अब नई तकनीक से टीबी के मरीजों की होगी जांच, सीवाई-टीबी टेस्ट तकनीक का हुआ शुभारंभ

अब नई तकनीक से टीबी के मरीजों की होगी जांच, सीवाई-टीबी टेस्ट तकनीक का हुआ शुभारंभ

• टीबी मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिवार के सदस्यों की होगी जांच
• स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया है प्रशिक्षण
• नई तकनीक से टीबी मुक्त भारत का सपना होगा साकार
• 48 से 72 घंटे बाद 5 एमएम से अधिक का इंडयूरेशन टीबी संक्रमण माना जाएगा
• इंजेक्टेबल है सीवाई-टीबी टेस्ट प्रक्रिया

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श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

छपरा। सारण में टीबी उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए पहल करते हुए नई तकनीक को लागू किया है। अब नई तकनीक से टीबी के संभावित मरीजों की जांच की जायेगी। अब सीवाई-टीबी टेस्ट के माध्यम से टीबी के संभावित मरीजों की जांच होगी। सारण में इसकी शुरुआत कर दी गयी है। इसके साथ हीं सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीएचएम, बीसीएम और एएनएम को इसको लेकर प्रशिक्षित किया गया है।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टेट कंसल्टेंट डॉ. विजेंद्र सौरभ, डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद ओर डीपीसी हिमांशु शेखर के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है। टीबी के मरीजों के संपर्क में रहने वाले परिवार के सदस्यों का जांच किया जायेगा। 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के जांच के लिए इस विधि का उपयोग किया जायेगा। सारण में इसकी शुरूआत कर दी गयी है। सबसे पहले छपरा सदर प्रखंड के एक मरीज के परिवार के तीन सदस्यों का इस विधि से टीबी का जांच किया गया है। डब्ल्यूएचओ के डॉ. विजेंद्र सौरभ ने बताया कि यह जांच त्वचा पर छोटे से इंजेक्शन के माध्यम से की जाती है। 48 से 72 घंटे के अंदर यदि इंड्यूरेशन 5 मिमी से अधिक होता है तो मरीज को टीबी संक्रमित मानकर टीपीटी दवा दी जाएगी। यदि इंड्यूरेशन 5 मिमी से कम हो, तो मरीज को असंक्रमित मानकर डेढ़ महीने बाद दोबारा जांच की जाएगी. उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों के परिवार के सभी सदस्यों की शत-प्रतिशत स्क्रीनिंग की जाएगी ताकि संक्रमण का समय रहते पता लगाया जा सके।

हाईरिस्क वाले लोगों में टीबी संक्रमण का पता लगाने में सार्थक सिद्ध होगा सीवाई-टीबी

सीडीओ डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि हाईरिस्क वाले लोगों में कोई टीबी संक्रमित तो नहीं, इसका पता अब सीवाई-टीबी टेस्ट से किया जाएगा। 48 से 72 घंटे बाद 5 एमएम से ज्यादा का इंडयूरेशन टीबी संक्रमण माना जाएगा। संक्रमण पाए जाने पर संबंधित के अन्य टेस्ट कराकर टीबी का नि:शुल्क इलाज कर ठीक किया जाएगा। टीबी संक्रमण की आधुनिकतम जांच विधि सीवाई-टीबी को फोरआर्म में 0.1 एमल इंट्राडर्मल लगाया जाएगा। संक्रमण पाए जाने पर संबंधित के अन्य टेस्ट कराकर टीबी का नि:शुल्क इलाज कर मरीज को ठीक किया जाएगा। सीवाई-टीबी टेस्ट की वॉयल प्राप्त हो गई हैं।

उन्नत तकनीक है सीवाई-टीबी टेस्ट:

डीपीसी-टीबी हिमांशु शेखर ने बताया कि सीवाई-टीबी टेस्ट भी मोंटेक्स टेस्ट की तरह ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) का पता लगाने के लिए एक प्रकार का त्वचा परीक्षण है, लेकिन यह अधिक उन्नत तकनीक का है। मोंटेक्स टेस्ट में, एक छोटी सी मात्रा में ट्यूबरकुलिन नामक एक पदार्थ को त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है। यह पदार्थ टीबी के बैक्टीरिया से प्राप्त किया जाता है। टेस्ट के परिणाम 48 से 72 घंटे के बीच में देखे जाते हैं। यदि टीबी के बैक्टीरिया के प्रति शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, तो त्वचा पर एक छोटा सा उभार या लाली दिखाई देती है। इस उभार का आकार और गहराई टीबी की उपस्थिति और गंभीरता का संकेत देते हैं। मोंटेक्स टेस्ट भी टीबी की उपस्थिति का संकेत देता है, लेकिन यह टीबी की पुष्टि नहीं करता है। टीबी की पुष्टि के लिए अन्य परीक्षणों की आवश्यकता होती है।

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