एमडीए कार्यक्रम के दौरान जियाय गांव के लगभग 40 घरों ने दवा खाने से किया इनकार

एमडीए कार्यक्रम के दौरान जियाय गांव के लगभग 40 घरों ने दवा खाने से किया इनकार

अधिकारियों ने दी सारी जानकारी तो पूरे गांव के दो सौ लोगों ने खाई दवा:

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फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए लोगों को खिलायी जा रही डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा:

02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को भ्रमणशील टीम के सामने खानी होगी एल्बेंडाजोल व डीईसी की गोली:

दो साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से ग्रसित व्यक्तियों को नहीं खानी होगी दवा:

श्रीनारद मीडिया, सीवान   (बिहार):

विगत 10 फरवरी से जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस दौरान 02 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए डीईसी व एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जा रही है। हालांकि गर्भवती महिला सहित गंभीर रूप से ग्रसित लोगों को दवा नहीं खिलाना है। लेकिन किसी भी हाल में खाली पेट दवा का सेवन नहीं कराना है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि सदर प्रखंड अंतर्गत जियाय गांव के पठान टोली में अज्ञानता या किसी के बहकावे में आकर सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के दौरान खिलाई जाने वाली दवा का सेवन करने से इनकार कर दिया गया था। इस संबंध में वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग के पर्यवेक्षक जावेद मियांदाद को संबंधित भ्रमणशील टीम के द्वारा सूचना दी गई तो सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय को सूचित करते हुए स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नेसार के नेतृत्व में टीम बनाकर भेजा गया। उसके बाद उक्त टोला के सभी घरों के परिवार को दवा खिलाई गई हैं।

इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सदर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नेसार ने बताया कि जिला स्तरीय अधिकारियों के दिशा निर्देश के आलोक में स्थानीय प्रखंड के जियाय गांव के पठान टोली में बीएचएम गुलाम रब्बानी, बीसीएम अर्चना गिरी, वीबीडीएस जावेद मियांदाद और संबंधित गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) खुशी कुमारी सहित एएनएम के साथ मौके पर पहुंच सबसे पहले लोगो के साथ बैठक कर मिथक को लेकर बातचीत की गई। उसके बाद भी दवा खाने को तैयार नहीं हो रहे थे। जब जाकर किसी तरह मनाया गया। क्योंकि भ्रमणशील टीम के द्वारा ग्रामीणों के सामने दवा खाकर दिखाया गया। उसके बाद गांव वाले दवा खाने को तैयार हुए। हालांकि उन लोगों का कहना था कि गांव में किसी को फाइलेरिया जैसी बीमारी नहीं हुई है तो हम लोग दवा क्यों खाएं। इस अवसर पर सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, शिक्षा विभाग की ओर से शंभू नाथ, ए एन एम अर्चना देवी, यूनिसेफ के बीएमसी मोहम्मद जावेद, आशा फेसिलेटर पूनम देवी और टीम संख्या 02 की आशा कार्यकर्ता सुगांती देवी और अमरावती देवी मौजूद रही।

राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक जावेद मियांदाद ने बताया कि स्थानीय प्रखंड का एक मात्र एक यही गांव है जहां के लोग दवा खाने से इनकार किया था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिला स्तरीय वरीय अधिकारियों के दिशा निर्देश के आलोक में सदर पीएचसी के एमओआईसी, बीएचएम और बीसीएम सहित अन्य अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में किसी तरह समझा बुझाकर दवा खिलाया गया है। हालांकि इस संबंध में ग्रामीणों को कही से सूचना या जानकारी मिली थी कि जिसको फाइलेरिया से संबंधित बीमारी नहीं है तो दवा नहीं खाना है। जबकि ऐसा नहीं है। क्योंकि बीमारी को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि भविष्य में इस तरह की बीमारी नहीं हो इसके लिए दवा का सेवन कराया जा रहा है। वहीं ग्रामीणों को बताया गया कि ऐसे सभी लोगों को यह दवाइयां खिलाई जा रही है, जिन्हें फाइलेरिया नहीं हुआ है। दवाई खाने से लोगों में फाइलेरिया ग्रसित होने की संभावना खत्म हो जाती है और लोग सुरक्षित रहते हैं। विभागीय अधिकारियों द्वारा लोगों को समझाने पर लगभग 50 घरों के लगभग दो सौ से अधिक लोगों को उम्र के हिसाब से एल्बेंडाजोल व डीईसी की गोली खिलाई गई।

सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के दौरान दवा खाने से संबंधित जानकारी: –

दो साल से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से ग्रसित व्यक्तियों को यह दवा नहीं खानी है।

किसी भी हाल में खाली पेट दवा सेवन नहीं करना है।

एल्बेंडाजोल दवा को स्वास्थ्य कर्मी के सामने चबाकर खाना है। जबकि डी ई सी की गोली उम्र के हिसाब से पानी के साथ निगलना है।

हर पात्र व्यक्ति को स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही दवा खाना है।

छूटे हुए व्यक्ति को दवा खिलाने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पुनः भ्रमण किया जाएगा

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