सजधज कर तैयार है चिरांद का गंगा तट, आज होगा महाआरती सभी तैयारियां पुरी

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श्रीनारद मीडिया, मनोज तिवारी, छपरा (बिहार):

गंगा, सरयू और सोन के संगम पर स्थित चिरांद के गंगा घाट पर आज से ही हरिद्वार व काशी जैसे तीर्थों का मनोहारी दृश्य दिखने लगे हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में कल यानी 3 जून को गंगा महाआरती के साथ कला व संस्कृति की अद्भुत धरा प्रवाहित हो उठेगी। सरयू जयंती के अवसर पर चिरांद का यह वार्षिक समारोह इस बार भव्यता व दिव्यता को अद्भुत इतिहास रचेगा।

समारोह के मुख्य वक्ता गंगा समग्र के राष्ट्रीय संगठन मंत्री व प्रसिद्ध चिंतक श्री रामाशीष जी होगें। वही समारोह के मुख्य संरक्षक अयोध्या से पधारे लक्ष्मण किलाधीश श्रीश्री 1008 महंत श्री मैथिली रमण शरण जी महाराज होंगे। चिरांद विकास परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमरेंद्र नारायण सिह उपाख्य लल्लू जी करेंगे। इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद के अध्यक्ष कृष्ण कांत ओझा एवं गंगा समग्र के राष्ट्रीय मंत्री श्री रामाशंकर सिन्हा द्वारा गंगा गरिमा रक्षा संकल्प व चिरांद चेतना जागरण योजना पर प्रकाश डाला जाएगा। गंगा तट की सजावट का आनंद लेने के लिए आज भी बड़ी संख्या में लोग गंगा तट पर आए।

विश्व का दुर्लभ पूरातात्विक नगर चिरांद भारत की सांस्कृतिक विरासत से जगमगा उठेगा। इस भव्य सांस्कृतिक व आध्यात्मिक समारोह का शुभारंभ काशी के 11 आचार्यों की टोली द्वारा संगीतमय शास्त्रीय गंगा महाआरती से होगा। इसबार इस समारोह में सारण व बिहार के नवोदित बालकलाकारों की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र होगा। वहीं सारण की सांस्कृतिक विरासत को जीवंतता प्रदान करने वाली झांकी प्रस्तुति भी होगी। इस प्रचंड गर्मी में गंगा को स्पर्श करते शीतल पवन के सान्निध्य में पूरी रात लोग लोक के साथ ही शास्त्रीय प्रस्तुतियों का आनंद ले सकेंगे।

चिरांद विकास परिषद ने बालकलाकर रौनक के साथ ही डा. राजीव रंजन, अखिलेश्वर कुमार पाण्डेय, राजकिशोर सिंह विविध क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को चिरांद रत्न सम्मान देने का निर्णय लिया है। इस बार के गंगा आरती में शंख व विशाल डमरू के वादन से काशी हरिद्वारा जैसे आध्यात्मिक माहौल बनेगा।

वहीं सत्यम कला मंच के निदेशक संदीप सौरभ के संयोजन में बिहार व यूपी के प्रसिद्ध गायक व वादक भव्य भाव-भक्ति जागरण कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर भारतीय शास्त्रीय गीत-संगी व नृत्य का भी आयोजन किया गया है। वहीं सारण के प्रसिद्ध कलाकार राहुल व नारायणजी के संयोजन में समूह नित्य व सांस्कृतिक झांकी की प्रस्तुति होगी। सुदर्शन राय की टोली भिखारी ठाकुर की कृति की नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेगी। वहीं बालकलाकार शाम्भवी शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत करेगी। कार्यक्रम के संयोजक धनंजय मिश्र ने बताया कि चिरांद के इस पवित्र मंच से भारत की सांस्कृतिक विरासत साकार होगी।

विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक धरोहर सारण के चिरांद महोत्सव में इस वर्ष प्रकृति के सान्निध्य में विकास की संस्कृति जीवंत होगी। डेढ़ दशक की अनवरत यात्रा के बाद चिरांद महोत्सव में गंगा महाआरती, गंगा गरिमा रक्षा संकल्प के साथ सारण के लोक व शास्त्रीय कलाकार गंगा के आंचल में पलने वाली समृद्ध सभ्यता व जीवन पद्धति से साक्षात्कार करायेगे। चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि चिरांद एक ऐसा प्राचीन स्थल है जहां जलसंरक्षण एवं प्रकृति की अनुकूलता के साथ सुखद एवं आनंदपूर्ण जीवन व्यवस्था का प्रमाण मिला है।

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