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फ्रांस का महान सम्राट व योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट - श्रीनारद मीडिया

फ्रांस का महान सम्राट व योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट

फ्रांस का महान सम्राट व योद्धा नेपोलियन बोनापार्ट

40 हजार लड़ाकों के बराबर था वो योद्धा

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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फ्रांस के अजाचियो शहर में 15 अगस्त1769 में नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म हुआ था। नेपोलियन 4 भाई और 3 बहनें थीं। यह एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे। नेपोलियन को बचपन से ही सेना में जाने की प्रेरणा परिवार की ओर से दी गई थी। परिवार ने नेपोलियन को सैन्य अफसर बनाने के लिए फ्रांस की सैन्य अकादमी में भेजा था। स्कली शिक्षा के बाद साल 1784 में नेपोलियन को तोपखाने से जुड़े से मुद्दों की पढ़ाई करने के लिए पेरिस के एक कॉलेज में एडमिशन लिया। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें फ्रांस के राजकीय तोपखाने में सब-लेफ्टिनेंट की जॉब मिल गई थी।

नेपोलियन ने 09 मार्च 1796 में जोसेफाइन से शादी की। लेकिन पहली पत्नी से संतान न होने के कारण उन्होंने ऑस्ट्रिया के सम्राट की बेटी ‘मैरी लुईस’ से दूसरा विवाह किया। इससे उनको संतान प्राप्त हुई। अपने युद्ध कौशल से नेपोलियन ने फ्रांस को विदेशी दुश्मनों से मुक्ति दिलाई। वहीं 15 दिसंबर 1799 को फ्रांसीसी जनता ने नेपोलियन को अपना सम्राट स्वीकार किया।

