मंदिर निर्माण के लिए देशभर से आये कारीगर

श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होते ही दुनिया के सबसे बड़े तीन मंदिर की लिस्ट में इस मंदिर का नाम शुमार हो जायेगा। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, मंदिर के माध्यम से संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोया जा रहा है।

रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए पत्थर को कर्नाटक व राजस्थान लाया गया है। मंदिर के भवन में लगने वाले पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी का काम राजस्थान के कारीगर कर रहे हैं, वहीं दरवाजे व खिड़कियों के लिए लकड़ियां मराठा भूमि महाराष्ट्र के बल्लाह शाह से मंगवाई गई। इसके अलावा लकड़ी का काम हैदराबाद के कारीगरों द्वारा किया जाएगा। अभी जो पहले फ्लोर और नींव लगाने से लेकर पिलर खड़े करने का काम तमिलनाडु के कारीगरों के सहयोग से हो रहा है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि संपूर्ण विश्व को दो साल बाद यह पता लगेगा कि इस मंदिर में संपूर्ण भारत के सभी राज्यों का किसी ना किसी प्रकार से योगदान रहा।

मंदिर के छत का निर्माण का कार्य पूरा

श्रीराम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि संपूर्ण भारत के हर एक राज्य का योगदान रहने से मंदिर से हर राज्य के लोग जुड़ाव महसूस करेंगे। इस वक्त तक मंदिर के प्रथम तल और छत का निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। अब खम्भों व दीवारों पर मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।

अगले साल जनवरी तक गर्भगृह में विराजमान होंगे रामलला

इस साल के अंत तक निर्माणाधीन मंदिर की फिनिशिंग से लेकर मंदिर की छत ढलाई तक सभी कार्य पूरा होना है। इसके साथ ही पूरा फोकस मंदिर के खम्भों पर मूर्तियों को उकेरने को लेकर है। मंदिर में हर खम्भे पर ऊपर से लेकर नीचे तक 3600 देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी जाएगी। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी भी की जानी है।

खम्भे पर बनने वाली हर मूर्ति को अंतिम स्वरूप देने में लगता है 45 दिन का समय

प्रत्येक खम्भे पर बनने वाली हर मूर्ति को फाइनल स्वरूप देने के लिए एक कारीगर को करीब 45 दिन का समय लगता है। इसलिए मंदिर निर्माण समिति के सदस्य नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में कार्य की हर माह की आखिरी गुरुवार और शुक्रवार को समीक्षा होती है ताकि साल 2024 के जनवरी महीने तक रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के सभी कार्य पूरे हो सके।