एक समय बिहार के गाँवों में चार हज़ार छोटे पुस्तकालय सक्रिय थे

एक समय बिहार के गाँवों में चार हज़ार छोटे पुस्तकालय सक्रिय थे

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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वर्ष 1940 की इंडियन लाइब्रेरी एसोसिएशन की रिपोर्ट पढ़ रहा था, जिसमें डॉ. बिमानबिहारी मजूमदार ने बिहार के पुस्तकालयों के अतीत और वर्तमान पर एक लेख लिखा था। उन्होंने लिखा है कि बिहार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री सैयद महमूद और शिक्षा विभाग में जन-साक्षरता अभियान के प्रभारी रहे प्रो. बी.बी. मुखर्जी के प्रयासों से उस समय बिहार के गाँवों में चार हज़ार छोटे पुस्तकालय सक्रिय थे। लेख में उन्होंने पटना के कुछ चर्चित पुस्तकालयों के साथ ही कुछ ऐसे पुस्तकालयों के बारे में बताया है, जिनके बारे में मैंने कभी सुना भी नहीं था।

चर्चित पुस्तकालयों की बात करें तो ख़ुदा बख़्श ओरियंटल लाइब्रेरी, श्रीमती राधिका सिन्हा इंस्टीट्यूट लाइब्रेरी (वर्तमान में सच्चिदानंद सिन्हा लाइब्रेरी), बिहार एंड उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी लाइब्रेरी, बिहार लेजिस्लेटिव लाइब्रेरी (1912) का ज़िक्र तो इस रिपोर्ट में है ही। साथ ही, शैक्षणिक संस्थानों जैसे पटना यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी, पटना कॉलेज लाइब्रेरी, साइंस कॉलेज लाइब्रेरी, इंजीनियरिंग कॉलेज लाइब्रेरी, मेडिकल कॉलेज लाइब्रेरी, बिहार नैशनल कॉलेज लाइब्रेरी का उल्लेख भी इसमें हुआ है।

इसके अलावा कुछ कम चर्चित पुस्तकालयों के विवरण देखें :

बिहार यंग मेन्स इंस्टीट्यूट लाइब्रेरी : इस लाइब्रेरी में छह हज़ार किताबें थीं। श्री रूपकला भगवान के अनुयायियों ने तो इस लाइब्रेरी को किताबें दी ही थीं, सच्चिदानंद सिन्हा और ई.ए. हॉर्न भी इस लाइब्रेरी के दानदाताओं में शामिल थे।

बिहार हितैषी लाइब्रेरी : पटना में मंगल तालाब स्थित इस लाइब्रेरी की स्थापना राय साहब नारायण प्रसाद ने 1883 में की थी। इसमें सात हज़ार किताबें थीं।

माहेश्वर पब्लिक लाइब्रेरी : इसकी स्थापना सेठ पुरुषोत्तम प्रसाद सिन्हा ने अपने पिता सेठ माहेश्वर प्रसाद सिन्हा की याद में की थी। इसमें तब 7600 किताबें थीं।

सुहृद परिषद और हेमचंद्र लाइब्रेरी : पटना के बंगाली समुदाय द्वारा स्थापित इस लाइब्रेरी में बांग्ला की छह हज़ार किताबें थीं।
नवविधान ब्रह्म समाज लाइब्रेरी : 1935 में ब्रह्म समाज के अनुयायियों द्वारा स्थापित लाइब्रेरी।

उद्योग विभाग लाइब्रेरी : 1920 में स्थापित बिहार सचिवालय स्थित इस लाइब्रेरी में उद्योग, श्रम, व्यापार, मत्स्यपालन से जुड़ी दो हज़ार से अधिक रिपोर्टों और बुलेटिनों का संग्रह था।

वैदिक हिंदी लाइब्रेरी : बाँकीपुर स्थित आर्य समाज मंदिर द्वारा स्थापित इस लाइब्रेरी में दो हज़ार से अधिक किताबें थीं।

दुर्लभ पांडुलिपि और लघु-चित्र संग्रह : पटना के वकील पीसी मानुक और राय बहादुर राधाकृष्ण जालान के निजी संग्रह भी किसी अच्छी-ख़ासी लाइब्रेरी को मात देने वाले थे।

इसके अलावा भी कुछ अन्य पुस्तकालयों का विवरण रिपोर्ट के परिशिष्ट में मिलता है। उन्हें भी देखें :

पटना : बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन लाइब्रेरी, गेट पब्लिक लाइब्रेरी, सिविल कोर्ट लाइब्रेरी, सेक्रेटेरियट लाइब्रेरी, एडवोकेट्स लाइब्रेरी (पटना हाईकोर्ट), थियोसोफ़िकल लाइब्रेरी (बाँकीपुर), श्री मनोरंजन पुस्तकालय, श्री अन्नपूर्णा पुस्तकालय

आरा : नागरी प्रचारिणी सभा, जैन लाइब्रेरी, श्री जैन सिद्धांत भवन पुस्तकालय, श्री कृष्ण पुस्तकालय (भभुआ), बॉयज़ हिंदी लाइब्रेरी (शाहाबाद), रोहतास क्लब, सोन क्लब

गया : श्री मन्नू लाल पुस्तकालय, गया पब्लिक लाइब्रेरी, मुस्लिम क्लब
भागलपुर : वीएन मेहता लाइब्रेरी, खोसला लाइब्रेरी, मुस्लिम इंस्टीट्यूट

मुंगेर : श्री मारवाड़ी नवयुवक समिति (जमालपुर), ली टाउन हॉल लाइब्रेरी (बेगूसराय), चितरंजन पुस्तकालय (लखीसराय), श्री महाबीर पुस्तकालय

मुज़फ़्फ़रपुर : श्री कृष्ण पुस्तकालय (हाजीपुर) श्री नवयुवक सोसाइटी, टाउन हॉल लाइब्रेरी, श्री शारदा सदन पुस्तकालय, नैशनल पुस्तकालय, श्री प्रताप पुस्तकालय, हिंदी साहित्य सम्मेलन पुस्तकालय,

सारन : श्री नंदन मेमोरियल इंस्टीट्यूट, मज़हरूल हक़ मेमोरियल लाइब्रेरी, श्री राजेंद्र पुस्तकालय, हथुआ राज लाइब्रेरी, सरस्वती भवन लाइब्रेरी

दरभंगा : यंग फ़्रेंड्स लाइब्रेरी, लक्ष्मीश्वर पब्लिक लाइब्रेरी, मॉडर्न लाइब्रेरी, दरभंगा लाइब्रेरी, इंडियन क्लब लाइब्रेरी, श्री जवाहर पुस्तकालय, प्रेमलता हिंदी पुस्तकालय,

बेतिया राज लाइब्रेरी, राम मोहन लाइब्रेरी, झाझा रेलवे पुस्तकालय, दीनापुर इंडियन इंस्टिट्यूट लाइब्रेरी (खगौल), इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट लाइब्रेरी (जमालपुर), चौधरी पुस्तकालय (पूर्णिया), अल-इस्लाह लाइब्रेरी (देसना)।

स्रोत : प्रोसिडिंग्स ऑफ़ द ऑल इंडिया लाइब्रेरी कॉन्फ़्रेन्स, 1940

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