क्या कोचिंग संस्थानों के लिए झटका है शिक्षा मंत्रालय के नए नियम?

क्या कोचिंग संस्थानों के लिए झटका है शिक्षा मंत्रालय के नए नियम?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में कोचिंग संस्थानों के मायाजाल को खत्म करने और लगातार बढ़ रहे छात्रों के आत्महत्या के मामलों पर ब्रेक लगाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है। मंत्रालय हाल ही में कोचिंग संस्थानों की मनमानी रोकने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की है।

कोचिंग संस्थानों को कानूनी ढांचे में लाने की तैयारी

दरअसल, सरकार इन दिशानिर्देशों के जरिए कोचिंग संस्थानों को कानूनी ढांचे में लाकर विनियमित करना चाहती है। वहीं, नियमों के उल्लंघन पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे छात्रों से ज्यादा फीस वसूली की शिकायतें, छात्रों में तनाव और आत्महत्या के मामले कम होंगे।

कोचिंग संस्थानों को पंजीकरण कराना जरूरी

  • नई गाइडलाइंस के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को कोचिंग संस्थान शुरू करने या प्रबंध करने के लिए केंद्र सरकार से उसे पंजीकृत करवाना होगा।
  • इसी के साथ जिन कोचिंग सेंटरों की एक से ज्यादा ब्रांच है, तो हर ब्रांच को अलग सेंटर के तौर पर पंजीकृत करवाना होगा।
  • वहीं, पंजीकरण की वैधता राज्य सरकार तय करेगी। सरकार के दिशानिर्देशों में पंजीकरण की वैधता का जिक्र होगा।

इन चीजों पर मनाही

  • गाइडलाइंस के अनसुार, अब कोई कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्र का नामांकन नहीं सकता है। अब सिर्फ सेकेंडरी स्कूल एक्जामिनेशन के बाद ही नामांकन करना होगा।
  • कोचिंग संस्थान अब न तो अच्छी रैंक और न ही गुमराह करने वाले वादे कर सकते हैं। ऐसा करने पर पहली बार 25000 रुपये, फिर 1 लाख के दंड का भी प्रावधान है। इसके बाद सरकार संस्थान का पंजीकरण भी रद्द कर सकती है।

कोचिंग संस्थानों का ये करना होगा अनिवार्य

  • कोचिंग सेंटरों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी टीचर्स के पास कम से कम स्नातक की डिग्री है।
  • इसी के साथ सेंटर को एक वेबसाइट भी बनानी अनिवार्य होगी, जिस पर छात्रों से ली जाने वाली फीस आदि का पूरा अपडेट होगा।
  • कोचिंग संस्थानों को छात्रों को सभी जरूरी सुविधाएं मिल रही हैं।
  • कोचिंग संस्थानों के मनमाने रवैये पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। दरअसल, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते दिन इन संस्थानों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार का मानना है कि इससे देश में बढ़ रहे छात्रों के आत्महत्या के मामलों में भी कमी आएगी।
  • इन दिशानिर्देशों के अनुसार, अब कोई भी कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के छात्र का नामांकन अपने संस्थान में नहीं कर सकते। इसके साथ ही कई और जरूरी गाइडलाइन्स जारी की गई हैं,
  • कोचिंग संस्थानों को साफ निर्देश दिया गया है कि अब वो न तो अच्छी रैंक की गारंटी दे सकते हैं और न ही गुमराह करने वाले वादे कर सकते हैं।
  • अब कोचिंग संस्थान स्नातक से कम शिक्षा वाले ट्यूटर को भी नियुक्त नहीं कर सकते हैं।
  • छात्रों का नामांकन सिर्फ सेकेंडरी स्कूल एक्जामिनेशन के बाद ही अब करना होगा।
  • कोचिंग संस्थानों को अब वेबसाइट भी बनानी होगी। इन साइट्स पर ट्यूटरों की शैक्षिक योग्यता, पाठ्यक्रमों, उन्हें पूरा किए जाने की अवधि, छात्रावास की सुविधाएं और कितनी फीस ली जा रही है उसका ताजा विवरण होगा।
  • किसी भी कोचिंग संस्थान का अब तब तक पंजीकरण नहीं होगा, जब तक कि उसके पास काउंसलिंग सिस्टम नहीं होगा।
  • सरकार का मानना है कि अवसाद या तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए संस्थानों के पास ये तंत्र होना जरूरी है।
  • विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए कोचिंग सेंटर्स को ट्यूशन फीस उचित रखनी होगी। अब फीस की रसीद भी अनिवार्य होगी।
  • अगर छात्र अपने पाठ्यक्रम की पूरी फीस का भुगतान कर देता है और वह पाठ्यक्रम को बीच में छोड़ देता है तो उसे 10 दिनों के भीतर बाकी की फीस रिफंड की जाएगी।
  • केंद्र सरकार ने इसी के साथ सुझाव दिया है कि अगर कोचिंग सेंटर ज्यादा फीस वसूलते हैं तो उन पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। इसके साथ ही संस्थान का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है।
  • इन दिशानिर्देशों के प्रभावी होने के तीन महीनों के भीतर नए एवं पहले से मौजूद कोचिंग सेंटरों को अब पंजीकरण कराने का भी सरकार ने प्रस्ताव रखा है।
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