एनीमिया से प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है गंभीर असर, खानपान को लेकर व्यवहार परिवर्तन जरूरी

एनीमिया से प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है गंभीर असर, खानपान को लेकर व्यवहार परिवर्तन जरूरी

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सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च व केयर इंडिया के सहयोग से एनीमिया पर हुई सामुदायिक चर्चा:
सामुदायिक चर्चा में शिक्षक, पंचायत जनप्रतिनिधियों व समुदाय की महिलाओं ने लिया हिस्सा:

श्रीनारद मीडिया‚ शेरघाटी,  (बिहार)


महिलाओं में एनीमिया यानि खून की कमी होना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। एनीमिया के कारण महिलाओं का संपूर्ण प्रजननकाल बहुत अधिक प्रभावित होता है। एनीमिया के कारण उच्च जोखिम वाले प्रसव के मामले भी समाने आते हैं। कई बार प्रसव के दौरान खून की कमी होने से जच्चा बच्चा की जान को जोखिम होता है। खून की कमी वाली महिलाओं के शिशु भी जन्म के समय से कमजोर होते और बच्चों का जीवनकाल स्वस्थ्य नहीं होता है। एनीमिया की सबसे बड़ी वजहों में महिलाओं द्वारा सही खानपान की आदत नहीं रखना, किशोरियों की कम उम्र में विवाह तथा शादी के बाद बच्चों में दो से तीन साल का अतंराल नहीं होना आदि है। यदि महिलाएं सही समय पर भोजन लेने की आदत अपनाये ,सही समय पर शादी और शादी के बाद बच्चों में अतंराल की जरूरत को समझे तो एनीमिया जैसी गंभीर समस्या से बचा जा सकता है। एनीमिया के कारण कई बार जान भी चली जाती है। यह बातें सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च द्वारा एनीमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्या और पोषण के महत्व विषय पर आयोजित सामुदायिक चर्चा के दौरान स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था केयर इंडिया के अधिकारी निरंजन कुमार ने कही। अनुमंडल के आमस प्रखंड के आकौना पंचायत स्थित कोरमथू प्राइमरी स्कूल में आयोजित इस सामुदायिक चर्चा में समुदाय की महिलाओं सहित शिक्षक तथा पंचायती राज प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और एनीमिया के विषय पर जानकारी प्राप्त की। इस मौके पर आमस प्रखंड के केयर इंडिया ब्लॉक मैनेजर अभिलाष थाटी, प्रधानाध्यापक मोहम्मद बशीरुद्दीन, शिक्षक रितेश कुमार, ​खालिदा परवीन, नुसरत परवीन, टोला सेवक उपेंद्र कुमार सहित समुदाय की अन्य महिलाएं शामिल थीं।

लक्षणों की पहचान कर एनीमिया से बचाव की दी सलाह:
निरंजन कुमार ने बताया महिलाओं में खून की कमी होने के कई कारण होते हैं जिसकी पूर्ति की जानी जरूरी है। महिलाओं में मासिक धर्म के कारण खून की कमी होती है। कई बार महिलाएं बच्चों में अतंराल रखे बिना मां बन जाती हैं। एनीमिया की पहचान करने के विषय में जानकारी देते हुए बताया गया कि यदि किशोरी या महिला को थकान,दुर्बलता, पीली त्वचा, अनिय​मित दिल की धड़कन, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और हांफना जैसी समस्या होती है तो यह एनीमिया के लक्षण हैं। ऐसे लक्षणों के दिखने या महसूस होने पर ​तुरंत चिकित्सीय परामर्श पाना जरूरी है। कई बार महिलाएं इन लक्षणों को समान्य मान कर नजरअंदाज करती हैं लेकिन यह जोखिम भरा होता है। शरीर में आयरन की पूर्ति कर एनीमिया को रोका जा सकता है। कई खाद्य पदार्थ आयरन से भरपूर होते हैं। इनमें हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, सूखे मेवा, सोयाबीन, मांस मछली तथा अंडा आदि शामिल हैं। भोजन में विटामिन सी जैसे नींबू, संतरा व आवंला सहित दूसरे खट्टे फल आदि का सेवन भी जरूरी है। यह शरीर में आयरन को पचाने में मदद करता है। इसके अलावा मौसमी फलों आदि का सेवन करना चाहिए। बताया गया कि सुबह सवेरे खाली पेट चाय पीने की आदत नहीं रखें। कई बार महिलाओं चाय पीकर बहुत अधिक समय तक भूखे रहती हैं जिससे शरीर कमजोर होता है। किशोरियां व महिलाएं मैदा से तैयार खाने की चीजें तथा बाजार के तले भुने खाद्य पदार्थों से परहेज करें।

एनीमिया के प्रति जागरूकता लाने में शिक्षक आगे बढ़े:
सामुदायिक चर्चा के दौरान शिक्षक इमरोज अली ने कहा कि एनीमिया को लेकर सामुदायिक चर्चा के माध्यम से जागरूकता लाते हुए महिलाओं में व्यवहार परिवर्तन की कोशिश शिक्षकों तथा पंचायत के जनप्रतिनिधियों को किया जाना चाहिए। एनीमिया की रोकथाम के लिए समय समय पर उन्हें कारणों व लक्षणों की जानकारी देना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही समाज के पुरुषों को भी अपने घर में महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सजग होना जरूरी है।

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