बांग्लादेश में कट्टरता को मिला बढ़ावा और बन गया नरक.

बांग्लादेश में कट्टरता को मिला बढ़ावा और बन गया नरक.

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
PETS Holi 2024
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में इन दिनों एक झूठी अफवाह की आड़ लेकर बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदुओं के घरों पर जैसे भीषण हमले किए गए। पहले दिन से ये अफवाह फैलाई गई कि हिन्दुओं ने कुरान का अपमान किया। हैरानी तो तब हुई जब इसके खिलाफ भारत से भी आवाजे उठी। बिना सबूतों के और बिना सोचे-समझे बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा तक शुरू हो गई।

पश्चिम बंगाल से भी कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं के खिलाफ नफरत भड़काई गई। यहां तक कहा गया कि कुरान के अपमान की सजा मौत ही होगी और इसी बहाने से हिन्दू देवी-देवताओं और पूजा पद्धतियों के खिलाफ फिक्रे भी कसे।

मुस्लिम युवक ने रखी कुरान

बाद में इसको लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पता चला कि दुर्गा पंडाल में कुरान रखने की साजिश किसी हिन्दू ने नहीं बल्कि एक मुस्लिम युवक ने रची थी। पुलिस ने बताया कि इकबाल ने 13 अक्‍टूबर को कुरान की प्रति को दुर्गा पूजा पंडाल में रखा। पुलिस ने दुर्गा पूजा पंडाल के बाहर लगाए गए निगरानी कैमरे से इकबाल की पहचान की है। लेकिन बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथियों ने दुकाने लूटी गई मंदिरों और घरों को निशाना बनाया।

इसे बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बुरा सांप्रदायिक दंगा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। बांग्लादेश में हिंसा तो थम गई है लेकिन इसके साथ ही सेक्युलरिज्म की बहस को एक बार फिर से हवा दे दिया है। बांग्लादेश को एक मॉर्डन मुस्लिम मैजोरिटी देश कहा जाता है। इसकी इस्लाम के प्रति आध्यात्मिक प्रतिबद्धता है ।वहीं कल्चर बंगाली है।

बांग्‍लादेश में ईशनिंदा जैसे कानून बनाने का समर्थन

इस्‍लामी आंदोलन बांग्‍लादेश की स्‍थापना फजलुल करीम ने इस्‍लामी शासन आंदोलन के रूप में की थी। वर्ष 2008 में इसे इसका नया नाम दिया गया। इसकी छात्र शाखा भी है। इस संगठन ने बांग्‍लादेश में ईशनिंदा कानून जैसे काले कानून को बनाए जाने का समर्थन किया था। हज और मुहम्‍मद की आलोचना करने पर पूर्व मंत्री अब्‍दुल लतीफ सिद्द‍की के खिलाफ प्रदर्शन किया था। यह संगठन रोहिंग्‍या मुस्लिमों का मुद्दा संयुक्‍त राष्‍ट्र से उठा चुका है।

वर्ष 2017 में इसके कार्यकर्ता पीएम आवास को घेर चुके हैं। वे एक नास्तिक ब्‍लॉगर की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। बांग्‍लादेश के संसदीय चुनाव में इस्‍लामी आंदोलन बांग्‍लादेश पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बांग्‍लादेश में इस कट्टरपंथी पार्टी के समर्थकों की संख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है। ये लोग भारत में कैब और एनआरसी लागू किए जाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

मदरसों की बढ़ती संख्या और अल्पसंख्य समुदाय पर हमले

संविधान संशोधनों के बाद बांग्लादेश में मदरसों की बाढ़ आ गई। 1970 से 2008 के बीच बांग्लादेस में मदरसों की संख्या 2700 से बढ़कर 12152 हो गए। देश की शिाक्षा नीति में भी इसका असर देखने को मिला। साल 2017 में कई बंगाली अध्याय को बेहद ही खामोशी के साथ किताबों से हटा दिया गया। उनकी जगह इस्लामी पाठ को जोड़ा गया। कट्टरपंथी समूहों ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ दमन के कार्य जारी रखे। ह्यूमन राइट ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार 2007 से 2019 के बीच अल्पसंख्य समुदाय से जुड़े 1500 लोगों पर हमले की घटनाएं सामने आई।

  • 62 जमीन कब्जाने के मामले सामने आए
  • 40 घरों पर जबरन कब्जा जमाया गया।
  • 390 मंदिरों पर हमले हुए
  • 800 मूर्तियों को नुकसान पहुंचाया गया

ज्यादातर शिकार बनने वाले हिन्दू समुदाय से जुड़े लोग ही थे। इसके अलावा ईसाई और बौद्ध धर्म के लोग भी निशाने पर रहे। यही नहीं शिया और अहमदिया मुसलमानों को भी नहीं बख्शा गया।

बांग्लादेश में घटते अल्पसंख्यक 

1951 सेंसस के डाटा के अनुसार पूर्वी पाकिस्तान में 22 प्रतिशत हिन्दू आबादी थी। 2011 में ये संख्या 8.5 प्रतिशत पर चली गई। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि धार्मिक कट्टरता का बढ़ना भी उन कारणों में से एक है। 1999 से 2000 के बीच ये कट्टरवाद आतंकवाद में तब्दील हो गई और देश में कई आतंकी हमले हुए। अफगानिस्तान युद्ध से बांग्लादेशियों की वापसी के लिए ये सब किया गया। ये एक तरह का कट्टरता से भरा सोच के साथ इस मंशा के साथ उठाया गया कदम था कि वो बांग्लादेश को भी अफगानिस्तान की तरह कर देंगे।

समाज और राजनीति को भी कट्टरता में बदल देंगे। आलम ये है कि बांग्लादेश में शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता होगा, जब किसी हिन्दू महिला के साथ कट्टरवादी बदतमीजी न करते हों। आपको याद होगा कि तस्लीमा नसरीन ने भी अपने उपन्यास ‘लज्जा’ में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की दर्दनाक स्थिति को ही बयां किया।  मुस्लिम कट्टरपंथी इसलिए ही उनकी जान के दुश्मन हो गए थे। उसी विरोध के कारण तस्लीमा को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। ।

कट्टरपंथी समूह धमकी दे रहे 

बांग्लादेश को फिर से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किए जाने की हलचल से कट्टरपंथी तबका भी चौकन्ना हो गया है। बहुसंख्यक मुस्लिम तबके के कट्टरपंथियों के विभिन्न समूह धमकी दे रहे हैं कि बांग्लादेश को धर्मनिरपेक्ष घोषित किए जाने की पहल की गई तो पूरा देश जल उठेगा। हसीना सरकार को भरोसा है कि अगर कट्टरपंथियों ने उपद्रव मचाया तो उसे दबाने में भारत से मदद मिलेगी।

Leave a Reply

error: Content is protected !!