निर्जला एकादशी व्रत 6 जून शुक्रवार को मनाया जायेगा।
श्री नारद मीडिया, दारौंदा, सिवान, (बिहार)
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सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में निर्जला एकादशी व्रत 6 जून शुक्रवार को किया जायेगा।
निर्जला एकादशी व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक और कठिन व्रतों में से एक हैं।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष 6 जून शुक्रवार को निर्जला एकादशी व्रत मनाई जाएगी। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
एकादशी तिथि 5 जून को रात में 3:13 बजे से प्रारंभ होकर 6 जून को पूरा दिन और रात (भोर) में 5:02 बजे तक रहेगी।
व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता हैं। जो 7 जून शनिवार को सुबह किया जायेगा।
निर्जला एकादशी व्रत में स्नान और आचमन के अलावा जरा भी जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतो के फल की प्राप्ति सहज ही हो जाती हैं।
इस व्रत का विशेष महत्व इस बात में है कि इसमें जल सहित कोई भी आहार ग्रहण नहीं किया जाता, इसलिए इसे ‘निर्जला’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस एक व्रत के पालन से वर्षभर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इसे ‘भीमसेनी एकादशी’ भी कहा जाता है, क्योंकि महाभारत के भीमसेन ने महर्षि व्यास के परामर्श पर इसे अपनाया था।
व्रतधारी इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, मंत्रों का जप करते हैं और दान-पुण्य करते हैं।
विशेष रूप से, इस वर्ष निर्जला एकादशी पर एक दुर्लभ योग बन रहा है, जिससे कुछ राशियों पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मानी जा रही है। इस दिन का व्रत रखने से पापों का नाश, सुख-समृद्धि की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
गृहस्थ लोग 6 जून को व्रत रखेंगे, जबकि वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी 7 जून को व्रत रखेंगे। इस दिन का व्रत अत्यंत कठिन होने के बावजूद, इसकी आध्यात्मिक महत्ता के कारण इसे विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।