  •  परिचय :
    • नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त, 1769 को कोर्सिका (भूमध्य सागर में स्थित एक द्वीप) की राजधानी अजाशियो ( Ajaccio) में हुआ था।
      • उसे नेपोलियन-I के नाम से भी जाना जाता है।
    • एक फ्राँसीसी सैन्य प्रमुख और सम्राट जिसने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोप के अधिकांश हिस्से पर विजय प्राप्त की।
      • वर्ष 1804 में इसने स्वयं को सम्राट घोषित किया। 
    • 5 मई, 1821 को सेंट हेलेना द्वीप पर उसका निधन हो गया।
  • नेपोलियन बोनापार्ट का उदय:
    • फ्राँसीसी क्रांति: नेपोलियन बोनापार्ट फ्राँसीसी क्रांति के दौरान सेना के स्थापित रैंकों के माध्यम से शीघ्रता से पदोन्नत हुआ।
      • उसे फ्राँसीसी क्रांति (1789-1799) की संतान माना जाता है।
      • एक सुदूर-वाम राजनीतिक आंदोलन और फ्राँसीसी क्रांति के सबसे प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय राजनीतिक क्लब के एक युवा नेता के रूप में उसने तत्परता से जैकोबिन्स (Jacobins) के लिये अपना समर्थन दिखाया।
      • वह फ्राँसीसी क्रांतिकारी युद्धों में लड़ा तथा 1793 में ब्रिगेडियर जनरल के रूप में पदोन्नत किया गया।
    • कैम्पो फॉर्मियो की संधि (1797): उत्तरी इटली में ऑस्ट्रियाई लोगों के खिलाफ जीत के बाद उसने कैंपो फॉर्मियो (Campo Formio) की संधि पर विचार किया।
    • नील नदी का युद्ध (1798): उसने मिस्र (1798-99) को जीतने का प्रयास किया, लेकिन नील नदी के युद्ध में होरेशियो नेल्सन के नेतृत्व में अंग्रेज़ों ने उसे हरा दिया।
    • 18 ब्रूमेयर का तख्तापलट (1799): इस घटना में नेपोलियन एक ऐसे समूह का हिस्सा था जिसने फ्राँसीसी निर्देशिका को सफलतापूर्वक उखाड़ फेंका।
      • निर्देशिका को तीन सदस्यीय वाणिज्य दूतावास के साथ परिवर्तित कर दिया गया था, नेपोलियन पहला कौंसल/वाणिज्य-दूत (Consul) बन गया, जिससे वह फ्राँस के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में उभरा।
    • मारेंगो की लड़ाई (1800): नेपोलियन की सेना ने फ्राँस के स्थायी शत्रुओं में से एक ऑस्ट्रिया को हराया और उसे इटली से बाहर कर दिया।
      • इस जीत ने नेपोलियन की शक्ति को प्रथम वाणिज्यिक-दूत के रूप में स्थापित करने में मदद की।
      • इसके अतिरिक्त 1802 में ब्रिटिश और फ्राँस ने युद्ध को समाप्त करते हुए अमीन्स की संधि पर हस्ताक्षर किये (हालाँकि इस शांति की समयावधि केवल एक वर्ष थी)।
  • नेपोलियन बोनापार्ट का शासनकाल:
    • नेपोलियन से संबंधित युद्ध: वर्ष 1803 से 1815 तक फ्राँस नेपोलियन से संबंधित युद्धों में लगा हुआ था, जो कि यूरोपीय देशों के विभिन्न गठबंधनों के साथ प्रमुख संघर्षों की एक शृंखला है।
    • लुइसियाना खरीद: वर्ष 1803 में आंशिक रूप से भविष्य के युद्धों के लिये धन जुटाने के साधन के रूप में नेपोलियन ने उत्तरी अमेरिका में फ्राँस के लुइसियाना क्षेत्र को नए स्वतंत्र संयुक्त राज्य अमेरिका को $15 मिलियन में बेच दिया, इस लेन-देन को बाद में ‘लुइसियाना’ खरीद के रूप में जाना जाने लगा।
    • ट्रफैलगर की लड़ाई: अक्तूबर 1805 में अंग्रेज़ों ने ट्रफैलगर की लड़ाई में नेपोलियन के बेड़े का सफाया कर दिया।
      • हालाँकि उसी वर्ष दिसंबर में नेपोलियन ने वह प्राप्त किया’ जो ऑस्टरलिट्ज़ की लड़ाई में उसकी सबसे बड़ी जीत में से एक माना जाता है।
        • उसकी सेना ने ऑस्ट्रियाई और रूसियों को हराया।
        • जीत के परिणामस्वरूप पवित्र रोमन साम्राज्य का विघटन हुआ और राइन परिसंघ का निर्माण हुआ।
  • नेपोलियन द्वारा शुरू किये गए सुधार:
    • नेपोलियन संहिता: 21 मार्च, 1804 को नेपोलियन ने नेपोलियन संहिता की स्थापना की, जिसे फ्राँसीसी नागरिक संहिता के रूप में जाना जाता है, जिसके कुछ हिस्से आज भी दुनिया भर में उपयोग में हैं।
      • इसने जन्म के आधार पर विशेषाधिकारों की मनाही की, धर्म की स्वतंत्रता की अनुमति दी और कहा कि सरकारी नौकरी सबसे योग्य लोगों को दी जानी चाहिये।
      • इसमें आपराधिक कोड, सैन्य कोड और नागरिक प्रक्रिया संहिता तथा वाणिज्यिक कोड शामिल थे।
      • नेपोलियन संहिता ने नेपोलियन के नए संविधान का पालन किया, जिसने पहला ‘कौंसल’ बनाया।‘
        • ‘कौंसल’ एक ऐसी स्थिति थी जो किसी तानाशाही शासन से कम नहीं थी।
    • दासता और सामंतवाद की समाप्ति: नेपोलियन बोनापार्ट ने लोगों को स्वतंत्र करने के लिये देश में “दासता और सामंतवाद” को समाप्त कर दिया।
      • दास प्रथा, मध्यकालीन यूरोप में एक ऐसी स्थिति थी जिसमें एक काश्तकार किसान भूमि के वंशानुगत भूखंड और अपने ज़मींदार की इच्छा से बंँधा हुआ था।
      • सामंतवाद 10वीं-13वीं शताब्दी के यूरोपीय मध्ययुगीन समाजों की व्यवस्था थी जहांँ स्थानीय प्रशासनिक नियंत्रण और इकाइयों (जागों) में भूमि के वितरण के आधार पर एक सामाजिक पदानुक्रम स्थापित किया गया था।
    • शिक्षा: नेपोलियन ने स्कूलों की एक विस्तृत प्रणाली की स्थापना की, जिसे लाइसी (lycées) कहा जाता है, जो अभी भी उपयोग में है। वह  सार्वभौमिक शिक्षा का  प्रस्तावक था।
  • नेपोलियन का पतन:
    • महाद्वीपीय प्रणाली: यह ब्रिटिश वाणिज्य एवं व्यापार को समाप्त करके ग्रेट ब्रिटेन को पंगु बनाने के लिये नेपोलियन द्वारा डिज़ाइन की गई नाकाबंदी थी। यह काफी हद तक अप्रभावी साबित हुई और अंततः नेपोलियन के पतन का कारण बनी।
    • प्रायद्वीपीय युद्ध (1807–1814): यह नेपोलियन के सैन्य अभियानों के दौरान इबेरियन प्रायद्वीप के नियंत्रण के लिये फ्रांँस की आक्रमणकारी नीति के खिलाफ स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और पुर्तगाल द्वारा लड़ा गया सैन्य संघर्ष था।
    • रूस का आक्रमण:  नेपोलियन ने यूनाइटेड किंगडम पर शांति स्थापित करने के लिये दबाव बनाने को ब्रिटिश व्यापारियों के साथ व्यापार बंद करने हेतु रूस के ज़ार अलेक्जेंडर को गुप्त रूप से मजबूर किया।
    • वर्ष 1812 में रूस के विनाशकारी आक्रमण के बाद फ्राँसीसी प्रभुत्व का तेज़ी से पतन हुआ। वर्ष 1812 में कई कारणों के चलते नेपोलियन रूस पर विजय प्राप्त करने में विफल रहा, जैसे- दोषपूर्ण रसद, खराब अनुशासन, बीमारी,और प्रतिकूल मौसम ।

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