अक्षय तीज सुख और समृद्धि प्रदान करता है : डॉ. मिश्रा

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श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

हार्मनी ऑकल्ट वास्तु जोन के चेयरमैन और श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली , कुरुक्षेत्र के पीठाधीश डॉ. मिश्रा ने बताया कि अक्षय तृतीया वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। वैदिक -पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षर तृतीया या अक्षय तीज कहा जाता है।

वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है। भविष्य पुराण के अनुसार इस तिथि की युगादि तिथियों में गणना होती है,सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है। भगवान विष्णु ने नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था।

ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था I इस दिन श्री बद्रीनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री लक्ष्मी नारायण के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मन्दिर में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते है, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था I

अक्षय तृतीया का महत्व : अक्षय तृतीया का सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व है I मान्यता है कि इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों की खरीददारी या घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं I नवीन वस्त्र, आभूषण आदि धारण करने और नई संस्था, समाज आदि की स्थापना या उदघाटन का कार्य श्रेष्ठ माना जाता है I

पुराणों में लिखा है कि इस दिन पितरों को किया गया तर्पण तथा पिन्डदान अथवा किसी और प्रकार का दान, अक्षय फल प्रदान करता है I इस दिन गंगा स्नान ,कुम्भ स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं I इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है I इस बार अक्षय तीज30अप्रैल 2025 बुधवार को मनाई जायेगी।

इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं I यह भी माना जाता है कि आज के दिन मनुष्य अपने या स्वजनों द्वारा किए गए जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करे तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, अतः आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परंपरा भी है I

अक्षय तृतीया हेतु विशेष वास्तु टिप्स इस प्रकार है : अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना अधिक शुभ माना गया है। सोना खरीदने के बाद उसे घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।

आर्थिक नुकसान से बचने के लिए घर की उत्तर और पश्चिम दिशा में सोना रखना शुभ माना जाता है।अगर आप धन के देवी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो अक्षय तृतीया के दिन अलमारी या तिजोरी पर हल्दी या रोली से स्वास्तिक बनाएं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा में शीशा लगाना शुभ माना जाता।अच्छे स्वास्थ्य के लिए दक्षिण दिशा में सिर रख कर सोए। यदि आपके घर में वास्तु दोष है तो संपूर्ण वास्तु दोष कवच को घर में रखें। आपके घर में सुख समृद्धि में भगवान की कृपा मिलती है।

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