महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी,बिहार में “पारिस्थितिकी तंत्र आधारित आपदा: बिहार बाढ़ आपदा” विषय पर परिचर्चा का हुआ आयोजन।

महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी,बिहार में “पारिस्थितिकी तंत्र आधारित आपदा: बिहार बाढ़ आपदा” विषय पर परिचर्चा का हुआ आयोजन।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सतत विकास केंद्र, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार के तत्वावधान में दिनांक 15/12/2021 को “पारिस्थितिकी तंत्र आधारित आपदा: बिहार बाढ़ आपदा” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो.संजीव कुमार शर्मा ने की। प्रति-कुलपति प्रो.जी.गोपाल रेड्डी का सान्निध्य सभी को प्राप्त हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.आर.सी.श्रीवास्तव(माननीय कुलपति,डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा) ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

सभी का स्वागत करते हुए प्रो.शहाना मजूमदार(समन्वयक, धारणीय विकास केंद्र) ने वर्तमान संदर्भों में प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूकता एवं प्रतिबद्धता की ओर संकेत किया।


मुख्य अतिथि प्रो.आर.सी.श्रीवास्तव(माननीय कुलपति,डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा) ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व प्राकृतिक आपदा के विभिन्न रूपों से जूझ रहा है। मौसम की घटनाओं में नाटकीय रूप से बढ़ोतरी हुई है। प्राकृतिक आपदाओं के कारण लोग मर रहे हैं और दुनिया भर में आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह समस्या आने वाली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा प्रश्न है। इस प्रश्न को हम नकार नहीं सकते। किसी भी परिस्थिति का सामना सकारात्मक दृष्टिकोण के बिना संभव नहीं है। अतः मैं उम्मीद करता हूँ कि हम सभी एकजुट होकर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होंगे और इन चुनौतियों का सामना करेंगे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री.दीपक कुमार(पर्यावरण अधिकारी,UNDP) ने विस्तार से पारिस्थितिकी परिवर्तन,समस्या एवं समाधान पर अपनी बात रखी। वर्तमान की बाढ़ समस्या पर वक्तव्य देते हुए श्री कुमार ने कहा कि, सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में परिष्कार की आवश्यकता है। प्राकृतिक पारिस्थितिकी व्यवस्था को नष्ट करने वाली हमारी पीढ़ी को अन्य देशों की योजनाओं एवं उनके क्रियान्वयन को समझना होगा। ‘बिहार’ के संदर्भ में यह समस्या बहुत बड़ी चुनौती है।

बिहार सरकार द्वारा संचालित ‘जन-जीवन हरियाली योजना’ इस दृष्टि से सकारात्मक योजना है। इसके सफल क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
धन्यवाद ज्ञापन(डॉ. मुकेश कुमार,सह-आचार्य, शिक्षाशास्त्र विभाग,महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) एवं कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. रश्मिता रे(सहायक आचार्य, समाज कार्य विभाग, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार) ने किया। इस दौरान प्रतिभागी साथियों द्वारा प्रश्न भी पूछे गये।

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