बिना रोक-टोक पारस अस्पताल में कैसे घुसे अपराधी?

बिना रोक-टोक पारस अस्पताल में कैसे घुसे अपराधी?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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जिन पांच शूटरों की पुलिस ने पहचान की हैं, उसमें एक शूटर अस्पताल के हर कोने से परिचित था। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वही इस घटना का सूत्रधार न हो। यह अपराधी कई महीनों से अस्पताल में आ जा रहा था। बताया जा रहा है कि इसे अस्पताल के गेट पर तैनात गार्ड पहचानने लगे थे। हत्या के मास्टरमाइंड को भी इस बात की जानकारी होगी, जिसके लिए उसे हायर किया गया होगा।

सीसीटीवी फुटेज में यह देखा जा रहा है कि शूटर आराम से चंदन मिश्रा के वार्ड तक पहुंच गए। वह शूटर फुलवारी शरीफ का बताया जा रहा है। उसके पिता की पटना में दुकान है।

जिस चेहरे पर है संदेह, वह जा चुका है जेल

फुटेज में एक शूटर का चेहरा साफ दिख रहा है। पुलिस ने बताया कि उसका चेहरा तौसीफ उर्फ बादशाह से मिल रहा है। बादशाह पूर्व में फुलवारी शरीफ थाना से जेल जा चुका है। दो साल बाद जेल से छूटकर आने के बाद से वह फुलवारी शरीफ में रह रहा था। उसका एक साथी सड़क हादसे में घायल हो कोमा में चला गया था। उसे पारस एचएमआरआई में भर्ती कराया गया था, जहां वह लंबे समय तक रहा। इलाज के दौरान बादशाह का पारस में आना-जाना बना रहता था। इस वजह से उसे गार्ड भी उसे पहचानते थे और उसे अस्पताल की पूरी जानकारी थी।

पारस एचएमआइआई हॉस्पिटल के वार्ड नंबर 209 में भर्ती गैंगस्टर चंदन मिश्रा पैरोल खत्म होने के एक दिन पहले ही हत्या कर दी गई। वार्ड के बाहर एक सीसीटीवी फुटेज में सभी शूटरों का चेहरा कैद हो गया है। पुलिस की मानें तो घटना सुबह 7.15 बजे की है। पांचों शूटर एक साथ ओपीडी के रास्ते अस्पताल की दूसरी मंजिल पर चंदन के वार्ड के बाहर पहुंचते है।

आसपास और भी प्राइवेट वार्ड थे। बीच में गैलरी था। गैलरी में घुसते ही एक पीले रंग का टीशर्ट पहने हुए युवक उनकी बगल से गुजर जाता है। पांचों वहां से कतार में आगे बढ़ते है। इसमें आगे चल रहे शूटर की दाढ़ी लंबी और बाल भी लंबे थे। वहीं आगे चल रहा था। इसके पीछे बाकी के चारों शूटर चल रहे थे।

किसी ने नकाब या मास्क नहीं पहन रखी थी। पीछे चल रहे चारों शूटरों ने अलग अलग रंग की टोपी पहले थे, जबकि आगे चल रहा शूटर इस कदर बेखौफ था कि उसने टोपी भी नहीं पहनी थी। जिस अंदाज में शूटर वार्ड की तरफ बढ़ रहे थे, इससे साफ है कि उन्हें पहले से पता था कि चंदन किस वार्ड में भर्ती है।

सभी सीधे वार्ड नंबर 209 के दरवाजे के पास पहुंचते है। सभी शूटर कमर से एक एक पिस्टल निकालते है। गेट पर पिस्टल काक करते है और वार्ड का दरवाजा खोलते हुए बेड पर लेटे चंदन पर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। उसे बेड से हिलने का भी मौका नहीं मिला। बेड से लेकर फर्श पर खून पसर गए और दीवार भी खून के छींटे से लाल हो गया।

फिर पहले चारों शूटर पिस्टल कमरे में खोसते हुए तेजी से वार्ड से निकलते हुए जिस दिशा से आए उधर भागने लगे। आखिरी में वह शूटर निकला जो पहले वार्ड में सबसे पहले पिस्टल लेकर दाखिल हुआ था। शूटरों ने चंदन पर ताबड़तोड़ 34 सेकेंड तक गोलियां बरसाई।

आखिरी में वार्ड से निकलने वाला शूटर कुछ कदम टहलते हुए आगे बढ़ता है। बगल के वार्ड में भर्ती मरीज के स्वजन गोली सुनकर दरवाजा भी खोलते हैं, लेकिन उस शूटर को देखकर जैसे दरवाजा खोला वैसे ही बंद कर कमरे में ही दुबके रहे।

निशाने पर सिर्फ चंदन था, खराब थी दरवाजे की कुंडी

घटना के बाद ओपीडी में चंदन के करीबी और रिश्तेदार पहुंचने लगे। इनकी के एक बीच एक 22 से 25 साल का युवक भी डरा सहमा दिखा। उसके पीठ चोट लगी थी। वह नाम बनाते से इंकार कर हुए बताया कि वह रिश्तेदार है और वार्ड में चंदन की देखरेख में था।

कुंडी सही नहीं होने से दरवाजा बंद नहीं होता था। उसने बताया कि चंदन बेड आराम कर रहे थे। तभी अपराधी आए और उन्हें निशाने पर लेते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे।

वार्ड धुआं-धुआं, बाथरूम में छिपकर बचाई जान

शूटर जब वार्ड में प्रवेश किए तब आसपास के वार्ड का दरवाजा पहले से बंद था। शूटरों ने अपने अपने पिस्टल की पूरी मैग्जीन खाली कर दी थी। ताबड़तोड़ फायरिंग से कमरा धुआं-धुआं हो गया था। वहां मौजूद अटेंडेंट वार्ड के बाथरूम में छिपकर जान बचाई।

गोलियां की आवाज सुनकर मची अफरातफरी

प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसके एक रिश्तेदार भर्ती हैं। वह बाहर लाने के लिए ओपीडी गेट से निकल रहा था, तभी चार पांच लोग चिल्लाते हुए बाहर भागे। जो मुख्य मार्ग की तरफ गए। कुछ सेकेंड उन्हें कुछ समझ नहीं आया कि हुआ क्या?

तभी देखा कि अस्पताल में अफरातफरी मची हुई है। अंदर फायरिंग हो रही है तो कोई बोल रहा था अपराधी गोली मारकर भाग रहे। पुलिस के आने तक सभी लोग दहशत में थे। दो शूटर हाथ में पिस्टल लिए हुए थे।

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