पाकिस्तानी एजेंट से भागलपुर के इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर का सामने आया कनेक्शन, जाली नोट के साथ गिरफ्तार

पाकिस्तानी एजेंट से भागलपुर के इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर का सामने आया कनेक्शन, जाली नोट के साथ गिरफ्तार

श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

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बिहार के  भागलपुर के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर का पाकिस्तानी एजेंट के साथ  कनेक्शन का मामला सामने आया है. मोतिहारी जिला के नेपाल बॉर्डर इलाके में उसको 5 सितंबर 2024 को 1.95 लाख रुपये के जाली नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया था.

भागलपुर का नजरे सद्दाम पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. उसके पिता मसीहउज्जमा शिक्षक रह चुके हैं. वहीं नजरे का एक बड़ा भाई दिल्ली में सरकारी नौकरी करता है. जबकि अन्य दो भाई भागलपुर में रहते हैं. बरामद हुए जाली नोटों में 500 रुपये के तीन बंडल यानी 300 नोटों की बरामदगी की गयी थी.नजरे सद्दाम के साथ तीन और लोगों की गिरफ्तारी की गयी थी.

 

जिनकी सूचना पर केंद्रीय पुलिस ने कश्मीर के अनंतनाग से मो सरफराज को गिरफ्तार किया गया था. जिसका आतंकी संगठनों के साथ कनेक्शन भी मिला था. उस वक्त पुलिस द्वारा की गयी जांच में दिल्ली से कश्मीर और नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोटों के सप्लाई करने में संलिप्तता पायी गयी थी. मामले की जांच में यह बात भी सामने आयी थी कि नजरे सद्दाम ने पूर्व में भी पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत में पहुंचायी गयी जाली नोटों की खेप को पूर्व मेंभी सप्लाई किया था.नजरे सद्दाम के जाली नोटों का नेटवर्क नेपाल के भोरेगांव से जुड़े होने की बात भी जांच के दौरान सामने आयी थी.

 

जहां भोरेगांव के दो स्थानीय तस्करों की मदद से उसकी मुलाकात पाकिस्तानी एजेंटों से कराई जाती थी. वह उन्हीं की सहायता से जाली नोटों की खेप बॉर्डर पार कराता था. भेलाही के पास उसे जाली नोटों की डिलीवरी मिलती थी. वहीं नेपाल से बिहार के रास्ते जाली नोटों को भारत पहुंचाये जाने के बाद उसे पहले दिल्ली और फिर दिल्ली से अनंतनाग पहुंचाने की बात का भी खुलासा हुआ था.एनआइए की टीम ने स्वत: संज्ञान लिया जाली नोटों की बरामदगी मामले में गिरफ्तार भागलपुर के नजरे सद्दाम के विरुद्ध मोतिहारी के अलावा एनआइए ने स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली स्थित एनआइए हेडक्वाटर्स में एक केस दर्ज किया था. जिसे बाद में पटना विंग को जांच ओर कार्रवाई के लिए ट्रांसफर कर दिया गया था.

जाली नोटों के अवैध कारोबार में ऐसे नोट जोकि लगभग असली नोटों से मिलते जुलते हैं उनकी बरामदगी होने पर आइबी की टीम इसकी रिपोर्ट एनआइए को सौंप देती है. नोटों की जांच परख करने के बाद अगर एनआइए इस बात से संतुष्ट होती है कि बरामद किये गये जाली नोट और असली नोटों में ज्यादा फर्क नहीं हैं तो एनआइए पूरे मामले की तह तक पहुंचने के लिए जांच शुरू करती है. इसके लिए पहले मामले में केस दर्ज किया जाता है. और फिर ऐसे जाली नोटों का उत्पादन और सप्लाई कहां से किया जाता है उनका पता लगा अग्रतर कार्रवाई करती है.

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