फाइलेरिया से लड़ते हुए जीवन को आसान बना रहा छोटू

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15 साल से है हाथीपांव से ग्रसित, लेकिन सर्तकता का ध्यान रखकर सामान्य जीवन यापन का उठा रहा लाभ:
एमएमडीपी किट व व्यायाम के उपयोग से संक्रमण को बना रहा कमजोर:
नेटवर्क मेंबर के सहयोग से लोगों को भी कर रहा फाइलेरिया के प्रति जागरूक:

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):

खुद पर आत्मविश्वास और सही मार्गदर्शन से इंसान जीवन के हर मुश्किल को कमजोर साबित कर खुद की जिंदगी को आसान बना सकता है। इस बात को सार्थक साबित कर रहा है पूर्णिया जिला के के.नगर प्रखंड स्थित परोरा निवासी छोटू कुमार पासवान। वे 15 साल पूर्व फाइलेरिया जनित हाथीपांव की बीमारी को कमजोर करने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं । पिछले एक साल में उन्होंने खुद को फाइलेरिया उन्मूलन के प्रति जागरूक करते हुए संक्रमण से सुधार के लिए सार्थक प्रयास है। दोनों पैर के हाथीपांव से ग्रसित होने के कारण पहले उन्हें पैदल चलने में भी समस्या आती थी, लेकिन पिछले एक साल में उन्होंने इसमें काफी सुधार किया है। अब छोटू न सिर्फ ठीक से पैदल चलते हैं बल्कि खुद के पैरों की सहायता से वह साइकिल भी चला रहे हैं ।

15 साल पूर्व हुआ फाइलेरिया से ग्रसित:
छोटू ने बताया कि लगभग 15 साल पूर्व उन्हें फाइलेरिया हुआ था। उस समय उनकी आयु मात्र 13 वर्ष थी। परिवार के सभी लोगों द्वारा सामान्य मजदूरी से अपना जीवनयापन किया जाता था, इसलिए किसी भी सदस्य को फाइलेरिया बीमारी की पहचान एवं इसके उपचार की जानकारी नहीं थी। उन्होंने बताया कि पहले एक पैर फाइलेरिया से ग्रसित हुआ। इसके इलाज के लिए सदर अस्पताल में दिखाया जिसमें डॉक्टरों ने नियमित रूप से दवाओं का सेवन करने और निगरानी में रहने की सलाह दी। लेकिन घर से अस्पताल दूर होने और दैनिक मजदूरी में परिजनों के व्यस्त रहने के कारण नियमित रूप से इलाज नहीं हो सका। इससे फाइलेरिया उनके पैर में विकराल रूप धारण कर लिया। कुछ समय बाद फाइलेरिया से उनका दूसरा पैर भी ग्रसित हो गया। पहले गांव में ही जड़ी बूटियों से इलाज करवाने लगे लेकिन इससे कोई लाभ नहीं हुआ। रोग और इसकी परेशानी बढ़ती गयी।

एमएमडीपी किट व व्यायाम के सहयोग से मिल रहा लाभ:
छोटू ने बताया कि पिछले साल स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनकी पहचान फाइलेरिया ग्रसित मरीज के रूप में की गई। फिर इसके इलाज के लिए सहायता दी गयी। स्वास्थ्य विभागके सौजन्य से उन्हें एमएमडीपी किट मिला। इसमें एक टब, मग, रुई बंडल, तौलिया व डेटॉल साबुन दिया गया। इसके साथ ही बताया गया कि इसके सहयोग से फाइलेरिया ग्रसित अंग की नियमित रूप से सफाई करें और व्यायाम करें।बइससे फाइलेरिया के नियंत्रण में आसानी होती है। उन्होंने बताया कि इसके उपयोग से उनके फाइलेरिया ग्रसित अंगों में काफी सुधार है। अब वे पहले की तुलना में अधिक आसानी से चल पाते हैं। अब साइकिल भी आसानी से चला लेते हैं। अब वे लोगों को भी फाइलेरिया को नियंत्रित करने के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहते हैं। इससे फाइलेरिया को नियंत्रित करना आसान हो जाता है।

नेटवर्क मेंबरों के सहयोग से लोगों को भी कर रहे फाइलेरिया के प्रति जागरूक:
फाइलेरिया बीमारी के नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाया जा रहा है। इसके माध्यम से ख़ास कर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को फाइलेरिया संक्रमण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। अगर किसी व्यक्ति को फाइलेरिया होने के लक्षण दिखाई देते हैं तो पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सहयोग से उनकी तत्काल जांच करवाई जाती है और सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इससे फाइलेरिया के विस्तार को रोका जा सकता है।

जानें क्या है फाइलेरिया के लक्षण:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आर पी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी एक परजीवी मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसके शुरुआती लक्षण के रूप में बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। ऐसे लक्षणों की जानकारी मिलने पर लोगों को तत्काल नजदीकी अस्पताल में जांच कराते हुए आवश्यक उपचार कराना चाहिए। इससे इस बीमारी को विकराल रूप धारण करने से रोका जा सकता है।

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