं शराब के अत्यधिक सेवन करने और हानिकारक विषाक्त पदार्थों की वजह से भी होता है। संक्रमण से फ़ैलने वाली बीमारियों में शामिल हेपेटाइटिस को बेहद गंभीर रोगों की सूची में रखा गया है। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सबसे ज्यादा प्रसूता से नवजात शिशुओं में फैलता है। हेपेटाइटिस का संक्रमण खून चढ़ाने, इस्तेमाल की गई सुई का प्रयोग, दाढ़ी बनाने वाले रेजर, दूसरे के टूथब्रश का इस्तेमाल करने, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने, नाक-कान छिदवाने से होता है।
हेपेटाइटिस जैसी बीमारी से बचाव के तरीके-
सुरक्षित यौन संबंध।
हेपेटाइटिस से बचाव के लिए रक्त चढ़ाने के पूर्व रक्त की जांच जरूरी।
स्टरलाइज़्ड सुई व सिरिंज का प्रयोग।
सुरक्षित रक्त चढ़वाना।
गर्भवती महिला को संक्रमण होने पर इलाज ज़रूरी।
टैटू के लिए नई सुई का प्रयोग।
खाना बनाने व खाने से पहले हाथ धोएं।
स्वच्छ व ताज़ा भोजन खाएं।
शौच के बाद हाथों को स्वच्छ पानी व साबुन से अच्छी तरह धोएं।

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