Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
बुद्ध पूर्णिमा के पर्व पर पीपल की पूजा करने से मिलती है तनाव से मुक्ति : कौशिक - श्रीनारद मीडिया

बुद्ध पूर्णिमा के पर्व पर पीपल की पूजा करने से मिलती है तनाव से मुक्ति : कौशिक

बुद्ध पूर्णिमा के पर्व पर पीपल की पूजा करने से मिलती है तनाव से मुक्ति : कौशिक

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर पीपल के वृक्ष के बारे में बताया जाता है कि इस दिन पीपल की पूजा करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलनी सम्भव है। इस बार यह पर्व 12 मई सोमवार को वैशाख पूर्णिमा पर दुर्लभ योग के साथ जो कई वर्षों बाद आया है, मनाया जा रहा है और पूर्णिमा का व्रत भी 12 मई सोमवार को ही रखा जाएगा। इस दिन खास तौर पर व प्रतिदिन पीपल का पूजन करने वाले व्यक्ति की जन्मकुंडली के कई दोष समाप्त हो जाते हैं और वह मानसिक तनाव व रोगों से मुक्त हो जाता है और दिव्य ज्ञान चक्षु भी खुल जाते हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में पीपल वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व माना जाता है।

पीपल को जल अर्पित कर सरसों के तेल का दीपक जला कर कम से कम सात परिक्रमा करना भी विशेष फलदायी माना गया है। पीपल वृक्ष समस्त वृक्षों में सबसे पवित्र माना गया है। पीपल वृक्ष के निचले भाग में ब्रह्मा जी का वास है, मध्य में विष्णु जी और सबसे ऊपर भगवान शिव का वास है और सभी पत्तों में सभी देवताओं का वास माना जाता है।

कुरुक्षेत्र की पावन धरती पर श्रीमद्भगवद् गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुख से कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं। बिहार राज्य में गया धाम स्थान पर महात्मा बुद्ध को भी पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने पर ही ज्ञान प्राप्त हुआ था। वो अति प्राचीन पीपल का वृक्ष आज भी गया जी स्थान पर जो बिहार में मौजूद है।

जिन व्यक्तियों का आत्मबल, मनोबल और जन्म कुण्डली में चंद्रमा कमजोर है, उनको इस दिन का लाभ उठाना चाहिए और गाय के दूध से भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए तथा जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में बृहस्पति की स्थिति ठीक नहीं है या जिन व्यक्तियों के कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहे हैं और आर्थिक संकट और कर्ज में डूबे हुए हैं, उन व्यक्तियों को शुद्ध गन्ने के रस से भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए।

अपने परिवार के सदस्यों के वजन के बराबर गौशालाओं में गऊओं को हरी घास खिलाने का भी महत्त्व माना जाता है। पीपल का वृक्ष लगाने व आरोपण पालन करने वाले व्यक्ति को अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और जातक की जन्मकुंडली के पितृ दोष भी समाप्त हो जाते हैं। सुख-सौभाग्य, संतान, पुत्र रत्न आदि की प्राप्ति होती है। पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो चौबीसों घंटे दिन-रात आक्सीजन देता है।

बैसाख मास में वृक्षों को जल अर्पित करना और पशु-पक्षियों को जल पिलाना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है, जिससे जातक का आत्मबल और मनोबल शीघ्र ही मजबूत हो जाता है। जातक के अधूरे कार्य अति शीघ्र पूरे होने लगते हैं और मनुष्य मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है और आरोग्यता प्राप्त होती है।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, संगठन सचिव षडदर्शन साधुसमाज श्री गोविंदानंद आश्रम पिहोवा दूरभाष 9416191877

Leave a Reply

error: Content is protected !!