वट सावित्री व्रत 26 मई सोमवार को, पूजन विधि और महत्व।

वट सावित्री व्रत 26 मई सोमवार को, पूजन विधि और महत्व।

श्री नारद मीडिया, दारौंदा, सिवान, बिहार।

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सिवान जिला के सभी प्रखंडो सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में वट सावित्री व्रत 26 मई सोमवार को सुहागिन महिलाएं मनायेंगी।
पंचांग के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती हैं।
इस दिन सुहागिन स्त्रियां वट वृक्ष ( बरगद के पेड़ ) की विधि विधान से पूजा कर पति की लम्बी उम्र के लिए और सुखमय दाम्पत्य जीवन की कामना हेतु विशेष पुण्यदायी व्रत वट सावित्री का व्रत करती हैं।

पूजन विधि:
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। सोलह श्रृंगार करें और पूजन की सामग्री जैसे रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, जल, धूप, दीप, मौली, फल, मिठाई और सूती धागा व्यवस्था कर
पूजा की थाली में रखे।
बरगद के वृक्ष के नीचे जाकर पहले वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें, फिर दूध और रोली,अक्षत, फल व फूल से पूजन करें। उसके बाद वट वृक्ष के तने में कच्चा सूती धागा 108 बार परिक्रमा करते हुए लपेटें। सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ करें।

पूजन के बाद “ॐ नमः भगवती सावित्री सत्यव्रते पतिव्रते नमः” मंत्र का जाप करें और पति की दीर्घायु की प्रार्थना करें।

महत्व:
इस व्रत की मूल कथा महा पतिव्रता सावित्री की है, जिन्होंने अपने तप, श्रद्धा और बुद्धि से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लेकर आई । इसी कथा के आधार पर यह व्रत विवाहित स्त्रियां करती हैं।

मान्यता है कि वट वृक्ष में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसकी पूजा से अखंड सौभाग्य, संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है। श्रद्धा और नियम से किया गया यह व्रत स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायी होता है।

इस दिन स्त्रियां सौभाग्य हेतु वट वृक्ष की 108 बार कच्चा सूत लपेटते हुए परिक्रमा करती हैं।

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