बिहार में जमीन-फ्लैट के नये रेट में बढ़ोतरी हो सकती है,क्यों?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पटना जिले में शहर और ग्रामीण इलाके में जमीन की कीमतें बढ़ने वाली है. जमीन की सरकारी दर की समीक्षा के बाद नयी दर लागू होने पर राजस्व बढ़ेगा. नयी दर लागू होने पर फ्रेजर रोड में एक कट्ठा जमीन कम से कम पांच करोड़ में मिलेगी. दानापुर में जमीन खरीद करने पर लगभग दो करोड़ देना होगा. इसी तरह कंकड़बाग इलाके में जमीन की खरीद के लिए मुख्य सड़कों पर कम से कम तीन करोड़ देने होंगे.
रजिस्ट्री के दौरान लगेगा स्टांप चार्ज
इसके साथ ही पटना सिटी इलाके में भागवत नगर में जमीन की कीमत कम से कम दो करोड़ होगी. बिहटा इलाके में कृषि जमीन की खरीद करने पर कम से कम 70 से 80 हजार लगेंगे. जमीन खरीद करने पर रजिस्ट्री कराने के समय नये रेट के अनुसार स्टांप चार्ज लगेगा. मसलन तीन करोड़ की जमीन खरीदने पर उसका 10 प्रतिशत यानी 30 लाख सरकार को देने होंगे. जबकि पांच करोड़ की जमीन खरीद पर 50 लाख का स्टांप चार्ज लगेगा.
रेट में बढ़ोतरी को लेकर न्यूनतम मूल्य दर निर्धारित
पटना जिले में शहरी और ग्रामीण इलाकों में जमीन की वर्तमान बाजार दर में बढ़ोतरी को लेकर नयी न्यूनतम मूल्य दर निर्धारित की गयी है. सूत्र ने बताया कि शहरी इलाके में तीन गुना तो पटना से सटे इलाके में चार गुना रेट में बढ़ोतरी की गयी है. जिला मूल्यांकन समिति की ओर से नयी दर से संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी गयी है. अब निबंधन विभाग की ओर समीक्षा के बाद न्यूनतम मूल्य दर निर्धारित की जायेगी. एमवीआर बढ़ने से राजस्व बढ़ेगा.
सर्किल रेट दोगुना से भी हो सकता है ज्यादा
वर्तमान में फ्रेजर रोड जैसे इलाकों का सर्किल रेट लगभग 1.5 करोड़ का है. जबकि इन इलाकों की बाजार दर पांच करोड़ के लगभग है. ऐसे में यदि सर्किल रेट पांच करोड़ के लगभग होता है, तो बाजार दर आठ से दस करोड़ तक पहुंच जायेगा. ऐसे ही अन्य इलाकों का बाजार रेट भी बढ़ेगा.
वर्तमान में क्या है रेट?
पटना में 19 सड़कों को प्रधान मुख्य सड़क में शामिल किया गया है. इसके साथ ही नये-नये इलाके विकसित हो रहे हैं. अभी फ्रेजर रोड में प्रधान मुख्य सड़क पर एक कट्ठे जमीन का मिनिमम रेट 1.35 करोड़, दानापुर में सिकंदरपुर मिथिला कॉलोनी में लगभग 70 लाख, कंकड़बाग में 1.10 करोड़, भागवत नगर में लगभग 70 लाख है.
लगभग 10 सालों के बाद होगा बड़ा बदलाव
जमीन-फ्लैट के नये रेट में बढ़ोतरी लगभग 10 सालों के बाद हो सकता है. 2013 के बाद ग्रामीण इलाके में जबकि 2016 के बाद शहरी इलाके में एमवीआर में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जमीन का मार्केट वैल्यू काफी बढ़ गया है. नयी दर के आधार पर एमवीआर में बढ़ोतरी सरकार को निबंधन और स्टांप चार्ज से अधिक राजस्व मिलेगा.


