पीएम मोदी ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

पीएम मोदी ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

पीएम मोदी महाकुंभ स्थल पहुंच संगम में लगाई ने डुबकी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

तीर्थराज प्रयाग में चल रहे महाकुंभ में आज पीएम मोदी ने भी संगम में पावन स्नान किया. महाकुंभ के आरंभ हुए चार हफ्ते हो चुके हैं. 35 करोड़ से अधिक श्रद्धालु तीन हफ्तों में ही महाकुंभ स्नान कर चुके थे. अब पीएम मोदी ने संगम स्नान किया है. हालांकि जब दिल्ली में वोटिंग चल रही थी तब पीएम मोदी के प्रयाग दौरे को लेकर सवाल भी उठे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाई और गंगा की पूजा की. बोट में सीएम योगी प्रधानमंत्री को लेकर त्रिवेणी संगम की ओर गए. तट पर मौजूद लोग पीएम मोदी को देखने के लिए उमड़े. इस दौरान मोदी-मोदी के नारे भी सुनाई दिए. प्रधानमंत्री ने लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया. महाकुंभ 2025, पौष पूर्णिमा के दिन 13 जनवरी को शुरू हुआ. यह 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक चलेगा.

संगम में स्नान करने के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा- प्रयागराज महाकुंभ में आज पवित्र संगम में स्नान के बाद पूजा-अर्चना का परम सौभाग्य मिला. मां गंगा का आशीर्वाद पाकर मन को असीम शांति और संतोष मिला है. उनसे समस्त देशवासियों की सुख-समृद्धि, आरोग्य और कल्याण की कामना की. हर-हर गंगे!

पीएम मोदी के दौर से पहले, पीएमओ ने कहा कि महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम है. यह दुनिया भर के भक्तों को आकर्षित करता है. भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने की प्रतिबद्धता प्रधानमंत्री ने दिखाई है. इसके अनुरूप, पीएम मोदी ने तीर्थ स्थलों पर बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लगातार सक्रिय कदम उठाए हैं.

महाकुंभ के दौरान पीएम मोदी की दूसरी यात्रा

इससे पहले, 13 दिसंबर, 2024 को प्रयागराज की यात्रा प्रधानमंत्री ने की थी. अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने आम जनता के लिए संपर्क, सुविधाओं और सेवाओं में सुधार के लिए 5,500 करोड़ रुपये की 167 विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था.

हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 फरवरी माघ मास की गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन तप, ध्यान और साधना को विशेष फलदायी माना गया है. मान्यता है कि इस दिन जो लोग तप, ध्यान और स्नान करते हैं, उनके सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. इसके अतिरिक्त, यह दिन भीष्माष्टमी के रूप में भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के समय भीष्म पितामह ने बाणों की शय्या पर लेटे हुए सूर्य के उत्तरायण होने और शुक्ल पक्ष की प्रतीक्षा की थी. माघ मास की अष्टमी तिथि पर उन्होंने श्रीकृष्ण की उपस्थिति में अपने प्राणों का त्याग किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर स्थानीय लोग और महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु अत्यंत उत्साहित हैं. श्रद्धालुओं का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से सनातन धर्म को एक नई पहचान प्राप्त हुई है. श्रद्धालुओं ने कहा कि पहले लोग इतनी जागरूकता नहीं रखते थे, लेकिन अब उनमें आस्था और जागरूकता में वृद्धि हुई है.

 

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